20 घंटे पहलेलेखक: मरजिया जाफर

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खाने में टेम्परिंग यानी तड़के की खुशबू के दीवाने हो जाते हैं। खाने की लज्जत बढ़ाने के लिए तड़का जरूरी है। बिना छौंक लगाएं खाने का स्वाद नहीं आता है। लेकिन खाने में तड़का सिर्फ स्वाद बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद है। आयुर्वेद में बी खाने में तड़का लगाने को तरजीह दी गई है। भारतीय पकवानों में तड़का लगाने के लिए आयुर्वेदिक मसाले का इस्तेमाल करते हैं, जो एंटीऑक्सीडेंट्स और न्यूट्रिशन से लैस हैं। अलग-अलग तरह के मसालों से तड़का लगाने के अलग-अलग फायदे भी मिलते हैं। इसलिए खाने में छौंका या तड़का लगाने के पीछे भी ढ़ेर सारे स्वास्थ्य लाभ हैं। जान जहान में डॉ. आर पी पराशर से जानते हैं स्वाद और सेहत के तड़के के बारे में।

कटहल-कटहल की सब्जी में अदरक, लहसुन, हींग और जीरा का तड़का लगाना चाहिए। कटहल भी एक गरिष्ठ सब्जी है, जिसे पचाने के लिए पेट को एक्ट्रा एफर्ट करना पड़ता है। लहसुन, हींग और जीरा पेट की पाचन क्षमता को बढ़ाकर पेट का काम आसान कर देते हैं।

अरबी-अरवी की सब्जी में अजवाइन का तड़का इसलिए लगाते हैं क्योंकि अरवी की सब्जी से पेट में गर्मी और गैस बढ़ती है, जिसे रोकने के लिए अजवाइन बहुत फायदेमंद है।

कढ़ी-कढ़ी में हींग, मेथी और कड़ी पत्ते का तड़का लगाना चाहिए। बेसन या चने की दाल मुश्किल से और देर में डाइजेस्ट होता है इसलिए हींग और मेथी के दाने इस काम में पेट की मदद करते हैं और कढ़ी का स्वाद भी बढ़ाते हैं।

चना दाल-चने की दाल में जीरा, तेजपत्ता, दालचीनी, जीरा का तड़का लगाना चाहिए। चने की दाल भी हार्ड होती है इसे खाने से कई बार पेट में गैस बनना, पेट फूलने और दूसरी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए चने की दाल के साथ लौकी को मिलाकर भी बनाते हैं।

अरहर दाल-अरहर की दाल बनाने में देसी घी, लहसुन और जीरे का छोका लगाना चाहिए। अरहर की दाल को आयुर्वेद में गर्म तासीर का माना गया है। ये पेट में जाकर गर्मी न करे इसलिए इसके तड़के में घी और जीरा का बड़ा महत्व है। ये तड़का दाल का स्वाद भी बढ़ाता है।

अलग-अलग किस्मों का तड़का

हल्दी, धनिया, मिर्च, प्याज, लहसुन, अदरक, हींग और जीरा का तड़का जरूर लगाया जाता है। ये सभी मसाले आयुर्वेदिक हिसाब से फायदेमंद हैं। इन मासलों में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो इम्यूनिटी को बूस्ट करते हैं। रोजना खाने में इन तड़कों का इस्तेमाल करने से पेट और शरीर सेहतमंद रहता है। इनमें से कई मसाले ऐसे भी हैं, जो डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट की बीमारियों, कोलेस्ट्रॉल, किडनी के रोग, पथरी, कैंसर को रोकने में अहम हैं।

हींग जीरा और लाल मिर्च तड़का

यूपी में दालों में खासकर हरी सब्जियों में यह तड़का लगाया जाता है। पहले देशी घी में हींग को भूनकर खड़ी मिर्च डालकर इसे दाल में डालकर ढक देते हैं। दाल के अलावा खिचड़ी में भी इसे लगाया जा सकता है।

हींग मेथी खड़ी मिर्च का तड़का

कद्दू की सब्जी और कढ़ी बनाने में यह तड़का लगाते हैं। घी गर्म करके हींग भूनकर मेथी दाना डालकर भूनते हैं। फिर खड़ी लाल मिर्च डालकर तड़के में कद्दू की सब्जी या कढ़ी छौंक देते हैं।

