नई दिल्ली7 घंटे पहले

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शेयर बाजार में लिस्टेड मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की टॉप-10 में से 6 कंपनियों की कंबाइंड मार्केट-वैल्यू में पिछले हफ्ते ₹78,127.48 करोड़ की कमी आई है। इनमें देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप सबसे ज्यादा ₹38,462.95 करोड़ गिरा है।

कंपनी का मार्केट कैप अब ₹19.76 लाख करोड़ हो गया है। रिलायंस के अलावा, एयरटेल, ICICI बैंक, इंफोसिसि, ITC और हिंदुस्तान यूनिलीवर का मार्केट कैप इस दौरान कम हुआ है। वहीं, HDFC बैंक पिछले हफ्ते मार्केट का टॉप गेनर रहा है। इसका मार्केट कैप ₹76,880.74 करोड़ बढ़ा है।

अब कंपनी का मार्केट कैप 11.77 लाख करोड़ रुपए है। इसके अलावा लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) की मार्केट वैल्यू ₹49,208.48 करोड़, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) की ₹34,733.64 करोड़ और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की ₹10,486.42 करोड़ बढ़ी है।

आखिरी कारोबारी दिन शेयर बाजार में मामूली बढ़त रही
बीते हफ्ते आखिरी कारोबारी दिन (5 अप्रैल) को शेयर बाजार में मामूली बढ़त देखने को मिली थी। सेंसेक्स 20 अंक की बढ़त के साथ 74,248 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी में कोई बढ़त या गिरावट नहीं रही। ये फ्लैट 22,513 के स्तर पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 17 में गिरावट और 13 में तेजी देखने को मिली।

एक दिन पहले यानी 4 अप्रैल को शेयर बाजार ने ऑल टाइम हाई बनाया था। कारोबार के दौरान सेंसेक्स ने 74,501 का और निफ्टी ने 22,619 का स्तर छुआ था। HDFC बैंक के शेयर में 3.15% की तेजी रही थी।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटस नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।

मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।

मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)

मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।

कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।

मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।

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