4 घंटे पहले

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“शिमला में जब बर्फ पड़ रही हो और सामने बोनफायर जल रही हो तब हम एक ही शॉल में लिपटे एक दूसरे की आंखों से जाम पीते हुए साथ बैठे हों। बाहर बर्फ गिर रही हो और कमरे और हमारे भीतर आग जल रही हो…कितना रोमांटिक ख्याल है न?” एक स्टॉल पर टंगे पोस्टर को देखते हुए अगम ने कहा। पोस्टर में पहाड़ों पर गिरती बर्फ का दृश्य था और चिनार के पेड़ के पास खड़े दो प्रेमी पहाड़ों को चूमती बर्फ को देख रहे थे।

अंबिका उस वक्त मजे से आइसक्रीम खा रही थी। दिल्ली हाट में हस्तशिल्प मेला लगा था। उसे ही देखने आए थे दोनों। या कहें कि अंबिका जबरदस्ती अगम को लाई थी। अंबिका की यह दूसरी आइसक्रीम थी। चाहे कितनी आइसक्रीम उसे खिला दो उसे, मन महीं भरता। हर बार नया फ्लेवर टेस्ट करती है। यह बात अलग है कि कभी अपने पैसों से वह कुछ भी बाहर खाती-पीती नहीं है। जरूरत भी क्या है, अगम है न! और अगम नहीं हो तो भी बहुत से दीवाने हैं उसके।

“दिल्ली की इस गर्मी में शिमला में बर्फ पड़ने और बोनफायर के आगे बैठने का ख्याल बुरा नहीं है। देख रही हूं इन दिनों रोमांस कुछ ज्यादा ही टपकने लगा है तुम्हारी आंखों से और शब्दों से भी,” अंबिका ने अगम की कोहनी मारते हुए कहा।

“तुम साथ होती हो तो रोमांटिक होना बनता ही है,” अगम शरारत से मुस्कुराया।

“अच्छा छोड़ो ये सब फिजूल की बातें। वह चिकनकारी का सूट कितना प्यारा लग रहा है। मुझे खरीदना है,” अंबिका तेज कदम रखती हुई एक स्टॉल की ओर बढ़ गई।

“कितनी शॉपिंग करोगी?” हाथ में पकड़े छह पैकटों की ओर इशारा करते हुए अगम ने उससे पूछा।

“कंजूसी मत करो। प्रेमिका को शॉपिंग कराना प्रेमी का फर्ज होता है। अमीर हो, क्यों इतना सोचते हो? क्रेडिट कार्ड ही तो स्वाइप करना होता है। कैश थोड़े देना है जो नोट हाथ से निकलते देखा दुख होगा। जय हो क्रेडिट कार्ड की,” वह हंसी। उसकी हंसी में न जाने क्यों अगम को एक कुटिलता का एहसास हुआ।

“इन दोनों तुम्हारी फरमाइशें लगातार बढ़ रही हैं और मेरे क्रेडिट कार्ड का बिल भी। यही हाल रहा तो एक दिन पापा सवाल कर ही लेंगे इस बारे में। अभी पढ़ने के साथ-साथ उनके बिजनेस में थोड़ा बहुत हाथ बटाता हूं। कोई खुद कमाता थोड़े हूं। वह कुछ कहते नहीं तो इसका मतलब यह नहीं कि मैं फिजूल में पैसे उड़ाता रहूं।” अगम चिढ़ते हुए बोला।

“मूड मत खराब करो अगम। अगर इतनी ही बातें सुनानी होती हैं तो मत मिला करो मुझसे। मुझे घुमाने को बहुत से रईसजादे बेचैन रहते हैं,” अंबिका गुस्से से बोली। उसके बाद अगम ने कुछ कहा तो नहीं, पर अंबिका का व्यवहार उसे कचोट अवश्य गया। खासकर रईसजादे शब्द पर जोर देना उसे अच्छा नहीं लगा।

उसे घर छोड़ने जाते हुए रास्ते में उसने पूछ ही लिया, “मैं अमीर हूं, इसलिए तुम मेरे साथ हो। मुझसे प्यार करती हो इसलिए नहीं?”

“क्या बेहूदा सवाल है? चुपचाप कार चलाओ और क्या जिंदगी के लिए पैसा जरूरी नहीं है? मैं तो आलीशान और ऐशो-आराम की जिंदगी जीना पसंद करती हूं। अब तक तो तुम्हें समझ जाना चाहिए था आखिर हमें मिलते हुए पांच महीने हो गए हैं। यह मत भूलो कि कॉलेज में तुम ही मेरे पीछे पड़े थे। तुम्हारी अपने प्रति इतनी दीवानगी देख मैंने तुमसे दोस्ती की। एहसान मानो मेरा,” अंबिका तुनक कर बोली। “अभी भी कितने लड़के मेरा साथ पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। मैं ही उन्हें बस भाव नहीं देती, क्योंकि तुम्हें डेट कर रही हूं।”

“हां जानता हूं जो लड़के तुम्हारे पीछे पड़े रहते हैं, वे तुम्हारी सुंदरता की वजह से तुम पर लट्टू हैं। वे छिछोरे किस्म के लड़के तुमसे प्यार नहीं करते। लेकिन मैं तुमसे प्यार करता हूं, वह भी इसलिए नहीं कि तुम बला की खूबसूरत हो,” अगम ने उसे समझाना चाहा।

“तुम सेंटी मत हो। जिंदगी मस्ती में जीनी चाहिए। यह सब फिजूल की बातें करने से क्या फायदा। प्यार भी तभी कायम रह पाता है जब पैसा हो। वरना छोटी-छोटी ज़रूरतें पूरी करने में ही जिंदगी निकल जाती है और वह भी लड़ते-खीझते। मुझे मंजूर नहीं ऐसी लाइफ।”

अंबिका को उसके घर छोड़ जब अगम वापस लौटा तो उसका मन बहुत खिन्न था। बार-बार यही ख्याल उसे परेशान कर रहा था कि अंबिका शायद उसे उसके पैसों की वजह से प्यार करती है। उसकी इच्छाएं और महत्वाकांक्षाएं बहुत ज्यादा हैं, ऐसी लड़की क्या सचमुच प्यार की खूबसूरती को समझ सकती है?

