नई दिल्ली2 घंटे पहले
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बिकिनी वैक्सिंग पहले अभिनेत्रियां या मॉडल हो करवाती थीं, लेकिन अब आम महिलाएं ऐसा करने लगी हैं। बिकिनी वैक्स भले ही प्राइवेट पार्ट को सॉफ्ट बनाए, लेकिन इसके कई नुकसान भी हैं। बिकिनी वैक्स से होने वाले नुकसान और बचने के उपाय बता रही हैं द एस्थेटिक क्लीनिक की कॉस्मेटिक डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. रिंकी कपूर।
बिकिनी वैक्स का स्किन पर असर
बिकिनी वैक्स का असर हर स्किन पर एक जैसा नहीं होता। यदि आपकी स्किन सेंसिटिव है या आपको डायबिटीज है तो आपको बिकिनी वैक्स नहीं करवाना चाहिए। अगर पहली बार बिकिनी वैक्स करने जा रही हैं तो पहले अपनी स्किन टाइप के बारे में जानना जरूरी है।
महिलाओं में बिकिनी वैक्सिंग क ट्रेंड बढ़ रहा है। इसके लिए कई महिलाएं पार्लर जाकर बिकिनी वैक्सिंग कराने लगी हैं। लेकिन बिकिनी वैक्सिंग की प्रक्रिया असुविधाजनक और दर्दनाक हो सकती है, खासकर संवेदनशील त्वचा वाले लोगों के लिए।
बिकिनी वैक्स के खतरे
बिकिनी वैक्सिंग की प्रक्रिया जोखिम भरी भी हो सकती है, क्योंकि वैक्सिंग के दौरान उपयोग किए जाने वाले गर्म मोम से स्किन पर जलन या रैशेज हो सकते हैं। यदि वैक्स की क्वालिटी सही नहीं है तो ये त्वचा के लिए हानिकारक हो सकता है। इसके परिणाम बहुत दर्दनाक हो सकते हैं।
प्राइवेट पार्ट की स्किन पूरे शरीर के अंगों की तुलना में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती। ऐसे में बिकिनी वैक्सिंग के कारण त्वचा पर लगे कट के निशान, रैशेज को ठीक होने में समय लग सकता है। बिकिनी वैक्सिंग में प्राइवेट पार्ट के बालों को हटाने के लिए हेयर फॉलिकल को जड़ से उखाड़ना शामिल है। इस प्रक्रिया में प्राइवेट पार्ट के रोम छिद्र खुल जाते हैं, जिससे बैक्टीरिया खुले छिद्रों में प्रवेश कर सकते हैं और संक्रमण पैदा कर सकते हैं।
बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकता है
प्राइवेट पार्ट के बाल हटाते समय वहां के रोम छिद्र खुल जाते हैं जिससे बैक्टीरियल इंफेक्शन की आशंका बढ़ जाती है। वैक्स की गर्मी ही वजाइना के नेचुरल पीएच बैलेंस को बिगाड़ देती है, जिससे वजाइनल इंफेक्शन हो सकता है। बिकिनी वैक्स के बाद कई महिलाओं में जलन या इनग्रोन हेयर की समस्या हो सकती है।
प्राइवेट पार्ट के बाल हटाने के लिए बिकिनी वैक्स हानिकारक हो सकता है, बालों को कैंची से ट्रिम करना सही विकल्प है।
बिकनी वैक्सिंग के साइड इफेक्ट्स
प्राइवेट पार्ट के बाल हटाने के लिए बिकिनी वैक्सिंग के प्रोसेस के साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। बिकिनी वैक्सिंग से स्किन एलर्जी, रैशेज और जलन, बैक्टीरियल इंफेक्शन, यहां तक कि सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज भी हो सकती हैं।
वजाइना के आसपास की स्किन पतली और नाजुक होती है। ऐसे में वैक्सिंग में लापरवाही या गलती से स्किन के जलने, कट के निशान लगने, रैशेज होने की आशंका बनी रहती है। यदि महिला को डायबिटीज है उसके लिए बिकिनी वैक्सिंग कराना बहुत हानिकारक हो सकता है।
बिकिनी वैक्सिंग के बजाय आप इसका बेहतर विकल्प चुन सकती हैं, जैसे कैंची से प्राइवेट पार्ट के बालों को ट्रिम करना या बाल हटाने के लिए रेजर का उपयोग करना।
ये लोग न करें बिकनी वैक्स
