तेल अवीव12 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
इजराइल को डर है कि ICC नेतन्याहू और मिलिट्री के कई लीडर्स के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी कर सकता है। - Dainik Bhaskar

इजराइल को डर है कि ICC नेतन्याहू और मिलिट्री के कई लीडर्स के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी कर सकता है।

हमास के खिलाफ जंग के बीच इजराइल को डर है कि इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी कर सकता है। टाइम्स ऑफ इजराइल के मुताबिक, गाजा में अंतरराष्ट्रीय कानूनों तोड़ने के आरोप में इजराइल के कई राजनेताओं और मिलिट्री लीडर्स के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी हो सकता है।

दरअसल, एक रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइल को सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली थी कि ICC आने वाले समय में वारंट जारी करने पर विचार कर रही है। इसके बाद नेतन्याहू के ऑफिस में कई एक्सपर्ट्स ने इस मुद्दे पर इमरजेंसी मीटिंग भी की थी। इस दौरान वारंट को टालने के तरीकों पर चर्चा हुई थी।

3 दिन पहले नेतन्याहू के ऑफिस में हुई मीटिंग के दौरान ICC का अरेस्ट वारंट टालने के तरीकों पर चर्चा हुई थी। (फाइल)

3 दिन पहले नेतन्याहू के ऑफिस में हुई मीटिंग के दौरान ICC का अरेस्ट वारंट टालने के तरीकों पर चर्चा हुई थी। (फाइल)

अरेस्ट वारंट टालने के लिए दूसरे देशों से मदद लेगा इजराइल
इजराइल के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इस बैठक में विदेश मंत्री काट्ज, जस्टिस मिनिस्टर यारिव लेविन और स्ट्रैटेजिक अफेयर्स मिनिस्टर रॉन डेरमिर शामिल हुए थे। मीटिंग में इस बात पर सहमति बनी थी कि इजराइल अरेस्ट वारंट टालने के लिए ICC और दूसरे डिप्लोमैटिक अधिकारियों से संपर्क करेगा।

इसके अलावा PM नेतन्याहू ने ब्रिटेन और जर्मनी के विदेश मंत्रियों से भी इस मामले में मदद मांगी थी। टाइम्स ऑफ इजराइल के मुताबिक नेतन्याहू के मंत्रियों को डर है कि गाजा में मानवीय संकट को देखते हुए यह वारंट जारी हो सकता है।

हमास के खिलाफ भी मुकदमा चला सकता है ICC
इससे पहले फरवीर में हमास की कैद से रिहा हुए कुछ इजराइलियों ने ICC में हमास के वॉर क्राइम को लेकर शिकायत की थी। उन्होंने हमास पर किडनैपिंग, टॉर्चर और शारीरिक हिंसा का आरोप लगाया था।

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के चीफ प्रॉसीक्यूटर करीम खान पिछले साल दिसंबर में इजराइल के दौरे पर आए थे। इस दौरान वे उन क्षेत्रों में भी गए थे, जहां हमास ने हमला किया था। दौरे के आखिर में करीम खान ने कहा था कि इजराइल में हमास की क्रूरता के सबूत मौजूद हैं। अब हमास के खिलाफ कार्रवाई शुरू करना है उनका कर्तव्य है।

2002 में शुरू हुआ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट
1 जुलाई 2002 को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यानी ICC की शुरुआत हुई थी। ये संस्था दुनियाभर में होने वाले वॉर क्राइम, नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों की जांच करती है। ये संस्था 1998 के रोम समझौते पर तैयार किए गए नियमों के आधार पर कार्रवाई करती है।

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का मुख्यालय द हेग में है। ब्रिटेन, कनाडा, जापान समेत 123 देश रोम समझौते के तहत इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के सदस्य हैं। ICC ने यूक्रेन में बच्चों के अपहरण और डिपोर्टेशन के आरोपों के आधार पर रूस के राष्ट्रपति पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था।

ICC के वारंट पर देश गिरफ्तारी के लिए बाध्य नहीं
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए सभी सदस्य देशों को वारंट भेजता है। ICC का ये वारंट सदस्य देशों के लिए सलाह की तरह होता है और वो इसे मानने के लिए बाध्य नहीं होते हैं। इसकी वजह यह है कि हर संप्रभु देश अपने आतंरिक और विदेश मामलों में नीति बनाने के लिए स्वतंत्र होता है। दूसरी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की तरह ही ICC भी हर देश की संप्रभुता का सम्मान करती है।

अपने 20 साल के इतिहास में ICC ने मार्च 2012 में पहला फैसला सुनाया था। ICC ने ये फैसला डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो के उग्रवादी नेता थॉमस लुबांगा के खिलाफ सुनाया था। जंग में बच्चों को भेजे जाने के आरोप में उसके खिलाफ केस चलाया गया था। इस आरोप में उसे 14 साल के लिए जेल की सजा सुनाई गई थी।

खबरें और भी हैं…

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here