नई दिल्ली38 मिनट पहले

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सुंदर पिचाई टेक कंपनी गूगल के CEO हैं। - Dainik Bhaskar

सुंदर पिचाई टेक कंपनी गूगल के CEO हैं।

गूगल के जेमिनी AI ने गलत इतिहास बताने वाली तस्वीरें और टेक्स्ट जेनरेट कर यूजर्स को नाराज किया है। यह पूरी तरह से अनएक्सेप्टेबल है। गूगल के CEO सुंदर पिचाई ने अपने कर्मचारियों को भेजे एक इंटरनल मेमो में ये बात कही है।

गूगल ने इस महीने की शुरुआत में जेमिनी AI के जरिए इमेज जेनरेट करने का फीचर लॉन्च किया था। इसमें यूजर्स प्रॉम्प्ट लिखकर इमेज जेनरेट कर सकते हैं। हालांकि कुछ यूजर्स ने इस टूल से जेनरेट इमेज और जवाबों को लेकर सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई थी।

जेमिनी ने जर्मन आर्मी की यूनिफॉर्म में एशियाई महिला को दिखाया
एक यूजर ने जेमिनी से 1943 के जर्मन सैनिक की इमेज बनाने को कहा तो टूल ने जर्मन आर्मी की यूनिफॉर्म में एक एशियाई महिला की तस्वीर जेनरेट कर दी। इसी तरह टूल ने मध्यकालीन ब्रिटिश राजा और 18वीं सदी के फ्रांस के राजा की भी गलत तस्वीरें जेनरेट की थीं।

AI ने मस्क के मीम्स और हिटलर दोनों को नकारात्मक बताया
जेमिनी का ये विवाद तब और बढ़ गया जब इस AI टूल की टेक्स्ट बेस्ड यूजर क्वेरी सोशल मीडिया पर वायरल हुई। इस क्वेरी में यूजर ने जेमिनी से सवाल किया था- एडॉल्फ हिटलर या एलन मस्क के मीम्स किसका सोसाइटी पर ज्यादा नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

जेमिनी ने जवाब दिया, ‘यह निश्चित रूप से कहना मुश्किल है कि एलन मस्क या हिटलर में से किसने समाज पर अधिक नकारात्मक प्रभाव डाला, क्योंकि दोनों ने अलग-अलग तरीकों से नकारात्मक प्रभाव डाला है।’

मैसिव मल्टीटास्क लैंग्वेज अंडरस्टैंडिंग मॉडल पर बेस्ड है जेमिनी
जेमिनी को 6 दिसंबर 2023 को लॉन्च किया गया था। ये मैसिव मल्टीटास्क लैंग्वेज अंडरस्टैंडिंग मॉडल (MMLU) पर बेस्ड है। जेमिनी मॉडल के अल्ट्रा वैरिएंट ने तर्क करने और तस्वीरों को समझने समेत 32 बेंचमार्क टेस्ट में से 30 में ChatGPT 4 से बेहतर प्रदर्शन किया है। जेमिनी प्रो ने 8 में से 6 बेंचमार्क टेस्ट में ChatGPT के फ्री वर्जन GPT 3.5 से बेहतर प्रदर्शन किया है।

जेमिनी को तीन साइज में लॉन्च किया गया है। सभी को अलग-अलग उद्देश्यों के लिए बनाया गया है।

जेमिनी को तीन साइज में लॉन्च किया गया है। सभी को अलग-अलग उद्देश्यों के लिए बनाया गया है।

बड़े डेटासेट से ट्रेन होते हैं लार्ज लैंग्वेज मॉडल
लार्ज लैंग्वेज मॉडल एक डीप लर्निंग एल्गोरिदम है। इन्हें बड़े डेटासेट का इस्तेमाल करके ट्रेन किया गया है। इसीलिए इसे लॉर्ज कहा जाता है। यह उन्हें ट्रांसलेट करने, प्रेडिक्ट करने के अलावा टेक्स्ट और अन्य कंटेंट को जेनरेट करने में सक्षम बनाता है।

लार्ज लैंग्वेज मॉडल को न्यूरल नेटवर्क (NNs) के रूप में भी जाना जाता है, जो मानव मस्तिष्क से प्रेरित कंप्यूटिंग सिस्टम हैं। लार्ज लैंग्वेज मॉडल को प्रोटीन संरचनाओं को समझने, सॉफ्टवेयर कोड लिखने जैसे कई कामों के लिए ट्रेन किया जा सकता है।

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