बिकनी वैक्स कराने से पहले स्किन एक्सपर्ट से मिलें। अपने स्किन टाइप को समझें। यदि आपकी स्किन सेंसिटिव है तो बिकनी वैक्स कराने से बचें। आपकी फ्रेंड बिकनी वैक्स करवा रही है इसलिए आपका भी ऐसा ही करना जरूरी नहीं है। बिकनी वैक्स कराने के बजाय प्राइवेट पार्ट के बालों को कैंची से काटना बेहतरीन विकल्प है।
बार-बार बिकनी वैक्स करने से इनग्रोन हेयर हो सकते हैं। सही देखभाल न की जाए तो ये भद्दे और असुविधाजनक हो सकते हैं। स्किन सेंसिटिव है तो बिकिनी वैक्स से स्किन पर कट या जलन हो सकती हैजिन महिलाओं को डायबिटीज है उन्हें बिकिनी वैक्स नहीं कराना चाहिए।
प्राइवेट पार्ट को क्लीन रखें
इंटीमेट हेल्थ को लेकर महिलाओं की जागरूकता बढ़ी है। महिलाएं अब अपनी हेल्थ, फिटनेस और हाइजीन का पूरा ध्यान रखने लगी हैं। इसी कड़ी में कई महिलाएं प्राइवेट पार्ट को साफ रखने के लिए वजाइनल वॉश का इस्तेमाल करने लगी हैं। मार्केट में वजाइनल वॉश की अच्छी खासी रेंज उपलब्ध है जिसे महिलाएं इंटीमेट हेल्थ और हाइजीन का खयाल रखने के लिए इस्तेमाल करती हैं।
वजाइना का नेचुरल एसिडिक पीएच वजाइना की हिफाजत करता है और हानिकारक बैक्टीरिया के खिलाफ सुरक्षा कवच का काम करता है। वजाइनल या इंटीमेट वॉश में मौजूद केमिकल वजाइना का पीएच बैलेंस बिगाड़ सकते हैं। लंबे समय तक वजाइनल वॉश का इस्तेमाल करने से इंफेक्शन भी हो सकता है।
प्राइवेट पार्ट को क्लीन रखें, लेकिन इसके लिए वजाइनल वॉश इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है। आप सिर्फ पानी से वजाइनल एरिया की सफाई कर सकती हैं।
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सर्दियों में वजाइनल इंफेक्शन का खतरा, प्राइवेट पार्ट की सफाई पर ध्यान दें, मीठा न खाएं, सर्दी की दवा बढ़ाती समस्या
सर्दियों में जैसे जैसे तापमान गिरने लगता है त्वचा का रूखापन भी बढ़ने लगता है। शरीर के अन्य अंगों की तरह प्राइवेट पार्ट की स्किन भी ड्राई होने लगती है। उस पर सर्दियों में हम गर्म ऊनी कपड़े पहनते हैं। त्वचा का रूखापन, पसीना, ऊनी कपड़ों की लेयर्स और हवा की कमी, ये सब मिलकर बैक्टीरिया के पनपने का माहौल तैयार करते हैं। इससे वजाइनल इंफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है। मुंबई के हिंदुजा व वॉकहार्ट हॉस्पिटल की गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. सरिता नाइक बता रही हैं सर्दियों में वजाइनल इंफेक्शन के कारण, लक्षण और उपाय। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
क्या महिलाओं को वजाइनल वॉश की जरूरत है, बेवजह सफाई से बढ़ती बीमारियां, सोने से पहले पैंटी बदलें, केमिकल बिगाड़ते पीएच बैलेंस
क्या महिलाओं को वजाइनल वॉश की वाकई में जरूरत है? सच्चाई ये है कि वजाइना को सफाई की जरूरत नहीं होती, वो खुद अपनी सफाई करती है। वजाइना की बेवजह सफाई करना बीमारियों का कारण बन सकता है।
वजाइना का नेचुरल एसिडिक पीएच वजाइना की हिफाजत करता है और हानिकारक बैक्टीरिया के खिलाफ सुरक्षा कवच का काम करता है। वजाइनल या इंटीमेट वॉश में मौजूद केमिकल वजाइना का पीएच बैलेंस बिगाड़ सकते हैं। लंबे समय तक वजाइनल वॉश का इस्तेमाल करने से इंफेक्शन भी हो सकता है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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