3 घंटे पहले

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अभी वैशाख मास चल रहा है और इस मास की अमावस्या तिथि को लेकर पंचांग भेद हैं। दरअसल, इस बार तिथियों की घट-बढ़ होने से वैशाख अमावस्या दो दिन 7 और 8 मई को रहेगी। ये तिथि 7 मई की सुबह 10.45 बजे से शुरू होगी और 8 की सुबह 8.45 तक रहेगी। इसे सतुवाई अमावस्या कहते हैं।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा से जानिए वैशाख अमावस्या से जुड़ी खास बातें…

अमावस्या के स्वामी हैं पितर देवता

अमावस्या तिथि के स्वामी पितर देवता माने गए हैं। पितर देवता यानी हमारे घर-परिवार के मृत सदस्य। परिवार के मृत सदस्यों की आत्म शांति के लिए अमावस्या पर धूप-ध्यान करने की परंपरा प्रचलित है। हर महीने की अमावस्या तिथि पर दोपहर में पितरों के लिए विशेष धूप-ध्यान और दान-पुण्य करना चाहिए।

ध्यान रखें पितरों के लिए धूप-ध्यान दोपहर में ही करना चाहिए, क्योंकि सुबह का समय देवी-देवताओं की पूजा के लिए श्रेष्ठ रहता है और दोपहर का समय पितरों के लिए धूप-ध्यान करने का होता है।

पितरों के लिए कब करें धूप-ध्यान

वैशाख मास की अमावस्या 7 मई और 8 मई को रहेगी। ये तिथि 7 मई की सुबह करीब 10.45 बजे से शुरू होगी और अगले दिन यानी 8 मई की सुबह 8.45 पर खत्म हो जाएगी। पितरों के लिए धूप-ध्यान दोपहर में ही किए जाते हैं, इसलिए 7 मई का दिन धूप-ध्यान करने के लिए श्रेष्ठ है।

पितरों के लिए कैसे करें धूप-ध्यान

धूप-ध्यान करने के लिए दोपहर में गोबर के कंडे जलाएं और जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए तब पितरों का ध्यान करते हुए गुड़ और घी से धूप अर्पित करें। इस दौरान घर के पितरों का ध्यान करते रहना चाहिए। हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से जल चढ़ाना चाहिए।

वैशाख अमावस्या पर कर सकते हैं ये शुभ काम भी

  • अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। स्नान के बाद नदी किनारे दान-पुण्य जरूर करें।
  • वैशाख अमावस्या पर जरूरतमंद लोगों को जूते-चप्पल और छाते का दान भी करें।
  • हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • किसी मंदिर में पूजन सामग्री का दान करें। पूजन सामग्री जैसे धूप बत्ती, घी, तेल, हार-फूल, भोग के लिए मिठाई, कुमकुम, गुलाल, भगवान के लिए वस्त्र आदि।

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