SC ने पूछा- जमानत के लिए निचली अदालत में क्यों नहीं गए केजरीवाल, वकील बोले- गिरफ्तारी ही अवैध थी

नई दिल्ली:

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के वकील ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उनकी गिरफ्तारी अवैध है. वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दिसंबर, 2023 तक 10 दस्तावेजों में उनका नाम शामिल नहीं था. मनी लॉन्ड्रिंग (Cash laundering) रोकथाम कानून के अनुसार बिना किसी बयान और रिकॉर्डिंग के उन्हें गिरफ्तार किया गया है.  उन्होंने कहा कि गिरफ्तार करने की शक्ति गिरफ्तार करने की आवश्यकता के समान नहीं है. अपराध को सामने लाना होगा, केवल संदेह के आधार पर कार्रवाई नहीं हो सकती है. धारा 45 पीएमएलए की कुछ सीमाएं भी हैं. 

सीएम केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और अंतरिम रिहाई के लिए एक आवेदन दायर किया है, जिसमें तर्क दिया गया है कि गिरफ्तारी अवैध है, उसके बाद हिरासत में रखा जाना भी गैरकानूनी है.

यह भी पढ़ें

यह पूछे जाने पर कि केजरीवाल ने निचली अदालत में जमानत के लिए याचिका क्यों नहीं दायर की, सिंघवी ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ को बताया कि उन्होंने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है क्योंकि इसका “व्यापक क्षेत्राधिकार” है.

21 मार्च को हुई थी गिरफ्तारी

दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सुरक्षा देने से इनकार करने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया था. मुख्यमंत्री फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं. अरविंद केजरीवाल की तरफ से गिरफ्तारी के खिलाफ कहा गया है कि अदालत द्वारा सुरक्षा देने से इंकार करना गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकता.  

अपने हलफनामे में केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी को राजनीति से प्रेरित बताते हुए इसकी निंदा की है और तर्क दिया है कि इसका उद्देश्य मौजूदा आम चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ दल को अनुचित लाभ पहुंचाना है.  उन्होंने तर्क दिया कि यह मामला राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का एक प्रमुख उदाहरण है. 

प्रवर्तन निदेशालय ने तर्क दिया है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी उनके “पूर्ण असहयोगात्मक रवैये” के कारण आवश्यक हो गई थी.  हलफनामे में कहा गया है कि केजरीवाल 9 बार तलब किए जाने के बावजूद जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित नहीं होकर पूछताछ से बच रहे थे और पीएमएलए की धारा 17 के तहत अपना बयान दर्ज करते समय, वह टालमटोल और असहयोग कर रहे थे. इस मामले की सुनवाई कल भी जारी रहेगी.

ये भी पढ़ें-: 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here