4 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

आज वसंत पंचमी है। ये देवी सरस्वती के प्रकट होने का दिन है। ग्रंथों में कहानी आती है कि ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना तो की, लेकिन उन्हें इस रचना से संतुष्टि नहीं मिली। तब मां सरस्वती का जन्म हुआ, जो अपने साथ ज्ञान लेकर आईं।

इस कारण हिंदू त्योहारों में वसंत पंचमी का खास महत्व है। इस साल ये त्योहार और भी खास है क्योंकि 200 साल बाद 6 महायोगों में सरस्वती पूजन होगा। पूजन का मुहूर्त भी लगभग 5 घंटे का है। सुबह 7 बजे सरस्वती पूजन का शुभ समय शुरू हो जाएगा।

वसंत पंचमी पर 200 साल बाद शुभ संयोग
आज वसंत पंचमी के ग्रह-नक्षत्र सुनफा, पर्वत, पारिजात, अमल, वासी और शश नाम के राजयोग बना रहे हैं।

उज्जैन, बनारस और पुरी के ज्योतिषियों के मुताबिक ऐसा संयोग पिछले 200 सालों में नहीं बना। ये 6 बड़े शुभ योग समृद्धि और विद्या देने वाले होंगे। इनमें की गई सरस्वती पूजा का फल और बढ़ जाएगा। सरस्वती पूजन के लिए सुबह 7 से दोपहर 12:20 बजे तक का समय शुभ रहेगा।

पंच शक्ति की देवी को पूजने के लिए माघ महीने की पंचमी

वेदों के मुताबिक हर इंसान में सोचने, समझने, बोलने, सीखने और सीखी हुई चीजों को अनुभव के तौर पर याद रखने की जो ताकत होती है, उनकी अधिष्ठात्री देवी सरस्वती होती हैं।

इन पंच शक्तियों की देवी सरस्वती को पूजने के लिए जो दिन तय किया गया है, वो सूर्य के उत्तरायण होने के बाद पहले महीने का पांचवा दिन है। जो माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी है, इसे वसंत पंचमी कहते हैं।

वसंत पंचमी इसलिए क्योंकि इस दिन से मौसम में बदलाव की शुरुआत होने लगती है और हम वसंत ऋतु की तरफ बढ़ते हैं। आज ये ही दिन वसंत पंचमी के तौर पर हम मना रहे हैं।

श्रीमद्भागवत के मुताबिक ब्रह्मा के मुख से देवी सरस्वती प्रकट हुईं। ब्रह्मवैवर्त पुराण का कहना है कि श्रीकृष्ण के कंठ से देवी सरस्वती का प्राकट्य हुआ। वहीं, देवी भागवत के अनुसार सरस्वती, देवी दुर्गा का ही सात्विक रूप हैं। इस रूप में देवी माघ महीने की पंचमी पर प्रकट हुईं।

ब्रह्मवैवर्त पुराण के मुताबिक सबसे पहले सरस्वती पूजन श्रीकृष्ण ने किया था। फिर वाल्मीकि, भृगु, शुक्राचार्य, कश्यप, याज्ञवल्क्य, गौतम और कणाद ऋषि ने देवी की पूजा की।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here