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1 घंटे पहले

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ओडिशा की सियासी लड़ाई इस बार रोचक है। करीब ढाई दशक से यहां बीजेडी की सरकार है और नवीन पटनायक मुख्यमंत्री। हालांकि इस बार ओडिशा के चुनाव में जिस ‘शख्सियत’ की सबसे ज्यादा चर्चा है, वे हैं वी. कार्तिकेयन पांडियन। कुछ महीनों पहले आईएएस की नाैकरी से वीआरएस लेकर बीजेडी में शामिल हुए पांडियन पार्टी में पटनायक के बाद नंबर-2 हैं।

इस चुनाव में पांडियन ने बीजेडी की ओर से प्रचार की कमान संभाल रखी है। यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस के सबसे ज्यादा निशाने पर भी वही हैं।

शुक्रवार को भुवनेश्वर से झारसुगुड़ा जाते वक्त उन्होंने दैनिक भास्कर के प्रदीप पांडेय से बीजेडी (बीजू जनता दल) और भाजपा के रिश्तों से लेकर पार्टी की योजनाओं और चुनौतियाें पर खुलकर बात की। बतौर पॉलिटिशियन किसी हिंदी मीडिया से यह पांडियन का पहला इंटरव्यू रहा।

पढ़िए इसके संपादित अंश…

1 – आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए और आते ही बीजेडी के लिए कड़ी चुनौती मिल रही है?

मैंने कभी राजनीति में आने की नहीं सोची थी। कोविड के बाद मुख्यमंत्री जी ने मुझे ग्रीवांस सेल को पूरे राज्य में डिसेंट्रालाइज करने का काम सौंपा तो मैंने पूरे राज्य का दौरा किया। लोगों की शिकायतें सुनीं, उनका निराकरण कराया। फिर मुख्यमंत्री जी ने राजनीति में आने का निर्देश दिया तो मैं उनके सहयोग के लिए राजनीति में आ गया। वैसे भी ब्यूरोक्रेसी हो या पॉलिटिक्स। काम तो दोनों में जनता की सेवा ही है। बाकी रही चुनौती की बात तो, हम जीत रहे हैं।

2- क्या बीजेडी में पटनायक परिवार से कोई नहीं आएगा?
नवीन बाबू पूरे ओडिशा को अपना परिवार मानते हैं। उनके पिता बीजू पटनायक जी ने भी अपने परिवार से किसी को नहीं बढ़ाया। नवीन बाबू उनके निधन के बाद राजनीति में आए।

3- आप तमिलनाडु के हैं, ओडिशा की राजनीति के लिए आउट साइडर नहीं हैं?
आउट साइडर की परिभाषा क्या होगी? मैं जन्म से भारतीय हूं। 24 साल से मेरी कर्मभूमि ओडिशा है, मेरी पत्नी उड़िया हैं। मेरे बच्चों की मातृभाषा ओडिया है। मेरे भगवान महाप्रभु जगन्नाथ हैं और गुरु नवीन बाबू हैं। मैं कैसे आउट साइडर हूं?

4- क्या बीजेडी और भाजपा के बीच कोई समझौता हुआ है?
किसी के आरोप का जवाब नहीं दूंगा, लेकिन बीजेडी पूरा चुनाव पूरे मन और पूरी ताकत से लड़ रही है। पिछले 15 दिन से चुनाव प्रचार चल रहा है। बीजेडी और भाजपा दोनों एक दूसरे पर हमलावर हैं। समझौते में तो ऐसा नहीं होता। दरअसल, नवीन पटनायक भाषा और व्यवहार की लाइन नहीं क्रॉस करते।

5- बीजेडी-भाजपा में कुछ न कुछ तो रिश्ता है, इसे ‘शादी, लिव इन, मैरिज इनकन्वीनियंस या कमिटेड पार्टनर’ क्या कहेंगे?

इन सबसे अलग… दोनों पार्टियों के बीच चुनाव के पहले जो बातचीत हुई वह दो स्टेट्समैन (पीएम नरेंद्र मोदी और नवीन पटनायक) का व्यक्तिगत रिलेशन था। इसका बेसिक कॉन्सेप्ट ओडिशा के लोगों की भलाई है। बाकी हमारी सियासी लड़ाई वॉर रूम से जमीन तक चल रही है।

6- कई मौकों और मुद्दों पर बीजेडी ने भाजपा को सपोर्ट किया, आगे भी ऐसा होगा?
हमने कुछ मौकों पर समर्थन किया तो बहुत से मौकों और मुद्दों पर भाजपा के खिलाफ स्टैंड लिया। हमने किसान बिल का विरोध किया था। एनआरसी के मुद्दे पर भी हमारा रुख अलग है। आप देखिए, किसान बिल को वापस लेना पड़ा, एनआरसी नहीं आया। मुख्यमंत्री पटनायक कह चुके हैं कि एनआरसी ठीक नहीं है। आगे भी जो फैसला देश और ओडिशा के खिलाफ होगा, हम उसका विरोध करेंगे।