अजवाइन का तड़का

भिंडी की सब्जी या अरबी की सब्जी से बनाई जाती है। सरसों के तेल को गर्म करके अजवाइन भूनकर अरबी या भिंडी की सब्जी बनाएं।

पंचफोरन का तड़का

उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में इस तड़के का इस्तेमाल करते हैं। इसे बनाने के लिए सौंफ, कलौंजी, जीरा मेथी दाना और सरसों को देशी घी में भूनते हैं और पका लेते हैं। इस तड़के से बना बैंगन तथा कद्दू का स्वाद ही निराला होता है।

अलग-अलग मसालों से तड़का लगाने के अलग फायदे भी मिलते हैं।

अलग-अलग मसालों से तड़का लगाने के अलग फायदे भी मिलते हैं।

लहसुन-अदरक का तड़का

बिहार में पकवानों को लजीज बनाने के लिए जैसे आलू का चोखा, बैंगन का भर्ता, जिमीकंद की चटनी में इस्तेमाल करते हैं।

पंजाबी खाने राजमा, छोले और दाल मक्खनी में भी लहसुन-अदरक का तड़का लगाया जाता है। यह सभी चीजें क्योंकि गैस बनाने वाली होती है, इसलिए लहसुन और अदरक के इस्तेमाल से इनका बादी पन कम होता है।

हींग-राई और करी पत्ते का तड़का

साउथ इंडियन, महाराष्ट्रीयन और गुजराती व्यंजनों में हींग-राई और करी पत्ते का तड़का लगाते हैं। जैसे पोहा, बटाटा, ढोकला, खांडवी, उपमा, मुठिया, दही बड़ा। रायता में देशी घी में राई चटकाकर हींग और करी पत्ते का तड़का लगाते हैं मूंग की दाल, अरहर की दाल या कढ़ी में भी लगाया जा सकता है।

छौंका या तड़का लगाने के पीछे भी ढ़ेर सारे स्वास्थ्य लाभ हैं।

छौंका या तड़का लगाने के पीछे भी ढ़ेर सारे स्वास्थ्य लाभ हैं।

स्पेशल दाल का तड़का

दक्षिण भारत के खानों का तड़का मशहूर है। सांभर, उपमा, इमली की चावल, नींबू के चावल में इसका इस्तेमाल करते हैं। इसे बनाने के लिए पहले सरसों का तेल गर्म करके चना दाल गुलाबी होने तक भूनें, फिर उड़द की दाल भूनकर, राई डालकर, करी पत्ते को भूनकर तड़का लगाएं।

टमाटर-प्याज का मसालेदार तड़का

टमाटर-प्याज का मसालेदार तड़का छोले, उड़द की दाल, चने की दाल और मूंग, राजमा, में लगाया जाता किया जा। देसी घी गर्म करके जीरा चटकारकर प्याज गुलाबी होने तक भूनें। फिर टमाटर, लाल मिर्च, हरी मिर्च डालर भूनें, जब मसाला तेज छोड़ने लगे तो तड़का लगा दें।

काजू किशमिश -चिरौंजी का तड़का

उड़ीसा और दक्षित भारत में मीठे पकवानों में तड़का लगाने का चलन है। देशी घी में काूज-किशमिश और चिरौंज को भूनकर खीर में रखकर ढ़क्कन बंद कर दें।

कोयले का तड़का

दक्षिण राजस्थान में कोल यानी कोयले के अंगारों का तड़का लगाया जाता है। स्मोक फ्लेवर की टेम्परिंग के लिए दाल/सब्जी के ऊपर पान के पत्ते पर गर्म कोयले रखे जाते हैं। इसके बाद घी और तेल को गर्म करके उसमें लहसुन के पीस डालते हैं। इस तैयार मटेरियल को कोयले के ऊपर डालकर रेसिपी को ढक दिया जाता है। इसे सर्व करने से पहले इसमें से कोयले को निकाल लेते हैं।

रोगन तड़का

रोगन तड़का का इस्तेमाल कश्मीर में नॉन-वेज डिश मटन करी में किया जाता है। रोगन टेम्परिंग में रतनजोत की छाल का इस्तेमाल करते हैं। रोगन टेम्परिंग को तैयार करने के लिए घी में रतनजोत की छाल को गर्म करते हैं। यह छाल घी में रंग छोड़ती है। इससे मटन की डिश को ज्यादा कलर्ड किया जाता है।

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