स्पोर्ट्स डेस्क33 मिनट पहले

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इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में पंजाब किंग्स ने गुरुवार को 200 रन का टारगेट रिकॉर्ड छठी बार चेज किया। इस चेज में अनकैप्ड भारतीय शंशाक सिंह ने 61 रन की नॉटआउट पारी खेली। शशांक छत्तीसगढ़ के लिए घरेलू क्रिकेट खेलते हैं और उनके पिता मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में IPS ऑफिसर हैं।

दैनिक भास्कर से खास बातचीत में शशांक ने कहा, पापा का सपना था कि मैं क्रिकेटर बनूं। पापा बचपन में खुद बॉलिंग कर प्रैक्टिस करवाते थे, उन्होंने घर में टर्फ पिच बनवाकर क्रिकेट खेलना सिखाया। जानते हैं भास्कर के सवालों पर शशांक ने क्या कहा…

सवाल- आपके पिता IPS ऑफिसर हैं, उन्होंने क्रिकेट के लिए कितना सपोर्ट किया?
जवाब-
पापा का ही ड्रीम था कि मैं देश के लिए क्रिकेट खेलूं। पापा जब सीनियर SP थे, तब वह मुझे प्लास्टिक बॉल से गेंदबाजी करते थे। आगे चलकर यही मेरा ड्रीम बन गया, मैं बहुत लकी हूं कि मुझे फैमिली का सपोर्ट मिला। बहन, मां और पापा तीनों ने हमेशा ही सपोर्ट किया।

प्रोफेशनल क्रिकेट में कई बार रन नहीं बने तब परिवार ने सपोर्ट किया। उन्होंने कहा कि मैं कर लूंगा, मेहनत करो, आपमें काबिलियत है। पापा और परिवार को मुझ पर बहुत ज्यादा विश्वास है। कई प्लेयर्स को परिवार का सपोर्ट नहीं मिलता लेकिन मैं लकी हूं कि मुझे वो सपोर्ट मिला।

मैं जब 9-10 साल का था, तब पापा की पोस्टिंग भोपाल में हुई। मैंने तभी क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया, पापा ने ही मुझे टेनिस और प्लास्टिक बॉल से बॉलिंग कराकर बैटिंग मजबूत करवाई। जब पापा की पोस्टिंग जबलपुर में हुई तो उन्होंने घर पर ही टर्फ पिच बनवा दी। यहां सीनियर फास्ट बॉलर भी प्रैक्टिस करते थे, उनके सामने बैटिंग का फायदा मिला और अंदर से तेज गेंदबाजों को फेस करने का डर दूर हुआ।

सवाल- मैच के बाद पिता से क्या बात हुई?
जवाब-
पापा ने कॉलेज लेवल क्रिकेट खेला है, उन्हें क्रिकेट देखने का बहुत शौक है। वह यूट्यूब पर भी पुराने मैच के वीडियो ही देखते रहते हैं। वह हमेशा कहते हैं कि मुझे भी क्रिकेट की ज्यादा से ज्यादा वीडियो देखकर अपने गेम में सुधार करना चाहिए। मैच के बाद पापा ने कहा कि कुछ शॉट्स और बेहतर खेले जा सकते थे।

पापा कभी मेरी पारी से संतुष्ट नहीं होते लेकिन गुजरात के खिलाफ मैच के कुछ शॉट्स से वह खुश थे। हर मैच के बाद उनसे बात होती है, वह हमेशा मुझे गाइड करते हैं। फिटनेस और शॉट्स पर भी उनसे हमेशा बात होती है। आप कितने पानी में हो यह पता होना बहुत जरूरी है। क्रिकेट में हमेशा सुधार की गुंजाइश रहती है, ऐसे में पापा से बात करना मुझे अच्छा लगता है।

सवाल- 2017 से आप IPL टीमों का हिस्सा हैं, लेकिन 2022 में आपने डेब्यू किया। ज्यादा मैच नहीं मिलने पर खुद को कैसे संभाले रखा?
जवाब- मैं IPL में सबसे पहले दिल्ली डेयरविल्स (अब दिल्ली कैपिटल्स) से जुड़ा, फिर 2 साल तक राजस्थान के साथ रहा। तीनों साल मुझे प्लेइंग-11 में जगह नहीं मिली। हर सीजन करीब 40-45 दिन बगैर खेले बैठे रहता था। ऐसे में खुद पर सवाल उठने लग जाता है, लगता है कि खुद में IPL लेवल की क्षमता नहीं है।

