हरिद्वार10 घंटे पहले
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हम कल्पनाशील और विचारशील हैं। पुराने समय में जो कुछ घटा है, हम उन स्मृतियों के साथ भी जीते हैं। ईश्वर से अधिक दिव्य कोई और स्मृति या कल्पना नहीं है। हम जब भी कल्पना करना चाहते हैं, तब हमें ईश्वर की कल्पना करनी चाहिए, ऐसा करने से हमारे जीवन में आनंद आएगा और नई ऊर्जा मिलेगी। ध्यान रखें हम ईश्वर का ही अंश हैं, हम उनसे अलग नहीं हैं। इसलिए उनकी कल्पना करें, उनकी स्मृतियों के साथ जीएं।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए हमें कैसी कल्पनाएं करनी चाहिए?
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