14 घंटे पहले
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बुधवार, 14 फरवरी को माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी यानी बसंत पंचमी है। ये विद्यार्थियों के लिए महापर्व है। इस दिन देवी सरस्वती का प्रकट उत्सव मनाया जाता है। इस तिथि को वागीश्वरी जयंती और श्री पंचमी भी कहते हैं। देवी सरस्वती की पूजा से भक्तों को ज्ञान, विद्या मिलती है। जो लोग विद्या पाना चाहते हैं, उन्हें देवी सरस्वती की विशेष पूजा जरूर करनी चाहिए। विद्या को सभी प्रकार के धनों में श्रेष्ठ माना जाता है। विद्या से ही खूब सारा धन और मान-सम्मान हासिल किया जा सकता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, जिन लोगों पर देवी सरस्वती की कृपा होती है, उन्हें देवी लक्ष्मी की कृपा भी जरूर मिलती है। इसका अर्थ ये है कि जो लोग ज्ञानी हैं, उनके जीवन में धन की कमी भी नहीं होती है। ज्ञानी व्यक्ति हर स्थिति में सकारात्मक रहता है।
माना जाता है कि जब सृष्टि की रचना हुई तो आद्यशक्ति ने स्वयं को पांच भागों में बांटा था। ये पांच भाग हैं राधा, पद्मा, सावित्रि, दुर्गा और सरस्वती। उस समय भगवान के कंठ से देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। वाक, वाणी, गिरा, गी:, भाषा, शारदा, वाचा, धीश्वरी, वाग्देवी सरस्वती जी के नाम हैं।
देवी सरस्वती की पूजा एकांत में शांत मन के साथ करना ज्यादा शुभ रहता है। श्रीं ह्रीं सरसवत्यै स्वाहा मंत्र जपते हुए देवी पूजा करनी चाहिए। ध्यान रखें देवी सरस्वती की पूजा में खासतौर पर सफेद वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए, जैसे सफेद फूल, सफेद वस्त्र। पुराने समय में इसी तिथि से बच्चों का विद्याध्यन शुरू कराया जाता था।
बसंत पंचमी पर राशि अनुसार करें शुभ काम
मेष– केसरिया वस्त्र पहनकर सरस्वती जी की पूजा करें। देवी को शहद चढ़ाएं।
वृषभ– सफेद वस्त्र पहनकर पूजा करें और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
मिथुन– देवी सरस्वती की पूजा में मूंग के हलवे भोग लगाएं।
कर्क– दही का भोग लगाकर सरस्वती पूजा करें।
सिंह– ये मां सरस्वती को गाजर के हलवे का भोग लगाएं।
कन्या- सरस्वती मां के सामने घी का दीपक जलाएं। मंत्र जप करें।
तुला- सफेद वस्त्र पहनकर पूजा करें और सरस्वती जी को इत्र चढ़ाएं।
वृश्चिक– केसरिया वस्त्र पहनें और पूजा करें। देवी मौसमी फलों का भोग लगाएं।
धनु- ये नारंगी कपड़े पहनकर पूजा करें। केसरिया दूध का भोग लगाएं।
मकर– सरस्वती जी को मक्खन का भोग लगाएं।
कुंभ– सरस्वती मां को चने-गुड़ का भोग लगाएं।
मीन- सरस्वती जी को मीठे केसरिया चावल का भोग लगाएं।