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  • Two Festivals In One Day: At present Is Vrish Sankranti And Ganga Saptami, Bathing And Donation Completed In This Conjunction Offers Everlasting Advantage

34 मिनट पहले

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15 मई, मंगलवार को दो पर्व एक साथ रहेंगे। इस दिन सूर्य राशि बदलकर वृष में आएगा, इसलिए वृष संक्रांति पर्व मनेगा। साथ ही वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी भी रहेगी। जिसे गंगा सप्तमी कहते हैं। इस तरह ये दिन स्नान-दान, व्रत और पूजा-पाठ के लिहाज से बहुत खास रहेगा।

स्कंद पुराण में इस संयोग को महापर्व कहा गया है। इस दिन किए गए शुभ कामों से अक्षय पुण्य मिलेगा।

मंगलवार को सूर्योदय के साथ वैशाख महीने की सप्तमी तिथि शुरू हो जाएगी। इस तिथि के स्वामी सूर्य हैं, इसलिए इस दिन स्नान-दान, व्रत और सूर्य देव की पूजा की जाएगी।

नारद और पद्म पुराण के मुताबिक इस दिन सूर्य देव की पूजा और व्रत करने से उम्र बढ़ती है, बीमारियां दूर होती हैं और हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।

महापर्व: संक्रांति पर गंगा सप्तमी का संयोग
सूर्य संक्रांति पर किए गए स्नान-दान और व्रत का कई गुना पुण्य मिलता है। सूर्य के राशि परिवर्तन वाले इस पर्व पर सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। संक्रांति को पुराणों में पर्व कहा गया है। वहीं, गंगा सप्तमी गंगा नदी में नहाने को महा स्नान कहा गया है। इनका संयोग बनने से दिन महापर्व बन जाता है।

महापर्व पर स्नान-दान से अक्षय पुण्य
संक्रांति और गंगा सप्तमी के संयोग में तीर्थ स्नान करने का विधान है। तीर्थ में न जा पाएं तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहा सकते हैं। इस तरह विशेष तिथि और पर्व के शुभ संयोग में किए गए स्नान से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।

संक्रांति पर जरुरतमंद लोगों को दान देने की परंपरा है। ज्येष्ठ महीने की एकादशी होने से इस दिन तिल और जल का दान करना बहुत पुण्य फलदायी होता है। इस संयोग में जरुरतमंद लोगों को खाना खिलाएं। मौसम के मुताबिक कपड़े, छाता और जूते-चप्पल का दान करें। ऐसा करने से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता है।

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