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  • Being Eaten For 7 Thousand Years, It Was Used As Salary In Egypt; Keep It Fresh All Year Round

2 घंटे पहलेलेखक: मरजिया जाफर

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मिजाज में थोड़ा तीखा लहसुन के भाव आजकल सांतवें आसमान पर हैं। देखते ही देखते बाजार में इसका भाव 800 रुपए किलो तक पहुंच गया। सात्विक व्यक्ति भारतीय रसोई में जायके की फिजा बदलने के डर से लहसुन से दूरी बनाकर रखता है क्योंकि यह भोजन को तामसिक बना देता है। लेकिन जरा सोचकर देखिए क्या वजहें हैं कि लहसुन कुछ घरों की रसोई की दहलीज भी पार नहीं कर पाता लेकिन दुनिया इसके औषधीय गुणों और स्वाद की इतनी दीवानी है कि यह अपनी पैदावार से ज्यादा डिमांड में रहता है। सुर्खियां कहतीं हैं कि लहसुन के भाव जल्दी जमीन पर आने वाले नहीं।

आज ‘फुरसत का रविवार’ है, रसोई में कुछ लजीज पकवान बनना तय है। सब्जी के स्वाद में जान फूंकने वाले लहसुन की खूबियों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। इसलिए ग्राफिक्स के जरिए लहसुन को सालभर सुरक्षित बनाए रखने के टिप्स जान लीजिए ताकि जब भाव बढ़ें तो रसोई में रखा आपका लहसुन आपकी जेब हल्की किए बिना आपकी थाली के जायके को बरकार रखे।

मनुष्य सात हजार साल से ले रहा लहसुन का जायका

वैसे तो सुमेरियन सभ्यता के लोगों ने लहसुन की खेती 5 हजार साल पहले भूमध्य सागर के तट पर शुरू की। कहते हैं लहसुन कैस्पियन सागर के पूर्वी मैदानों से आया। लेकिन इसका इस्तेमाल 7 हजार साल से औषधीय पौधे के तौर पर किया जा रहा है। मनुष्य ने सबसे पहले जिन फसलों को उगाना शुरू किया था, लहसुन उनमें से एक है।

भारत में लहसुन की खेती हजारों साल पहले मध्य एशिया से आई। इतिहास के पन्ने बताते हैं कि भारत में 4500 सालों से लहसुन का इस्तेमाल हो रहा है। भारत में लहसुन के बीज सिन्धु घाटी के फरमाना में हड़प्पा काल में 2600-2200 ईसा पूर्व के बीच पाए गए।

चीन में पैदा होता दुनिया का दो तिहाई लहसुन

चीन दुनिया में सबसे ज्यादा लहसुन उगाता है। भारत लहसुन के उत्पादन में दूसरे नंबर पर है तो बांग्लादेश तीसरे नंबर पर है। 2021 में चीन में 20.45 मिलियन टन से ज्यादा हरे लहसुन की पैदावार हुई। भारतीय बाजार में चीनी लहसुन की भरमार है। इस लहसुन की खासियत इनकी मोटी कलियां हैं।

ममी में संरक्षित करके रखा जाता था

चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में लहसुन की खेती होने लगी। लहसुन के सबसे पुराने अवशेष 4 हजार ईसा पूर्व इजराइल में ईन गेदी की एक गुफा से मिले। मिस्र में ऐतिहासिक दस्तावेजों में इसका सबसे पहला जिक्र ‘अवेस्ता’ से मिलता है, जो छठी शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान संकलित पारसी पवित्र लेखों में से एक है। मिस्र में लहसुन की अहमियत बहुत ज्यादा है। सबसे बेहतरीन क्वालिटी के लहसुन को लोग अपने प्रियजनों की ममी के साथ रखते थे।

मिस्र में वेतन में मिलता लहसुन

मिस्र में लहसुन बहुत ही कीमती है। क्योंकि यहां ममी के साथ लहसुन की कली रखने का रिवाज था। मिस्र में तुतनखामुन की कब्र में 1325 ईसा पूर्व का लहसुन पाया गया, जिसे बहुत हिफाजत के साथ रखा गया था। पिरामिड बनाने वाले मजदूरों के बीच ये इतना मशहूर था कि लहसुन की कमी की वजह से काम रुक गया। मिस्र में पिरामिड बनाने वाले मजदूरों के बीच इसे वेतन के रूप में भी दिया जाता था।

ग्रीक ओलंपियनों से लेकर नीरो के अधीन रोमन ग्लेडियेटर्स तक के एथलीट लहसुन का इस्तेमाल कर अपना स्टैमिना बढ़ाते थे।

खरगोश और छछूंदरों को दूर भगाते बदबूदार गुलाब

लहसुन के पौधे खरगोशों और छछूंदरों को दूर भगाते हैं। इसकी तेज़ गंध की वजह से इसे बदबूदार गुलाब भी कहा जाता है। इस्तेमाल में लाए जाने वाले लहसुन पौधे के जड़ का हिस्सा होता है। लहसुन का इस्तेमाल मिस्र, जापान, चीन, रोम और ग्रीस में पारंपरिक चिकित्सा के लिए किया जाता था। हरा लहसुन खाने में तीखापन छोड़कर लज्जत और खुशबू देता है। हरे लहसुन को वियतनामी, थाई, म्यांमार, लाओ, कम्बोडियन, सिंगापुर और चीनी कुकरी में काटा और तला जाता है। अरबी खाना पकाने में लहसुन जरूरी है।