सच कहूं तो मुझे भी डाउट होता था कि मैं इतने बड़े लेवल पर खेलने का हकदार नहीं हूं। लेकिन आज जब प्लेइंग-11 में मौका मिल रहा है तो जाना कि बाहर बैठने का मतलब ये नहीं कि खिलाड़ी में काबिलियत नहीं है। वो तो टीम कॉम्बिनेशन की वजह से फिट नहीं हो रहे। अभी मैं अगर प्लेइंग-11 का हिस्सा हूं तो कोई और खिलाड़ी बाहर बैठा है, इसका मतलब बस यही है कि उनमें काबिलियत तो है, लेकिन उन्हें सही मौके का इंतजार करना है।

IPL टीमों के साथ जुड़ रहने से भी अनुभव मिलता है। टीम में कई इंटरनेशनल प्लेयर्स रहते हैं, इनके साथ प्रैक्टिस करने से ही बहुत कुछ सीखने को मिलता है। SRH में मुझे ब्रायन लारा सर ने बैक किया, वहां 10 मैच खेले। उन्हें मेरी बैटिंग पसंद थी। पिछले साल इंजर्ड भी रहा, इस साल पंजाब ने खरीदा और प्लेइंग-11 में मौका देकर सपोर्ट भी किया।

घरेलू प्लेयर के रूप में पहले मैच से मौका मिलना मेरे लिए बड़ी बात थी। शिखर धवन ने कहा कि हम आपके साथ हैं, आप बस खुलकर अपना नेचुरल गेम खेलो। मैंने भी वही किया और अपनी टीम को जिताया।

सवाल- आप छत्तीसगढ़ से हैं, पिता MP में हैं और आपने क्रिकेट की शुरुआत मुंबई से की। आप पुड्डुचेरी से भी खेले, इतने राज्य बदलने की जरूरत क्यों पड़ी?
जवाब-
मेरा जन्म भिलाई में हुआ, पापा तब वहीं पोस्टेड थे। अंडर-15 और अंडर-17 एज ग्रुप में मैंने मध्य प्रदेश से क्रिकेट खेला। तब MP और CG की एक ही टीम थी। पापा का ट्रांसफर फिर मुंबई हो गया, वहां काफी टैलेंटेड खिलाड़ी थे। तब पता लगा कि मुझे बहुत सुधार करना है।

मुंबई की व्हाइट बॉल क्रिकेट टीम से खेलने का मौका मिला लेकिन रणजी ट्रॉफी नहीं खेल पाया। वहां सूर्यकुमार, शिवम दुबे, अभिषेक नायर और श्रेयस अय्यर जैसे टैलेंटेड प्लेयर्स थे। उनके सामने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में मौका मिलना मुश्किल था। ऐसे में मैं छत्तीसगढ़ चले गया। CGCA सेक्रेटरी राजेश सर ने काफी मदद की। डीवाई पाटिल टूर्नामेंट में अभय कुरबुला सर ने भी काफी मदद की।

सवाल- क्रिकेट में आदर्श किसे मानते हैं?
जवाब-
जब से क्रिकेट खेलना शुरू किया, तब से टीम इंडिया के लिए खेलने का सपना मन में रखा। एबी डिविलियर्स के खेलने का तरीका काफी पसंद है, वह मुझे बहुत पसंद है। टीम इंडिया में सिलेक्शन अभी मुश्किल है, अभी एक ही बार टीम को जिताया है। पूरा फोकस अब SRH के खिलाफ मैच पर है।

सवाल- ऑक्शन में पंजाब किंग्स ने कहा था कि उन्होंने गलत शशांक सिंह को खरीद लिया। इस पर आपका क्या रिएक्शन था?
जवाब- ऑक्शन के अगले दिन ही पंजाब किंग्स के डायरेक्टर संजय बांगर सर का फोन आया। उन्होंने कहा कि आप शुरुआत से हमारी लिस्ट का हिस्सा थे, हम आपको ही लेना चाहते थे और आपको टीम में शामिल कर खुश हैं। टीम ने हमेशा से घरेलू क्रिकेटर्स पर भरोसा जताया है, मैं शुक्रगुजार हूं कि टीम ने मुझे मौका दिया।

ऑक्शन के बाद शंशाक सिंह और पंजाब किंग्स ने साफ किया था कि टीम से खरीदी में कोई गलती नहीं हुई।

ऑक्शन के बाद शंशाक सिंह और पंजाब किंग्स ने साफ किया था कि टीम से खरीदी में कोई गलती नहीं हुई।

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