13 घंटे पहले

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आज (5 अप्रैल) शुक्रवार और एकादशी का योग है। अभी चैत्र मास चल रहा है और इस महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहते हैं। इस एकादशी व्रत से जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्मों से मुक्ति मिल सकती है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के लिए व्रत किया जाता है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, पापमोचनी एकादशी पर विष्णु जी के साथ ही देवी लक्ष्मी की पूजा करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और अटके कार्यों में सफलता मिल सकती है। जानिए इस व्रत-पर्व पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…

  • भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करना चाहिए। दूध में केसर मिलाएं और शंख में ये दूध डालकर अभिषेक करें। दीपक जलाएं। पूजा में विष्णु जी के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय और लक्ष्मी मंत्र- ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम: का जप करते रहना चाहिए।
  • घी का दीपक और धूप जलाएं। गुलाब के लाल फूल चढ़ाएं। तुलसी के पत्तों के साथ दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं। देवी लक्ष्मी को कमल के फूल चढ़ाएं। इत्र अर्पित करें। देवी लक्ष्मी के चरणों में श्रीयंत्र रखकर उसका पूजन करें। पूजा के बाद श्रीयंत्र तिजोरी में रखें।
  • शुक्रवार और एकादशी के योग में शुक्र ग्रह की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। शुक्रवार का कारक ग्रह शुक्र है। इस ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। जिन लोगों की कुंडली में शुक्र ग्रह से संबंधित दोष हैं, उन्हें शुक्रवार को शिवलिंग पर जल-दूध चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर सफेद फूल चढ़ाएं। बिल्व पत्र से श्रृंगार करें। चंदन का लेप करें।
  • घर के आंगन में सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं। शाम को पीपल के पांच पंचमुखी दीपक जलाएं।
  • घर की उत्तर-पूर्व दिशा में गाय के शुद्ध घी में केसर डालकर दीपक जलाएं। लक्ष्मी जी की पूजा करते समय चांदी के सिक्के भी पूजा की थाली में रखें। शुक्रवार की शाम भी देवी लक्ष्मी और विष्णु जी का पूजन करें।
  • एकादशी पर जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं। किसी मंदिर में पूजन सामग्री अर्पित करें। गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। गाय को हरी घास खिलाएं।

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