6 घंटे पहलेलेखक: कमला बडोनी

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वो ये मानती हैं कि सपने बड़े हों और उन्हें पाने का जुनून हो, तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है। उन्हें बड़ी डिग्री पाने के बजाय अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने में रुचि थी इसलिए उन्होंने 10वीं के बाद से ही अपने करियर को एक नई दिशा में मोड़ दिया। उन्होंने अपने पैशन को करियर बनाया और आज उसी पैशन ने उन्हें एक नई पहचान दी।

वो एशिया के सबसे लंबे कुकिंग शो का हिस्सा हैं। आम लोगों के साथ साथ वो फाइव स्टार होटल के शेफ को भी कुकिंग सिखाती हैं। ‘ये मैं हूं’ में जानिए शेफ सलोनी अढिया की कहानी।

दादी और मां से सीखी कुकिंग

मेरी मां द्वारका से हैं। मेरा जन्म नानी के घर द्वारका में ही हुआ। लेकिन परवरिश कल्याण, मुंबई में हुई। पापा का ड्राई फ्रूट्स का बिजनेस था। मुझे बचपन से कुकिंग का बहुत शौक रहा है। दादी और मां बहुत अच्छा खाना बनाती थीं। उन्हें देखकर मैंने 12 साल की उम्र से कुकिंग शुरू कर दी।

दादी ने सबसे पहले जब मुझे रोटी बनाना सिखाया तो मैं गोल रोटी नहीं बना पाती थी। तब दादाजी मुझे ढक्कन लाकर देते और उससे कट करके मुझे रोटी को गोल आकार देना सिखाते। अपनी बनाई गोल रोटी देखकर मैं बहुत खुश हो जाती थी। धीरे धीरे दादी और मां से मैंने घर का नॉर्मल खाना और कई स्वादिष्ट पकवान बनाना सीख लिया।

सलोनी अढिया आम लोगों के साथ साथ फाइव स्टार होटल के शेफ को भी रेसिपीज बनाना सिखाती हैं

सलोनी अढिया आम लोगों के साथ साथ फाइव स्टार होटल के शेफ को भी रेसिपीज बनाना सिखाती हैं

स्कूल में मेरी कुकिंग स्किल की तारीफ हुई

स्कूल में आठवीं से दसवीं तक मेरा होम साइंस सब्जेक्ट था, जिसमें हमें कुकिंग स्किल सिखाई जाती थी। इस सब्जेक्ट में मैं हमेशा टॉप करती थी। इस सब्जेक्ट में प्रैक्टिकल के दौरान टीचर ने हमें सबसे पहले पानी पूरी में इस्तेमाल होने वाला ‘मटर का रगड़ा’ बनाना सिखाया। जिसे पाव के साथ खाया जा सके। मैंने घर पहुंचते ही सबसे पहले ये रेसिपी बनाई। घर में सबने मेरी कुकिंग स्किल की तारीफ की।

होम साइंस की टीचर हमें अलग-अलग तरह की चाट, नानखटाई बनाना सिखातीं। एक दिन जब मैं स्कूल में नानखटाई बनाकर ले गई तो टीचर ने मेरी बहुत तारीफ की। इससे कुकिंग में मेरी रुचि बढ़ती गई और ये मेरा पैशन बन गया।

मैं अपना बिजनेस करना चाहती थी

मुझे जॉब करने में रुचि नहीं थी। मैं अपना बिजनेस करना चाहती थी इसलिए 10वीं के बाद मैंने दो साल का होम साइंस में डिप्लोमा किया। उसके बाद कुकिंग, फूड स्टाइलिंग, होम मैनेजमेंट, फैशन डिजाइनिंग और ब्यूटीशियन का कोर्स भी किया। मैं बचपन से क्रिएटिव रही हूं। काफी समय तक मैंने होम डेकोर और वेडिंग डेकोरेशन का बिजनेस किया। तब मेरे साथ 10 लड़कियां काम करती थीं। मेरा ये बिजनेस भी बहुत अच्छा चला, लेकिन मैंने ज्यादा टाइम कुकिंग को ही दिया। आज भी मुझे त्योहारों के समय दीया, तोरण, शुभ लाभ बनाने के ऑर्डर मिलते हैं। अगर मेरे पास समय होता है तो मैं लड़कियों को इस काम से रोजगार देने की कोशिश करती हूं।

