नई दिल्ली3 घंटे पहले

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इंजेक्शन के एक शॉट से प्रेग्नेंट महिलाओं में एनीमिया को दूर किया जा सकता है। दिल्ली एम्स में पिछले 2 सालों में इस पर रिसर्च किया गया है जो कि सफल रहा है।

डॉक्टरों ने गंभीर रूप से एनीमिया से पीड़ित महिलाओं को फेरिक कारबॉक्सी माल्टोज (FCM) का सिंगल शॉट दिया। आयरन के एक सिंगल शॉट से ही महिलाओं में एनीमिया को ठीक किया गया है।

अब तक फेरिक कारबॉक्सी माल्टोज (FCM) का इंजेक्शन कैंसर और क्रॉनिक किडनी डिजीज से पीड़ित लोगों में आयरन की कमी को दूर करने में किया जाता रहा है।

एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि एनीमिया गंभीर हो या सामान्य एफसीएम इंजेक्शन प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए ज्यादा प्रभावकारी और सुरक्षित है।

इसे देखते हुए ही फरवरी 2024 में एफसीएम इंजेक्शन को एनीमिया मुक्त भारत प्रोग्राम में शामिल किया गया है। इसका मकसद प्रेग्नेंट महिलाओं में आयरन की कमी दूर करना है।

खून चढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ती

यदि हीमोग्लोबीन काउंट 7g/dl से कम है और प्रेग्नेंसी में 34 सप्ताह का समय है तब ब्लड ट्रांसफ्यूजन यानी खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। हीमोग्लोबीन की मात्रा 5g/dl से भी कम होने पर प्रेग्नेंट महिला की जान तक जा सकती है।

एनीमिया के गंभीर रूप लेने से पहले ही मरीज को खून चढ़ाना पड़ता है। साथ ही लेबर पेन से पहले ही एनीमिया को दूर करना होता है।

ए्म्स के कम्यूनिटी मेडिसिन के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. कपिल यादव बताते हैं कि खून चढ़ाने की जगह एफसीएम का इंजेक्शन ही काफी है।

5,000 रुपए का इंजेक्शन मात्र 300 रुपए में

एफसीएम इंजेक्शन नया नहीं है। दुनिया के दूसरे देशों में इस इंजेक्शन का इस्तेमाल एनीमिया पीड़ितों के इलाज के लिए किया जाता रहा है। भारत में बेल्जियम और स्वीडन से इस इंजेक्शन को खरीदा जाता था।

एक इंजेक्शन की कीमत 3,000-5,000 रुपए पड़ती। महंगा होने की वजह से इसका इस्तेमाल कम हो पाता। डॉ. कपिल बताते हैं कि भारत में इस इंजेक्शन को लेकर 2013 से ही रिसर्च चल रहा था। इसमें सफलता मिली और एफसीएम का इंडीजेनस मॉलिक्यूल तैयार किया गया है।

इसके एक इंजेक्शन की कीमत 300 रुपए है जो कि विदेशों में तैयार इंजेक्शन से काफी सस्ता है। इस इंजेक्शन को कई जांचों से गुजारा गया है और इसे एनीमिया से पीड़ित गर्भवती महिलाओं के इलाज में लाया जा सकता है।

देसी आयरन इंजेक्शन में कोई साइड इफेक्ट नहीं

डॉ. कपिल बताते हैं कि गंभीर एनीमिया से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए पहले 5-6 इंजेक्शन दिए जाते थे। लेकिन इसके साइड इफेक्ट का रिस्क अधिक रहता। सबसे बड़ा खतरा एलर्जिक रिएक्शन का होता है जिसे ‘एनाफाईलैक्सिस’ कहते हैं। यह जानलेवा हो सकता है।

एनाफाईलैक्सिस होने पर हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम कई तरह के केमिकल्स छोड़ता है जिसे शरीर बर्दाश्त नहीं कर पाता।

शरीर में सूजन, चकत्ते आना, सांस लेने में परेशानी, खाना निगलने या पानी पीने में भी परेशानी जैसे लक्षण होते हैं।

लेकिन देसी आयरन इंजेक्शन का कोई साइड इफेक्ट नहीं है।

भारत में 50% से अधिक गर्भवती महिलाओं में खून की कमी

पूरी दुनिया में प्रेग्नेंट महिलाओं में खून की कमी पाई जाती है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार, पूरी दुनिया में 40% प्रेग्नेंट महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं।

भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान जैसे देशों में तो इनकी संख्या और अधिक है। 2019 में भारत में 50% प्रेग्नेंट महिलाएं एनीमिक मिलीं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस-5) के अनुसार, 52.2% भारतीय प्रेग्नेंट महिलाएं एनीमिक थीं।

प्रेग्नेंसी में एनीमिया के 75% केस में आयरन की कमी (आयरन डिफिशिएंसी एनीमिया) सबसे प्रमुख है।

गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. गायित्री तिवारी बताती हैं कि प्रेग्नेंसी में आयरन की कमी अधिक होती है। इसका कारण यह है कि गर्भवती महिला और उसके पेट में पल रहे शिशु को ज्यादा आयरन की जरूरत होती है जिसे शरीर पूरा नहीं कर पाता।

दूसरे और तीसरे ट्राइमेस्टर में मां को आयरन की अधिक जरूरत पड़ती है क्योंकि इस पीरियड में अधिकतर आयरन गर्भ में पल रहे भ्रूण को चला जाता है।

7 से नीचे हीमोग्लोबीन रहने पर गंभीर एनीमिया

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, प्रेग्नेंट महिलाओं का हीमोग्लोबीन लेवल 10 से 10.9 g/dL है तो उसे मामूली एनीमिक माना जाता है। यदि हीमोग्लोबीन लेवल 7.0 से 9.9 के बीच है तो मॉडरेट एनीमिया माना जाता है। लेकिन यदि प्रेग्नेंट महिला का हीमोग्लोबीन लेवल 7 से नीचे है तो उसे गंभीर एनीमिक माना जाता है।

एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. रवि मेहरोत्रा बताते हैं कि हमारे शरीर में रेड ब्लड सेल्स बनाने में आयरन काफी महत्वपूर्ण है। आयरन की कमी होने पर स्वस्थ रेड ब्लड सेल्स नहीं बन पाएंंगे।

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