16 घंटे पहलेलेखक: मृत्युंजय

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साल 1975 में आई फिल्म ‘दीवार’ का वह मशहूर डायलॉग, जिसमें स्मगलर बने अमिताभ बच्चन अपने ईमानदार पुलिस ऑफिसर भाई से कहते हैं- “आज मेरे पास बंगला है, प्रॉपर्टी है, गाड़ी है, बैंक बैलेंस है, तुम्हारे पास क्या है?”

भाई के किरदार में मौजूद शशि कपूर कहते हैं- ‘’मेरे पास मां है।’’ इस जवाब के बाद अमिताभ बच्चन चुप रह जाते हैं।

फिल्म में अच्छाई और बुराई की तुलना की गई है। एक तरफ अमिताभ बच्चन हैं, जो सोने की तस्करी से लाखों-करोड़ों रुपए और सभी तरह के शानो-शौकत जुटा लेते हैं। दूसरी ओर, उनके भाई हैं जो ईमानदारी और सुकून के साथ मिडिल क्लास जिंदगी जी रहे हैं।

लेकिन इस फिल्मी कहानी से इतर नई रिसर्च यह कहती है कि अच्छे शख्स बनकर रहें तो बंगला, प्रॉपर्टी, गाड़ी और बैंक बैलेंस के साथ रिश्ते भी अच्छे मिलेंगे। यानी अच्छाई के रास्ते पर चलकर धन-दौलत के साथ-साथ मां का प्यार भी मिल सकता है।

आज रिलेशनशिप कॉलम में अच्छी पर्सनैलिटी और बर्ताव की बात करेंगे। रिसर्च और रिलेशनशिप कोच की मदद से कुछ टिप्स भी जानेंगे, जिनकी मदद से अपने व्यक्तित्व को निखारा जा सकता है।

कैसे बनें अच्छे इंसान, क्या अच्छाई मापने का कोई पैमाना भी है

सबसे पहले यह समझ लीजिए कि अच्छाई एक सब्जेक्टिव टॉपिक है। अलग-अलग लोगों के लिए इसके मायने अलग हो सकते हैं। देश, संस्कृति और कानून बदलने पर भी अच्छाई के मानक बदल जाते हैं।

यह भी संभव नहीं है कि कोई शख्स पूरी दुनिया की नजर में अच्छा साबित हो जाए। ऐसा करने की कोशिश भी ठीक नहीं मानी जाती।

‘वेरी वेल माइंड’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अच्छाई को मापने का कोई सर्वमान्य पैमाना नहीं है। इसका सबसे बेहतर उपाय खुद की नजरों में अच्छा होना है। साथ ही अपने आसपास की मान्य नैतिक और सामाजिक मान्यताओं के आधार पर भी अपने व्यक्तित्व की परख की जा सकती है।

अब भला अच्छा कहलाना किसे पसंद नहीं होता। लेकिन इसके लिए क्या करना होगा, इस बारे में थोड़ी गफलत होती है। साइकोलॉजिकल रिहैबिलिटेशन स्पेशलिस्ट केंड्रा चेरी इसके लिए ये उपाय बताती हैं-

सॉरी और शुक्रिया के इस्तेमाल में न करें कंजूसी

अक्सर लोग माफी मांगने में हिचकते हैं, यह सोचकर कि कहीं वे सामने वाले के आगे छोटे न लगें। लेकिन यह सोच ठीक नहीं। माफी मांगने से किसी की इज्जत कम नहीं होती है। जो अपनी गलतियों के लिए माफी मांग लेता है, वह एक जिम्मेदार और अच्छे इंसान के रूप में सामने आता है।

इंटरनेशनल बेस्टसेलर लेखक मार्क रेकलाउ अपनी किताब ‘द लाइफ चेंजिंग पॉवर ऑफ ग्रैटिट्यूड’ में दूसरों को शुक्रिया कहने की आदत को जिंदगी बदलने वाली आदत बताते हैं।

