नई दिल्ली13 मिनट पहले

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क्या राज्य सरकार निजी संपत्तियों को संविधान के अनुच्छेद 39 बी के तहत ‘समुदाय की संपत्ति’ मानते हुए नियंत्रित करने का अधिकार रखती है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 9 जजों की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच ने बुधवार को इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया।

बेंच 16 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिसमें 1992 में मुंबई स्थित प्रॉपर्टी ओनर्स एसोसिएशन (POA) द्वारा दायर मुख्य याचिका भी शामिल है। POA ने महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डिवेलपमेंट एक्ट (MHADA) अधिनियम के अध्याय VIII-ए का विरोध किया है।

1986 में जोड़ा गया यह अध्याय राज्य सरकार को जीर्ण-शीर्ण इमारतों और उसकी जमीन को अधिग्रहित करने का अधिकार देता है बशर्ते उसके 70% मालिक ऐसा अनुरोध करें। इस संशोधन को प्रॉपर्टी ओनर्स एसोसिएशन की ओर से चुनौती दी गई है।

महाराष्ट्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि MHADA प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 31 सी द्वारा संरक्षित हैं, जिसे कुछ नीति निदेशक तत्वों (DPSP) को प्रभावी करने वाले कानूनों की रक्षा के इरादे से 1971 के 25 वें संशोधन अधिनियम द्वारा डाला गया था।

याचिकाकर्ता बोले- प्रॉपर्टी से बेदखल हाेने का खतरा
प्रॉपर्टी ओनर्स एसोसिएशन (POA) और अन्य ने MHADA अधिनियम के अध्याय VIII-ए को चुनौती देते हुए दावा किया है कि अध्याय के प्रावधान मालिकों के खिलाफ भेदभाव करते हैं और उन्हें बेदखल करने का प्रयास करते हैं। याचिका 1992 में दायर की गई थी और 20 फरवरी, 2002 को 9 जजों की बेंच को भेजे जाने से पहले इसे तीन बार पांच और सात जजों की बड़ी बेंच के पास भेजा गया था।

महाराष्ट्र आवास एवं क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MHADA) का गठन 1948 में किया गया था। विदर्भ को छोड़कर पूरे महाराष्ट्र के रेसिडेंशियल अपार्टमेंट्स MHADA के ज्युरिस्डिक्शन में आते हैं।

महाराष्ट्र आवास एवं क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MHADA) का गठन 1948 में किया गया था। विदर्भ को छोड़कर पूरे महाराष्ट्र के रेसिडेंशियल अपार्टमेंट्स MHADA के ज्युरिस्डिक्शन में आते हैं।

मुंबई में करीब 13 हजार अधिगृहीत इमारतें हैं
मुंबई में करीब 13 हजार अधिगृहीत इमारतें हैं जिनके मैंटेनेंस या फिर से बनाने की जरूरत है। हालांकि, किरायेदारों के बीच या डेवलपर नियुक्त करने पर मालिकों और किरायेदारों के बीच मतभेद के कारण इस काम में अक्सर देरी होती है।

क्या है महाराष्ट्र सरकार का कानून?
राज्य सरकार इमारतों की मरम्मत के लिए महाराष्ट्र आवास एवं क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MHADA) कानून 1976 के तहत इन मकानों में रहने वाले लोगों पर उपकर लगाता है। इसका भुगतान मुंबई भवन मरम्मत एवं पुनर्निर्माण बोर्ड (MBRRB) को किया जाता है, जो इन इमारतों की मरम्मत का काम करता है।

अनुच्छेद 39 (B) के तहत दायित्व को लागू करते हुए MHADA अधिनियम को साल 1986 में संशोधित किया गया था। इसमें धारा 1A को जोड़ा गया था, जिसके तहत भूमि और भवनों को प्राप्त करने की योजनाओं को क्रियान्वित करना शामिल था, ताकि उन्हें जरूरतमंद लोगों को हस्तांतरित किया जा सके।

संशोधित MHADA कानून (Maharashtra Housing and Space Improvement Authority Act) में अध्याय VIII-A है में प्रावधान है कि राज्य सरकार अधिगृहीत इमारतों और जिस भूमि पर वे बनी हैं, उसका अधिग्रहण कर सकती है, यदि 70 प्रतिशत रहने वाले ऐसा अनुरोध करते हैं।

बेंच में ये जज शामिल
बेंच में CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस बी वी नागरत्ना, जस्टिस सुधांशु धूलिया, जस्टिस जे बी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल हैं। बेंच ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और तुषार मेहता सहित कई वकीलों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।

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