नई दिल्ली9 घंटे पहले

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सैनिटरी नैपकिन में फ्थालेट्स नाम का केमिकल इस्तेमाल होता है। यह केमिकल कैंसर का कारण बन सकता है। साथ ही इनफर्टिलिटी, पीसीओडी और एंडोमेट्रियोसिस की दिक्कत भी कर सकता है। इससे लकवा मार सकता है और याददाश्त भी जा सकती है। भारत में जारी ‘मेंस्ट्रुअल वेस्ट 2022’ की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

टॉक्सिक लिंक की रिसर्च के अनुसार सैनिटरी पैड में वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड्स (VOCs) नाम का केमिकल भी इस्तेमाल होता है। यह केमिकल पेंट, डियोड्रेंट, एयर फ्रेशनर, नेल पॉलिश जैसी चीजों में डाला जाता है। सैनिटरी पैड में इस केमिकल की मदद से फ्रेंगरेंस यानी खुशबू भी जोड़ी जाती है।

स्टडी में यह भी सामने आया कि 10 सैनिटरी नैपकिन में 25 तरह के वीओसी केमिकल मौजूद होते हैं। यह केमिकल दिमाग पर सीधा असर करता है और त्वचा के लिए नुकसानदेह है। इसके अलावा इससे खून की कमी, थकान, लिवर और किडनी के काम करने का ढंग प्रभावित होता है।

ग्राफिक्सः सत्यम परिडा

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