39 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
फ्रांस 23 हजार लोगों को देश से निकाला। सीरिया, इराक, पाकिस्तान समेत कुछ एशियाई और अफ्रीकी देशों जैसे मोरक्को, ट्यूनीशिया, लीबिया, मिस्र समेत 10 देशों के लोग शामिल हैं।
यूरोपीय देश अवैध तरीके से आने वालों को रोकने के लिए सख्ती कर रहे हैं। ब्रिटेन रवांडा शरणार्थी प्रक्रिया शुरू कर चुका है। फ्रांस तो इस मामले में और सख्त हो गया है।
वहां इसी महीने शरण के नाम पर अवैध रूप से रहने वाले 23 हजार लोगों को देश से निकाला जाएगा। इसमें सीरिया, इराक, पाकिस्तान समेत कुछ एशियाई और अफ्रीकी देशों जैसे मोरक्को, ट्यूनीशिया, लीबिया, मिस्र समेत 10 देशों के लोग शामिल हैं।
इस कार्रवाई को फ्रांस में कट्टरता बढ़ने और अगस्त में होने जा रहे ओलिंपिक खेलों की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है। बीते साल ही फ्रांस ने 38 हजार लोगों को डिपोर्ट किया था। ये फ्रांस में रह रहे थे। इनमें ज्यादातर घुसपैठ करने वाले थे।
दंगे, आतंकी हमले भी बढ़ने लगे
फ्रांस में हाल में कट्टरपंथ से जुड़ी घटनाएं हुई हैं। दिसंबर में पेरिस में हमलावर ने चाकू मारकर जर्मन पर्यटक की हत्या कर दी थी। हमलावर अफगानिस्तान और गाजा में मुसलमानों की मौत को लेकर गुस्से में था। 13 अक्टूबर को अर्रास के स्कूल में चाकू से हमले में एक शिक्षक की मौत हो गई थी। जून में एक सीरियाई नागरिक ने अल्पाइन में चार बच्चों को जख्मी कर दिया था।
फ्रांस के स्मॉल टाउन एनिसी में पिछले साल बच्चों पर चाकू से हमला हुआ था। हमलावर की पहचान 30 साल के सीरियाई रिफ्यूजी के तौर पर हुई। उसने जिस पार्क में बच्चों पर हमला किया, उससे कुछ दूरी पर उसकी पत्नी और एक साल का बेटा मौजूद थे।
भड़काऊ बोल पर इमाम को लौटाया
इस साल फ्रांस ने पिछले एक दशक का सबसे भीषण दंगा भी झेला था। इन घटनाओं के तार अवैध तरीके से आए प्रवासियों से भी जुड़े थे। इस कारण फ्रांस सख्त कदम उठाने को मजबूर हुआ। घुसपैठ को लेकर रुख का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि उसने फ्रांसीसी झंडे का अपमान करने वाले ट्यूनीशियाई धर्मगुरु, इमाम महजौब महजौबी को 12 घंटे में निष्कासित कर दिया था।
इमिग्रेशन बिल का विरोध
घुसपैठ पर लगाम लगाने के लिए इमैनुएल मैक्रों सरकार ने इमिग्रेशन बिल पास कराया है। इसका विपक्ष ये कहकर विरोध कर रहा है कि भले मैक्रों ने कानून पारित करा लिया, पर उदार लोकतंत्र के रक्षक वाले देश की छवि पर दाग लग गया है।
जनवरी में घोषित कानून को वामपंथी विपक्ष ने नस्लवादी बताया था, लेकिन धुर दक्षिणपंथी रैसेम्बलमेंट नेशनल संसदीय समूह की अध्यक्ष मारिन ली पेन ने इसे ‘वैचारिक जीत’ माना। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह कानून पूरे यूरोप में प्रवासन नीतियों को सख्त करने के लिए लाया गया है।
तस्वीर फ्रांस की संसद की है। विपक्षी नेताओं ने इमिग्रेशन बिल का विरोध किया था।
नेशनल असेंबली में बहुमत की कमी
नेशनल असेंबली में बहुमत की कमी के चलते मैक्रों को धुर दक्षिणपंथी धड़े से चुनौती मिल रही है। वह बिल पास कराने के लिए सरकार के बाहर के दलों पर भी निर्भर हैं। नए कानून के तहत प्रवासियों के लिए परिवार के सदस्यों को फ्रांस लाना और मुश्किल होगा।
फ्रांस इमिग्रेशन में बड़े पैमाने पर बदलाव कर रहा है। इसके तहत यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय उनके मामलों की सुनवाई करने से पहले ही घुसपैठ करने वालों को निर्वासित कर सकता है। फ्रांस उन घुसपैठियों को भी निकालना चाहता है जो मानवाधिकार कोर्ट में निर्वासन के खिलाफ अपील करने से पहले खतरा पैदा कर सकते हैं।