24 मिनट पहलेलेखक: संदीप सिंह

  • कॉपी लिंक

डिजिटलाइजेशन के इस दौर में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करना पहले से कहीं ज्यादा सुविधाजनक और आसान हो गया है। इसमें UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) एक गेम चेंजर की तरह उभरा है।

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCA) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत में जुलाई, 2024 में UPI के जरिए 1,443 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए। इस ट्रांजैक्शन के जरिए कुल 20.64 लाख करोड़ रुपए की राशि ट्रांसफर की गई।

UPI के बढ़ते इस्तेमाल के चलते इसे लेकर फ्रॉड की घटनाएं भी देखने को मिल रही हैं। साइबर क्रिमिनल्स लोगों को ठगने का रोज एक नया तरीका ईजाद कर रहे हैं। इस कड़ी में नया स्कैम है- ‘UPI ऑटो-पे रिक्वेस्ट स्कैम।’

इस स्कैम में UPI ऑटो-पे रिक्वेट को मंजूरी देते ही अकाउंट से पैसे स्कैमर्स के खाते में ट्रांसफर हो जाते हैं।

इसलिए आज जरूरत की खबर में बात करेंगे UPI ऑटो-पे रिक्वेस्ट स्कैम क्या है? साथ ही जानेंगे कि-

  • UPI ऑटो-पे रिक्वेस्ट स्कैम से कैसे बच सकते हैं?
  • UPI के जरिए होने वाले स्कैम में क्या कॉमन है?

एक्सपर्ट: ईशान सिन्हा, साइबर एक्सपर्ट (नई दिल्ली)

सवाल- UPI ऑटो-पे फीचर क्या है?

जवाब- NPCI ने जुलाई, 2020 में ‘UPI ऑटो-पे’ फीचर लॉन्च किया था। इस फीचर की मदद से हर महीने के स्थायी खर्च जैसे मोबाइल रिचार्ज, म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट, लोन, क्रेडिट कार्ड बिल पेमेंट या OTT सब्सक्रिप्शन प्लान की तारीखों को बिना मिस किए पेमेंट ऑटोमैटिक हो जाता है। इसके लिए यूजर को पेमेंट का समय और तारीख सेट करनी होती है। इसका इस्तेमाल करके यूजर लेट फीस या जुर्माने से बच सकते हैं।

सवाल- UPI ऑटो-पे रिक्वेस्ट स्कैम क्या है?

जवाब- साइबर एक्सपर्ट ईशान सिन्हा बताते हैं कि इस स्कैम में स्कैमर्स UPI यूजर को एक ऑटो-पे रिक्वेस्ट भेजते हैं। इसके बाद कोई झूठी कहानी सुनाकर झांसे में लेने की कोशिश करते हैं।

जैसे आपका बिजली का बिल जमा नहीं हुआ है या फिर आपके OTT का सब्सक्रिप्शन खत्म होने वाला है। आमतौर पर ये रिक्वेस्ट ऐसी कंपनियों के नाम से होती हैं, जो हर महीने कलेक्ट मनी या ऑटो-पे रिक्वेस्ट भेजती हैं।

मिलती-जुलती रिक्वेस्ट होने की वजह से यूजर आसानी से स्कैमर्स के झांसे में आ जाते हैं और रिक्वेस्ट को एप्रूव कर देते हैं और स्कैम का शिकार हो जाते हैं।

सवाल- UPI ऑटो-पे रिक्वेस्ट स्कैम से कैसे बच सकते हैं?

जवाब- ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म के रूप में UPI की शुरूआत ने हमारे दैनिक लेन-देन को और अधिक सरल बना दिया है। लेकिन भारत में UPI फ्रॉड के मामले भी आम होते जा रहे हैं।

वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2022-23 में UPI फ्रॉड के 95,000 से अधिक मामले सामने आए।

साइबर क्रिमिनल UPI फ्रॉड के अधिकांश मामलों में यूजर को डर, लालच या इमोशनली ब्लैकमेल करते हैं। UPI फ्रॉड का शिकार होने से बचने के लिए हमेशा सतर्क और इन स्कैम के अलग-अलग तरीकों को लेकर जागरूक रहने की जरूरत है।

नीचे दिए ग्राफिक से समझिए कि UPI ऑटो-पे रिक्वेस्ट स्कैम से कैसे बच सकते हैं।

इसके अलावा यूजर किसी मैसेज, वेबसाइट, ऐप की ऑथेंटिसिटी जांचने के लिए नॉर्टन जिनी (Norton Genie) ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह ऐप ईमेल, सोशल मीडिया मैसेज और टेक्सट मैसेजिंग के माध्यम से प्राप्त धोखाधड़ी वाले मैसेज से बचाने में मदद करता है।

सवाल- UPI ID के जरिए साइबर क्रिमिनल्स किस तरह लोगों के साथ फ्रॉड करते हैं?

