हरिद्वार12 घंटे पहले
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संसार में कई कलाएं हैं, जो अपने आप में श्रेष्ठ हैं। कलाओं की आपस में तुलना उचित भी नहीं है क्योंकि सभी का अपना-अपना महत्व है। मगर, कुछ कलाएं ऐसी होती हैं जो मनुष्य के संस्कार और स्वभाव से ही उपजती है। इनको सिखाया नहीं जा सकता, मनुष्य स्वयं ही अपने आप उन्हें विकसित करता है। आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए सबसे श्रेष्ठ कला कौन सी होती है?
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