मार्क के मुताबिक किसी अच्छाई के प्रति कृतज्ञता जाहिर करने से इंसान की पर्सनैलिटी में पॉजिटिव बदलाव आता है। एक तरफ वह अच्छी चीजों के लिए दूसरों को शुक्रिया कह रहा होता है तो दूसरी ओर उसका भी मन इन अच्छी आदतों के लिए तैयार होता है। जिसकी वजह से उसकी पर्सनैलिटी निखरती जाती है।

जितनी जरूरत हो, उतनी ही आलोचना करें

दुनिया और लोगों के प्रति जरुरत से ज्यादा क्रिटिकल होकर न सोचें। इस बात को दिमाग से निकाल दें कि दुनिया-जहान को सुधारना हमारी जिम्मेदारी है। हमारी पहली जिम्मेदारी खुद के प्रति है।

बाकी लोगों की रिश्ते की गहराई और जिम्मेदारी के आधार पर रचनात्मक आलोचना कर सकते हैं। लेकिन इस दौरान भी सीमा का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

दूसरों की नजर से भी दुनिया को समझने की कोशिश करें

हर किसी के पास अपनी राय होती है। इस राय को सही साबित करने के लिए लोग तर्क और लड़ाई-झगड़े पर भी उतर आते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो दूसरों की नजर से दुनिया को देखने-समझने की कोशिश करते हैं। उनकी यही आदत उन्हें बाकी लोगों से अलग बनाती है।

माफ करना और आगे बढ़ना सीखें

अगर हम छोटी-छोटी बातों पर ऑफेंड होने लगें, लोगों के सामने सफाई या तर्क पेश करने लगें तो ऐसी स्थिति में मेंटल हेल्थ, प्रोडक्टिविटी, रिश्ते और ओवरऑल वेलबीइंग पर नकारात्मक असर पड़ता है।

अपने व्यक्तित्व और वेलबीइंग की बेहतरी के लिए कुछ मामलों में लोगों को माफ करना, कुछ को इग्नोर करना और कुछ को यूं ही जाने देना भी जरूरी हो जाता है।

दूसरों के लिए बनेंगे अच्छे तो फायदा होगा अपना

मार्क रेकलाउ ने एक और इंटरनेशनल बेस्टसेलर किताब ’30 डेज- चेंज योर हैबिट्स’ भी लिखी है। उनकी मानें तो दूसरों की मदद से सबसे ज्यादा फायदा अपना ही होता है। उनके मुताबिक जब कोई शख्स दूसरों के लिए अच्छाई दिखाए तो इसकी वजह से उसकी लाइफ में ये पॉजिटिव बदलाव देखने को मिल सकते हैं-

  • मूड बेहतर होगा- दूसरों के प्रति अच्छाई दिखाने से कई तरह के हैप्पी हॉर्मोन रिलीज होते हैं। ऐसी स्थिति में शख्स खुद के लिए और दूसरों के लिए अच्छा महसूस करता है। दुनिया के प्रति उसकी सोच पॉजिटिव होती है।
  • स्ट्रेस दूर होगा- मुश्किल वक्त में किसी और की मदद करना मन को हल्का कर सकता है। रिसर्च के मुताबिक दूसरों के लिए अच्छाई दिखाने वाले लोग स्ट्रेस से निपटने में बेहतर साबित होते हैं। मुश्किल वक्त में उनके सामने कई रास्ते खुल जाते हैं।
  • कॉन्फिडेंस मिलेगा- लगातर अच्छाई के रास्ते पर चलने से कॉन्फिडेंस बूस्ट होता है। लोगों में ऐसी सोच बनती है कि इस रास्ते पर चलते हुए किसी भी चुनौती से पार पा लेंगे।
  • रिश्ते मजबूत होंगे- जिंदगी में अच्छाई के साथ चलने का सबसे बड़ा फायदा रिश्तों को होता है। दूसरों के प्रति दिखाई गई अच्छाई पर्सनल, प्रोफेशनल और सोशल रिश्ते को मजबूत करती है। ऐसा शख्स कभी अकेला महसूस नहीं करता है।

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