जवाब- साइबर क्रिमिनल्स यूजर को अपना शिकार बनाने के लिए फिशिंग, सिम स्वैपिंग या नकली UPI ID बनाने जैसे हथकंडे अपनाते हैं।

नीचे दिए ग्राफिक से समझिए।

सवाल- साइबर क्रिमिनल्स UPI फ्रॉड को अंजाम कैसे देते हैं?

जवाब- साइबर एक्सपर्ट ईशान सिन्हा बताते हैं कि अधिकांश मामलों में देखा गया है कि UPI स्कैम में स्कैमर्स एक ही तरह के पैटर्न को फॉलो करते हैं।

नीचे दिए इन स्टेप्स से इसे समझ सकते हैं।

स्टेप 1: साइबर क्रिमिनल आमतौर पर टेक्सटिंग या ईमेल की बजाय यूजर को कॉल करते हैं। खुद को एक बैंक प्रतिनिधि या पेमेंट ऐप का कस्टमर केयर अधिकारी बताते हैं।

स्टेप 2: वेरिफिकेशन के नाम पर वह आपकी जन्मतिथि, नाम, ईमेल जैसे प्रश्न पूछते हैं।

स्टेप 3: अधिकांश मामलों में देखा गया है कि हैकर्स आपसे बात करने के लिए ऐप या वेबसाइट में तकनीकी दिक्कत बताते हैं। वे आमतौर पर झूठी कहानियां बुनते हैं।

स्टेप 4: जब स्कैमर आपको अपने झांसे में ले लेता है तो यूजर को फोन पर एक एप्लिकेशन डाउनलोड करने के लिए कहता है। इनमें से कुछ ऐप्स AnyDesk और ScreenShare हैं, जो Google Play Retailer पर उपलब्ध हैं।

स्टेप 5: AnyDesk या इस तरह के एप्लिकेशन को डाउनलोड करते समय यह अन्य ऐप्स की तरह प्राइवेसी की परमिशन मांगते हैं।

स्टेप 6: जब ऐप सभी जरूरी परमिशन ले लेता है तो स्कैमर यूजर की जानकारी के बिना उसके फोन को हैक कर लेता है और UPI अकाउंट से लेन-देन शुरू कर देता है।

सवाल- किसी की UPI आईडी कैसे पता की जा सकती है?

जवाब- UPI आईडी में आमतौर पर UPI प्रोवाइडर एक्सटेंशन के बाद फोन नंबर होता है। साइबर क्रिमिनल्स इसी का फायदा उठाते हैं।

जब आप ई-शॉपिंग, रेस्तरां, मॉल या किसी अनऑथराइज्ड वेबसाइट पर अपना मोबाइल नंबर रजिस्टर कराते हैं तो इसी डेटा को साइबर क्रिमिनल्स चोरी कर लेते हैं। इसके जरिए UPI ID को क्रैक करना आसान है।

इसलिए हमेशा इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसेकि-

  • UPI ऐप्स ओपन करने से पहले फोन लॉक स्क्रीन पासवर्ड जरूर लगाएं।
  • अपनी ट्रांजैक्शन डिटेल्स की हिस्ट्री की नियमित जांच करते रहें।
  • फोन या लैपटॉप को हमेशा सिक्योर वाई-फाई कनेक्शन से ही कनेक्ट करें।
  • डिजिटल ट्रांजैक्शन करने वाले लोगों को पब्लिक प्लेस जैसे रेस्तरां, मॉल, सिनेमा हॉल में मोबाइल नंबर देते समय अधिक सचेत रहना चाहिए।
  • इसके अलावा अनजान वेबसाइट्स या ऐप्स पर मोबाइल नंबर रजिस्टर करने से बचना चाहिए।
  • फाइनेंशियल सिक्योरिटी के लिए अपना UPI पिन नियमित बदलना चाहिए।
  • अगर UPI को लेकर कोई धोखाधड़ी नजर आए तो तुरंत अपने बैंक से संपर्क करना चाहिए।
  • स्कैमर्स के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 से संपर्क कर सकते हैं।

खबरें और भी हैं…

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here