7- चुनावी मुद्दों काे लेकर एनडीए को सही मानते हैं या I.N.D.I.A. को?
दोनों बड़े राजनीतिक दल चुनाव ऐसे मुद्दों पर ले गए, जिनका देश की 90 फीसदी आबादी से मतलब नहीं। भाजपा और कांग्रेस दोनों 80-90 के दशक के मुद्दों पर लड़ रही हैं। महंगाई और बेरोजगारी जैसे बेसिक मुद्दे गायब हैं। वर्ल्ड बैंक, आईएलओ सब कह रहे हैं कि भारत में बेरोजगारी 45 साल के सर्वोच्च स्तर पर है।

यूथ, न्यू इंडिया, न्यू वर्ल्ड, फाइनेंशियल सुपर पॉवर बनने और रोजगार पर कब बात होगी? यूथ देश का डेमोग्राफिक डिविडेंट है, उसके इस्तेमाल में हम पिछड़ रहे हैं। राजनीतिक दल कमियां छिपाने के लिए जाति, धर्म, क्षेत्र जैसे संवेदनशील मुद्दे उठा रहे हैं। 2014 और 2019 में भी यहां बीजेपी और कांग्रेस ने एग्रेसिव कैंपेन किया, लेकिन फेल रही। बीजेडी अपनी टेस्टेड रणनीति पर है।​​​​​​​​​​​​​​

8- भाजपा ने दिग्गज नेताओं की फौज उतार दी है, कांग्रेस के भी बड़े नेता आए हैं?
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ये सब इलेक्शन टूरिस्ट हैं। भाजपा के भी और कांग्रेस के भी। हर पांच साल पर आते हैं, आए थे और आगे भी पांच साल बाद ही आएंगे। आप 2022 का पंचायत चुनाव देख लें सभी 30 जिला परिषद हमने जीती थीं। यह हमारा रिपोर्ट कार्ड है।​​​​​​​

8- आपने कहा था कि नवीन बाबू भारत रत्न के बदले समझौता नहीं कर सकते?
मेरा ही नहीं पूरे ओडिशा का मानना है कि बीजू पटनायक जी को बहुत पहले भारत रत्न मिलना चाहिए था। इसमें बहुत देरी हो चुकी है।​​​​​​​​​​​​​​

​​​​​​​9- ज्यादातर विपक्षी दल भाजपा पर ईडी-सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाते हैं, पर बीजेडी इस पर कभी नहीं बोलती?
पिछले विधानसभा चुनाव के पहले (2017-18) में ओडिशा में भी अचानक जांच एजेंसियां जाग गई थीं। तब बीजेडी ने सवाल उठाया था। अभी यहां ऐसा नहीं है, इसलिए नहीं बोल रहे हैं। बीजेडी सियासी लड़ाई में न पुलिस का इस्तेमाल करती है और न सही मानती है।​​​​​​​

10- बीजेडी के कई बड़े नेता भाजपा में चले गए। ऑपरेशन लोटस का खतरा है?
भाजपा खुद अपने को 30-40 से ज्यादा सीटें नहीं दे रही है। असल में उनको इतनी सीटें नहीं मिलेंगी कि वो सरकार बनाने की सोच सकें।​​​​​​​

11- भाजपा कह रही है कि 10 जून को उनका मुख्यमंत्री शपथ लेगा?
आप लिखकर रख लें, नौ जून को नवीन बाबू फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, ऐसा नहीं हुआ तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा। क्या भाजपा नेता ऐसा दावा कर सकते हैं?​​​​​​​

12- क्या बीजेडी जगन्नाथ मंदिर कॉरिडोर निर्माण को चुनावी मुद्दा बनाएगी?
बीजेडी और नवीन बाबू ही नहीं, आम ओडिशा वालों का मानना है कि जो कुछ हुआ वह सब महाप्रभु जगन्नाथ की इच्छा से हुआ। उसका क्रेडिट हम कैसे ले सकते हैं? सीएम ने राज्य में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई के साथ आदिवासियों के आराधनास्थलों का रेनोवेशन करवाया है। पर कभी क्रेडिट नहीं लिया।​​​​​​​

13- ओडिशा में 24 साल से बीजेडी सरकार है, इस बार लोग फिर क्यों आपको चुनें?
कभी ओडिशा का नाम भुखमरी, बच्चों की बिक्री और नक्सली हिंसा के लिए आता था, पर नवीन बाबू ने ओडिशा को बदल दिया। अब लोग इसे बेहतरीन आपदा प्रबंधन सिस्टम, हॉकी स्टेट और इन्वेस्टमेंट हब के रूप में जानते हैं। आगे सबसे बड़ी योजना यूथ के लिए है। देश में पहली बार हम यूथ बजट लाने जा रहे हैं।

पहली बार कोई स्टेट अपना फाइनेंशियल रिसोर्स छात्रों के इस्तेमाल के लिए खोल देगा। एक लाख करोड़ का बजट होगा। इसमें हर साल 1000 करोड़ रुपए का बजट छात्र खुद बनाएंगे। कॉलेजों के छात्र खुद तय करेंगे कि इस्तेमाल कैसे करें। आप देख लीजिएगा इसे दूसरे राज्य फॉलो करेंगे।​​​​​​​

14- आप नवीन पटायक के सियासी उत्तराधिकारी हैं?
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वे मेरे गुरु हैं। मैं सिर्फ मुख्यमंत्री को उनके विजन में असिस्ट करने के लिए राजनीति में आया हूं।

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