चॉल में की कुकिंग क्लासेस की शुरुआत

मैं कूकिंग में करियर बनाना चाहती थी। शुरुआत में मैं पेपर पर हाथ से अपने कुकिंग क्लासेस की डिटेल लिखती थी। उन्हें पैम्फलेट की तरह खुद बांटने जाती थी। तब हम चॉल में रहते थे। मैं लोगों को अपने घर बुलाने में हिचकिचाती थी, लेकिन मेरा काम देखकर चॉल में भी लोग मुझसे कुकिंग सीखने आते थे। तब मां कुकिंग क्लासेस में मेरी मदद करती थीं। उसके बाद तो कभी पीछे मुड़कर देखने की जरूरत ही नहीं पड़ी। कुकिंग के मेरे पैशन ने मुझे बहुत नाम और सफलता दी।

ऐसे मिला पहला टीवी शो

कई मैगजीन में मेरी रेसिपीज छपने लगीं। पहले मैं कुकिंग कॉम्पिटिशन में हिस्सा लेने जाया करती थी, लेकिन धीरे धीरे मुझे जज के तौर पर बुलाया जाने लगा। मेरा ‘श्रीजी कुकिंग क्लासेस’ मुंबई में मशहूर होने लगी। मेरी पहली कुक बुक ‘फैंसी नाश्ता’ भी काफी पॉपुलर हुई।

एक कुकिंग शो में मुझे और शेफ विष्णु मनोहर को जज के तौर पर बुलाया गया। विष्णु मनोहर एक मराठी टीवी शो ‘मेजवानी परिपूर्ण’ के होस्ट थे। उन्होंने मुझे अपने शो में पार्टिसिपेंट के तौर पर बुलाया। मैं उस शो में मुंबई की विनर रही।

उसके बाद उन्होंने मुझे चैनल के लिए फूड स्टाइलिंग का काम करने का ऑफर दिया। बीच बीच में मुझे शो होस्ट करने का मौका भी मिलने लगा। यहां से मेरे टीवी शोज की शुरुआत हुई। इस समय मैं एक गुजराती रसोई शो की शेफ हूं। ये एशिया का सबसे लंबे समय तक चलने वाला कुकिंग टीवी शो है। 18 सालों से चल रहे इस शो के अब तक 6500 एपिसोड आ चुके हैं। इसके हर एपिसोड में 4 रेसिपीज बनाई जाती हैं।

जल्दी ही मैं ओटीटी प्लेटफॉर्म पर एक बहुत बड़ा कुकिंग शो करने जा रही हूं। इस शो से मुझे बहुत उम्मीदें हैं। मुझे पूरा यकीन है कि ये शो मुझे एक नई पहचान देगा।

फाइव स्टार होटल में शेफ को ट्रेनिंग देती हूं

मैं फूड स्टाइलिंग के अलावा फाइव स्टार होटल में शेफ को ट्रेनिंग देने का काम भी करती हूं। होटल मुझसे मेरी यूनीक रेसिपीज खरीदते हैं, उन्हें अपने मेनू में शामिल करते हैं और इसके लिए मुझे अच्छे-खासे पैसे मिलते हैं। मैं होटल में जाकर वहां के शेफ को अपनी रेसिपीज सिखाती हूं।

पति मेरा सपोर्ट सिस्टम हैं

मुझे अपने काम के लिए बहुत ट्रैवल करना पड़ता है, लेकिन पति मुझे पूरा सपोर्ट करते हैं। वो कदम कदम पर मेरा साथ देते हैं इसलिए मैं बेफिक्र होकर काम कर पाती हूं। पति केयुर पंड्या फिलहाल मेरे ही गुजराती कुकिंग शो का प्रोडक्शन देख रहे हैं।

हमारी लव मैरिज हुई है। हम एक सोशल फंक्शन में मिले। मैं पहले शादी के लिए तैयार नहीं थी, लेकिन केयुर ने मेरा 5 साल इंतजार किया। उनके प्यार के आगे मैं हार गई और हमने शादी कर ली। मेरे सास-ससुर और देवर अहमदाबाद में रहते हैं, वो भी मुझे बहुत सपोर्ट करते हैं।

कई सीक्रेट रेसिपीज अभी बाकी हैं

फूड इंडस्ट्री इतनी विशाल है कि यहां जितना काम सीखें उतना कम है। मैं आज भी हर रोज कुछ नया सीखने की कोशिश करती हूं। दुनियाभर में कुकिंग इंडस्ट्री में क्या नया हो रहा है उस पर नजर रखती हूं।

भारत की लाखों रेसिपीज अभी तक दुनिया के सामने नहीं आ पाई हैं। मेरी यही कोशिश रहती है कि मैं देशभर की नई नई रेसिपीज लोगों तक पहुंचाऊं। मेरे खजाने में अभी भी बहुत सारी सीक्रेट रेसिपीज बची हैं जिन्हें अभी दुनिया के सामने आना बाकी है।

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