राक्षस के खून की बूंद से पैदा हुआ लहसुन

शास्त्रों के अनुसार प्याज और लहसुन भगवान को चढ़ाने से मना किया गया है। इसलिए इन दोनों को धार्मिक कार्यों में उपयोग नहीं करते हैं। इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है।

कहा जाता है कि श्रीहीन हो चुके स्वर्ग को खोई हुई वैभव-संपदा की प्राप्ति के लिए देव और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। समुद्र मंथन करने के दौरान लक्ष्मी के साथ कई रत्नों समेत अमृत कलश निकला। अमृत पान के लिए देवताओं और असुरों में विवाद हुआ, तो भगवान विष्णु मोहिनी रूप धारण कर अमृत बांटने लगे।

सबसे पहले अमृत पान की बारी देवताओं की थी, तो भगवान विष्णु क्रमश: देवताओं को अमृत पान कराने लगे। तभी एक राक्षस देवता का रूप धारण कर उनकी पंक्ति में खड़ा हो गया।

सूर्य देव और चंद्र देव उसे पहचान गए। उन्होंने विष्णु भगवान से उस राक्षस की सच्चाई बताई, तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। उसने थोड़ा अमृत पान किया था, जो अभी उसके मुख में था। सिर कटने से खून और अमृत की कुछ बूंदें जमीन पर गिर गईं। उससे ही लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई। इस कारण से उसे व्रत या पूजा में शामिल नहीं किया जाता है।

अलग-अलग धर्मों में लहसुन की अहमियत

  • यूरोप की संस्कृतियों में लहसुन का इस्तेमाल सफेद जादू के लिए होता था। माना जाता था कि इसको पहनने से बुरी शक्तियां पास नहीं आतीं। इसे खिड़कियों में लटकाया जाता था।
  • हिंदू धर्म में लहसुन को राजसिक भोजन माना जाता है, लहसुन और प्याज के इस्तेमाल की अनुमति नहीं थी, लेकिन वृहत्तर भारत में यह भोजन का अभिन्‍न अंग था। यहां तक कि कुछ खास तरह की मदिरा बनाने में भी लहसुन का इस्तेमाल किया जाता था।
  • जैन धर्म में तो लहसुन का नाम लेना ही पाप है, इस्तेमाल करना तो दूर की बात है।
  • इस्लाम में मस्जिद जाने से पहले कच्चा लहसुन न खाने की सलाह दी जाती है।

लहसुन सेहत का साथी भी है। पाचन से लेकर बैक्टीरिया से लड़ने तक में लहसुन कारगर है।

इलाज के लिए लहसुन का इस्तेमाल

प्राचीन भारतीय और चीन की चिकित्सा पद्धति में लहसुन को सांस, पाचन की प्रक्रिया को सुधारने, कुष्ठ रोग और इन्फेक्शन के इलाज के लिए इस्तेमाल की बात कही गई है। 14वीं सदी के मुस्लिम चिकित्सा एविसेना ने लहसुन को दांत दर्द, पुरानी खांसी, कब्ज, सांप और कीड़े के काटने और महिलाओं से जुड़ी बीमारियों में लहसुन खाने की सलाह दी।

खाली पेट लहसुन खाने के फायदे

कोलेस्ट्रॉल-खाली पेट लहसुन खाने से कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है। ये एलडीएल यानी खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करके एचडीएल यानी अच्छा कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ाने में मदद करता है।

अल्जाइमर-लहसुन में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण ऑक्सीडेटिव डैमेज से बचाते हैं। जिससे अल्जाइमर यानी भूलने की बीमारी और डिमनेशिया में याददाश्त और सोचने की क्षमता बढ़ाता है।

ब्लड प्रेशर-हाई ब्लड प्रेशर की दिक्कत सल्फर की कमी से होती है। ऐसे में लहसुन में मौजूद ऑर्ग सल्फर कंपाउंड से ब्लड प्रेशर कम किया जा सकता है।

वजन-वजन काबू करने के लिए खाली पेट लहसुन खाएं। लहसुन में एंटी-ओबेसिटी गुण होते हैं। इसे खाने से शरीर में गर्मी पैदा होती है, जिससे वजन घटता है।

डेंटल हेल्थ-लहसुन में मौजूद एलिसिन, कैविटी और पेरियोडोंटाइटिस मसूड़ों की बीमारी के खिलाफ लड़ता है। लहसुन के अर्क वाले माउथवॉश या टूथपेस्ट का इस्तेमाल दांतों को खराब होने से बचाते हैं।

स्किन-खुजली और लाल चकत्तों के साथ त्वचा की ऊपरी परत का पपड़ीदार होना, चोट ठीक हो जाने पर निशान, घाव भरने, वायरल और फंगल इंफेक्शन, लीशमनियासिस, झुर्रियां आना के साथ-साथ त्वचा को फ्रेश करने में लहसुन का अर्क असरदार है।

बाल- एलोपेशिया एरियाटा यानी बालों का पैचेज में झड़ना की समस्या से राहत पाने में लहसुन का अर्क कारगर है। बालों से रूसी हटाने में भी लहसुन फायदेमंद है।

कुछ भी कहें लहसुन मजेदार ही नहीं बहरुपिया भी है। कभी रायते में पहुंचकर पुलाव या बिरयानी का स्वाद में चार चांद लगाता है तो खाने के आखिर में खीर की शक्ल लेकर थाली में आ धमकता है। यह खरबूजे की तरह रंग नहीं बदलता मगर स्वाद को बढ़ाने का जादू जानता है।

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