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2006 में मुंबई लोकल ट्रेन में सिलसिलेवार ब्लास्ट हुए थे। इसमें 188 लोगों की मौत हो गई थी। - Dainik Bhaskar

2006 में मुंबई लोकल ट्रेन में सिलसिलेवार ब्लास्ट हुए थे। इसमें 188 लोगों की मौत हो गई थी।

पाकिस्तान में आतंकी आजम चीमा की मौत हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, 70 साल के चीमा को फैसलाबाद में दिल का दौरा पड़ा। वो लश्कर के खुफिया विंग का प्रमुख था।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, चीमा 2006 में मुंबई ट्रेन ब्लास्ट का मास्टरमाइंड था। ट्रेन में हुए धमाके में 188 लोगों की मौत हो गई थी। वो 26/11 हमलों में भी शामिल था।

2006 में क्या हुआ था…

  • 11 जुलाई, 2006 को मुंबई के वेस्टर्न सबअर्बन इलाके की ट्रेनों के सात कोचों में सिलसिलेवार धमाके हुए थे। इसमें 189 पैसेंजरों की मौत हो गई थी और 824 लोग घायल हो गए थे।
  • ब्लास्ट शाम छह बजकर 24 मिनट से लेकर 6 बजकर 35 मिनट के बीच हुए। यह वो वक्त था, जब मुंबई के लोकल ट्रेनों में लाखों पैसेंजर काम के बाद घर लौटते हैं।

26/11 हमले में आतंकियों और पुलिस के बीच तीन दिन तक चली थी मुठभेड़
2008 में मुंबई में आतंकी हमला हुआ था। इसे 10 आतंकियों ने मिलकर अंजाम दिया था। हमले में 166 लोगों की मौत हुई थी। मरने वालों में अमेरिका और ब्रिटेन के नागरिक भी शामिल थे।

ये तस्वीर 26/11 आतंकी हमले की है। इसे 10 आतंकवादियों ने अंजाम दिया था।

ये तस्वीर 26/11 आतंकी हमले की है। इसे 10 आतंकवादियों ने अंजाम दिया था।

पानी के रास्ते आए थे आतंकी
26 नवंबर 2008 की रात पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर के 10 आतंकवादी कोलाबा के समुद्री तट से एक नाव के जरिए भारत में घुसे थे। वो पूरी तरह से हथियारों से लैस थे। यहां से ये सभी आतंकवादी दो-दो के ग्रुप में बंटकर अलग-अलग दिशाओं में बढ़ गए थे। इनमें से दो आतंकियों ने दक्षिणी मुंबई के कोलाबा में स्थित लियोपोल्ड कैफे को निशाना बनाया था, दो आतंकियों ने नरीमन हाउस, तो वहीं बाकी आतंकी दो-दो की टोली में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, होटल ट्राइडेंट ओबेरॉय और ताज होटल की तरफ बढ़े थे।

तस्वीर मुंबई हमले में शामिल आतंकी अजमल कसाब की है। इसे दूसरे आतंकियों के साथ मैप समझने, GPS और कंपास के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी गई थी।

तस्वीर मुंबई हमले में शामिल आतंकी अजमल कसाब की है। इसे दूसरे आतंकियों के साथ मैप समझने, GPS और कंपास के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी गई थी।

NSG कमांडो भेजे गए थे
आतंकियों ने निहत्थे और बेकसूर लोगों पर ताबड़तोड़ फायरिंग और धमाके शुरू कर दिए थे। इसके बाद केंद्र की तरफ से इनसे निपटने के लिए 200 एनएसजी कमांडो भेजे गए थे। सेना के भी 50 कमांडो इस ऑपरेशन में शामिल थे। इसके अलावा सेना की पांच टुकड़ियों को भी वहां भेजा गया था।

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