18 घंटे पहले

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सफेद कपड़ों को चमकाने वाली नील सेहत के लिए भी फायदेमंद मानी जाती है। नील के फूल को नीली, गौंथी या गौली भी कहते हैं। भारत में इस फूल की खेती पहले नीला रंग बनाने के लिए होती थी लेकिन जब से केमिकल युक्त नील बनने लगी तब से इसकी खेती कम होने लगी है।

मगर कई जगह नील खुद ही पैदा हो जाता है। चरक-संहिता और सुश्रुत-संहिता में उल्लेख है कि नील के फूल का इस्तेमाल बाल, पेट संबंधी समस्या, पाइल्स, सिरदर्द, गैस की बीमारियों में किया जाता है। आयुर्वेदाचार्य डॉ. आर. पी. पराशर से नील के फायदे के बारे में समझते हैं।

फेफड़ों की सूजन कम करेः नील की जड़, पत्ता और तने के चूर्ण का इस्तेमाल करने से कफ, सांस फूलना और लंग्स के नलिका में सूजन, खांसी और दिल के मरीज के लिए फायदेमंद है।

गठियाः नील के बीजों को पीसकर जोड़ों पर लगाने से गठिया के दर्द में आराम मिलता है।

टीबीः दो ग्राम नीली जड़ के पेस्ट को दूध के साथ इस्तेमाल करने से टीबी में फायदा होता है।

घावः घाव जल्दी ठीक होने का नाम नहीं ले रहा है तो नीली जड़ के पेस्ट का लेप करने से घाव भर जाता है।

सफेद बालों से निजातः समय से पहले बाल सफेद हो रहे हैं तो त्रिफला, नील के पत्ते, लौह भस्म और भृङ्ग राज चूर्ण, आम की गुठली का चूर्ण मिलाकर बालों पर लेप लगाएं।

सिरदर्दः तनाव के कारण अक्सर सिरदर्द होता है तो नीली जड़, तना और पत्ते को पीसकर माथे पर लगाएं आराम मिलेगा।

पेट दर्दः नीली बीज, जलवेतस, त्रिकटु, यवक्षार, सज्जीक्षार, पांचों चीज को घी में मिलाकर खाने से पेट संबंधी रोग और ट्यूमर से जल्दी आराम मिलता है।

कब्जः कब्ज से परेशान रहते हैं तो 1-2 ग्राम नीलनी फल और जड़ के चूर्ण के इस्तेमाल से कब्ज और लीवर के सूजन को कम करने में फायदेमंद होता है।

पाइल्स-पाइल्स से परेशान हैं तो मस्सों पर नीलनी पत्ते के पेस्ट को लगाने से आराम मिलेगा।

दांत में कीड़ों से दिलाए राहतः दांतों में कीड़ा होने की बीमारी सबसे ज्यादा बच्चों को होती है। नीली जड़ को चबाकर मुंह में रखने से दांत के कीड़े मर जाते हैं।

नील कपड़े के साथ किस्मत भी चमकाएं

सफेद कपड़ों की चमक बनाए रखने के लिए, हम उनमें नील लगाते हैं। क्या आप जानते हैं कि नील, कपड़े चमकाने के साथ-साथ किस्मत चमकाने का भी काम करता है। ऐसा ही एक काम है कपड़ों में नील लगाना। धार्मिक मान्यता के अनुसार, कपड़ों में नील लगाने से किस्मत भी चमक जाती है। ज्योतिष संदीप पांडे ने बताया कि शाबर तंत्र के अनुसार, नील के पौधे की उत्पत्ति श्मशान में हुई है। नील का पौधा मृत्यु घाट पर भी जीवन ढूंढ लेता है। नील एक सिद्धांत पर टिका है कि जीवन के बाद मृत्यु है और मृत्यु के बाद पुनः जीवन है। इसी को जीवन-मरण का कालचक्र कहते हैं।

तंत्र शास्त्र के अनुसार, नील रंजक, देवी नील सरस्वती को संबोधित करता है। शास्त्रों में नील को सरस्वती को देवी तारा कहकर बुलाते हैं। देवी तारा दस महाविद्याओं में से एक है।

सफेद कपड़ों में नील देकर पहनें, चंद्रमा शुभ होता

ज्योतिष शास्त्र की मानें, तो नील रंजक पर राहु ग्रह का आधिपत्य होता है। राहु को चंद्रमा का उत्तरी ध्रुव भी कहा जाता है। राहु को लेकर ज्योतिष शास्त्र में दो मत हैं। ज्योतिषशास्त्र में नील के इस्तेमाल के कुछ खास उपाय बताए गए हैं।

दुर्भाग्य पीछा नहीं छोड़ रहा है, तो देवी नील सरस्वती पर नील मिले सरसों के तेल का दीपक जलाने से दुर्भाग्य दूर होता है। धन की कमी या आर्थिक नुकसान होता रहता है, तो नील से नीले किए हुए चावल, देवी छिन्नमस्ता को चढ़ाएं। आप सफेद कपड़े पहनते हैं, तो उसमें नील जरूर दें। ऐसा करने से चंद्रमा शुभ होता है और मानसिक बीमारी दूर रहती है।

नील और नमक का पोछा लगाने वास्तु दोष दूर होता

घर में किसी भी तरह का वास्तुदोष है, तो पानी में नमक और नील मिलकार पोंछा लगाएं। ऐसा करने से वास्तुदोष दूर होता है। घर में दरिद्रता दूर करने के लिए सफेद घर की पेटिंग के दौरान रंग में थीड़ी सी नील मिला दें। काम बनते बनते बिगड़ता है, तो घर के बाहर नील से उल्‍टा स्वास्तिक बनाने से दोष दूर होता है। इससे बुरी नजर दोष भी दूर होता है। घर के बाथरूम और टॉयलेट को नील मिले पानी से साफ करने पर राहु ग्रह का कम प्रभाव होता है।

घर के बाहर नील-चूने की रंगोली बनाएं, लक्ष्मी जी प्रसन्न होंगी

नील और चूने से घर के बाहर रंगोली बनाने से लक्ष्मी खुश होती हैं। नील को घर के चारों कोनों में थोड़ा सा छिड़कने से आर्थिक नुकसान से निजात मिलती है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हमेशा साफ कपड़े पहनने से देवी लक्ष्मी खुश रहती और कृपा बनाए रखती हैं। गंदे कपड़े दरिद्रता को निमंत्रण देते हैं।

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