अंकारा30 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
हार के बाद एर्दोगन ने कहा- यह अंत नहीं है। यह सिर्फ एक मोड़ है। हम फिर जीतेंगे। (फाइल) - Dainik Bhaskar

हार के बाद एर्दोगन ने कहा- यह अंत नहीं है। यह सिर्फ एक मोड़ है। हम फिर जीतेंगे। (फाइल)

2003 से तुर्किये में सरकार चलाने वाले प्रेसिडेंट रिसेप तैयप एर्दोगन को सियासी तौर पर सबसे बड़ी हार मिली है। लोकल बॉडी इलेक्शन यानी स्थानीय निकाय चुनाव में उनकी पार्टी तमाम बड़े शहरों में हार गई है। इस्तांबुल और अंकारा में भी एर्दोगन की पार्टी हार गई है।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक- इन नतीजों का मुल्क की सियासत पर गहरा असर होने वाला है। सिर्फ एक साल पहले एर्दोगन ने तीसरा टर्म शुरू किया है और इस वक्त यह हार होना विपक्ष को मजबूत और प्रेसिडेंट एर्दोगन को कमजोर करने का साफ इशारा है।

स्काय न्यूज के मुताबिक- 81 लोकल बॉडीज में से 36 पर विपक्ष जीत हासिल कर चुका है। कुछ रिपोर्ट्स में यह संख्या 49 भी बताई गई है।

खुद कैम्पेन के लिए उतरे

  • CNN की रिपोर्ट के मुताबिक- इस्तांबुल और अंकारा के अलावा कई शहरों में प्रेसिडेंट खुद कैम्पेन के लिए निकले। इस्तांबुल में वो पैदा हुए और यहां के मेयर भी रहे। लेकिन, विपक्षी नेता एकरेम इमामोग्लू की पार्टी सीएचपी ने 2019 की जीत दोहरा दी। एर्दोगन की एके पार्टी तमाम बड़े शहरों में इलेक्शन हार गई।
  • रिपोर्ट्स के मुताबिक- अंकारा के नतीजे ऑफिशियली डिक्लेयर नहीं किए गए हैं, लेकिन यहां विपक्षी उम्मीदवार करीब 60% वोट्स से आगे हैं। इसके बाद सीएचपी के समर्थक सड़कों पर जश्न मनाते देखे गए।
  • इजमिर, अदाना और एंताल्या जैसे टूरिस्ट प्लेस पर भी सीएचपी और रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी के कैंडिडेट्स जीते हैं। पहले इन शहरों के मेयर या दूसरे लोकल बॉडी रिप्रेजेंटेटिव्स एर्दोगन की पार्टी के ही थे।
विपक्षी नेता एकरेम इमामोग्लू की पार्टी सीएचपी ने 2019 की जीत दोहरा दी। उन्होंने कहा- अब हमारी नजर 2028 के प्रेसिडेंशियल इलेक्शन पर है। (फाइल)

विपक्षी नेता एकरेम इमामोग्लू की पार्टी सीएचपी ने 2019 की जीत दोहरा दी। उन्होंने कहा- अब हमारी नजर 2028 के प्रेसिडेंशियल इलेक्शन पर है। (फाइल)

नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं

  • फिलहाल, तमाम नतीजे आधिकारिक तौर पर जारी नहीं किए गए हैं, लेकिन एर्दोगन ने एक तरह से हार कबूल कर ली है। उन्होंने समर्थकों से कहा- हमें जैसी उम्मीद थी, वैसे नतीजे नहीं आए। हम मायूस जरूर हैं, लेकिन यह सिर्फ एक टर्निंग पॉइंट है। जनता ने जो मैसेज हम तक वोट के जरिए पहुंचाया है, उसे समझना जरूरी है। आने वाले वक्त में हम इसे ध्यान में रखकर फैसले करेंगे।
  • सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक- एर्दोगन तुर्किये की सत्ता पर 21 साल से काबिज हैं और उन्हें ही सबसे ज्यादा ताकतवर माना जाता है। उन्होंने प्राइम मिनिस्टर के कुछ अधिकार भी खत्म कर दिए थे। लेकिन, इस देश में लोकल बॉडीज के नतीजे यह बताने के लिए काफी हैं कि जनता का मूड किस तरफ है। बढ़ती महंगाई और कुछ कट्टरपंथी फैसले अब लोगों को हजम नहीं हो रहे हैं। ताजा नतीजे इसी तरफ इशारा करते हैं।
इस्तांबुल में जीत का जश्न मनाते विपक्षी नेता एकरेम इमामोग्लू की पार्टी सीएचपी के समर्थक।

इस्तांबुल में जीत का जश्न मनाते विपक्षी नेता एकरेम इमामोग्लू की पार्टी सीएचपी के समर्थक।

क्या होगा असर

  • बीबीसी के मुताबिक- ज्यादातर शहरों में अब विपक्ष के मेयर होंगे। एक तरफ जहां एर्दोगन कट्टरपंथी एजेंडा लागू करना चाहते हैं, वहीं विपक्ष सेक्युलर अप्रोच चाहता है। लोकल बॉडी इलेक्शन के नतीजे यह बताने के लिए काफी हैं कि लोगों का रुझान अब ज्यादा आजादी और अधिकार मांगने की तरफ है।
  • यहां मेयर लोकल ही नहीं बल्कि नेशनल पॉलिटिक्स में भी खासा असर रखते हैं, क्योंकि एजेंडा यहीं से तय होता है। कैम्पेन के दौरान एर्दोगन ने कहा था- बतौर राष्ट्रपति यह मेरा आखिरी टर्म है जो 2028 में खत्म होगा। इसके पहले मैं देश में कई सुधार करना चाहता हूं।

खबरें और भी हैं…

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here