रात को अंबिका का मैसेज आया। “तो कब ले जा रहे हो नैनीताल? बोनफायर के सामने बैठने का ख्याल सच में बुरा नहीं है।”

“तुम चलोगी क्या?’

“क्यों नहीं? तुम जानते हो मुझे घूमना पसंद है।”

“तुम्हारे घरवाले कुछ नहीं कहेंगे? इस तरह मेरे साथ जाना वह भी बिना शादी किए?”

“इतनी दकियानूसी बातें मत करो। घूमने जाने के लिए शादी करना जरूरी है, ऐसा किस किताब में लिखा है? मेरे घरवालों की जहां तक बात है तो मेरी मां भी मेरी तरह बहुत आधुनिक विचारों की हैं। चिंता मत करो। बेशक समाज के तौर-तरीकों की पापा परवाह करते हैं, पर वह तो हमारे साथ रहते नहीं। मां ने उन्हें कब का छोड़ दिया है। इसलिए बेफिक्र रहो।”

“लेकिन मैं नहीं जा सकूंगा ऐसे। मैं अपने घर और समाज के नियमों की इज्जत करने में यकीन रखता हूं। शादी के बाद जरूर चलेंगे और उसके लिए दो साल तो कम से कम प्रतीक्षा करनी होगी।”

“मुझे नहीं पता था कि तुम इतने पुराने ख्यालों के हो? अमीर होकर भी अमीरों जैसे गुण नहीं हैं तुममें। डांस, पार्टी, शराब…कुछ भी पसंद नहीं है तुम्हें। बोरिंग हो एकदम।” अंबिका ने एक गुस्से वाली सेल्फी मैसेज के साथ भेजी।

अगले दिन कॉलेज में भी अंबिका उसे देख कतराकर निकल गई। अगम ने शाम को देखा कि वह कुछ लड़कों के साथ कैंटीन भी बैठी आइसक्रीम खा रही है। बाद में मोटरसाइकिल पर एक लड़के के साथ उसे जाते देखा। फिर कुछ दिन न तो कॉलेज में अंबिका दिखी और न ही उसका कोई फोन आया। अगम ने फोन मिलाया तो उसका फोन स्विच ऑफ आया।

“कुछ पता है अंबिका के बारे में? कॉलेज भी नहीं आ रही?” अगम परेशान था, इसलिए उसकी क्लासमेट अनु से पूछा।

“अरे तुम्हें नहीं पता वह मोहित के साथ नैनीताल गई है। कह रही थी कि बेशक अभी वहां बर्फ नहीं पड़ रही, लेकिन थोड़ी ठंड तो है। वह बोनफायर के आगे बैठकर फुल एंज्वॉय करेगी मोहित के साथ।”

यह सुनकर अगम को लगा कि जैसे बोनफायर से निकलती आग उसे झुलसा देगी। अंबिका ऐसा भी कर सकती है, उसने कल्पना तक नहीं की थी। पांच महीने से उसके साथ घूम रही है, और अब उसने नैनीताल ले जाने से मना कर दिया तो मोहित के साथ चली गई।

“तुम्हें क्या लगता है वह तुमसे प्यार करती है,” अनु ने कहा। “वह किसी से प्यार नहीं कर सकती, सिवाय पैसों के। मुझे तो हैरानी होती है, असल में केवल मुझे ही नहीं, कॉलेज में जो तुम्हें जानते हैं अगम कि तुम कितने अच्छे लड़के हो, सब हैरान होते हैं कि आखिर तुम अंबिका के चक्कर में कैसे फंस गए।”

“मैं उससे प्यार करता हूं अनु।”

“तुम प्यार करते हो, लेकिन वह तो नहीं करती। कितनी बार कह चुकी है हमसे कि अगम जैसे को बेवकूफ बनाना मुश्किल नहीं। इसके जैसे इमोशनल लोग बहुत जल्दी बातों में आ जाते हैं। वह मुझ पर खुले हाथों से खर्चता है, वरना अगम जैसे बोरिंग और हमेशा प्यार का आलाप सुनाने वाले के साथ कौन वक्त गुजार सकता है।”

“अंबिका ने मेरे साथ बेवफाई की है?”

“तुम अगर इस बात को समझ गए हो तो अच्छा ही है। मैं तो कहूंगी कि खुद को दुखी मत करना।”

“मैं उससे प्यार करता हूं। उसकी इस बेवफाई को सह नहीं पाऊंगा।”

“वह नैनीताल में मोहित के साथ गुलछर्रे उड़ा रही है, कल किसी और के साथ बोनफायर के सामने बैठी होगी। तुम बेवफाई के बोनफायर में खुद को मत जलाओ अगम। वह तुम्हारे लायक नहीं।” अनु ने अगम को बहुत समझाने की कोशिश की।

अगम सच में जल रहा था अंबिका की बेवफाई के बोनफायर में…प्यार करने की सजा तो भुगतनी ही होगी।

-सुमना.बी

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