नई दिल्ली12 मिनट पहले

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वर्ल्ड बैंक ने 2024 के लिए भारत के इकोनॉमिक ग्रोथ (GDP ग्रोथ) के अनुमान को 1.2% बढ़ाकर 7.5% कर दिया है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024 में सर्विस और इंडस्ट्रियल सेक्टर में तेजी के चलते भारत की आउटपुट ग्रोथ भी 7.5% तक पहुंच सकती है। इस दौरान आउटपुट ग्रोथ और कंसोलिडेशन के चलते फिस्कल डेफिसिट यानी राजकोषीय घाटा और सरकार पर कर्ज में भी कमी होगी।

रिपोर्ट के अनुसार 2023 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में आर्थिक गतिविधियों की ग्रोथ 8.3% रही थी। ये निवेश और सरकारी खपत में लगातार हो रही बढ़ोतरी के कारण है। हाल के सर्वे डेटा से मजबूत प्रदर्शन आगे भी जारी रहने की संभावना है।

RBI के टारगेट रेंज में है महंगाई
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 के मध्य में आई तेजी के बाद से महंगाई RBI के 2%-6% के टारगेट रेंज में बनी हुई है। फूड प्राइस इंफ्लेशन में हालांकि बढ़ोतरी हुई है, जिसकी एक वजह अल नीनो के चलते कमजोर फसल है।

FY 2024-25 के लिए 6.4% का अनुमान लगाया था
इससे पहले जनवरी में वर्ल्ड बैंक ने फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए भारत के ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी GDP ग्रोथ के अनुमान को 6.4% पर बरकरार रखा था। अपनी हाफ-ईयरली ‘ग्लोबल इकोनॉमिक रिपोर्ट’ में बैंक ने यह अनुमान जारी किया था।

वित्त वर्ष 2025-26 में GDP ग्रोथ 6.5% रहने का अनुमान
वर्ल्ड बैंक ने फाइनेंशियल ईयर 2025-26 के लिए भी GDP ग्रोथ के अनुमान को 6.5% रखा है। वर्ल्ड बैंक ने यह भी कहा है कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज गति से बढ़ेगी।

वर्ल्ड बैंक का यह प्रोजेक्शन मुख्य रूप से डोमेस्टिक डिमांड में भारी बढ़ोतरी, पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च और स्ट्रॉग प्राइवेट सेक्टर क्रेडिट ग्रोथ से प्रभावित है। हालांकि, वर्ल्ड बैंक ने यह भी कहा है कि उच्च खाद्य महंगाई और पेंटअप डिमांड में कमी के चलते प्राइवेट कंजम्पशन ग्रोथ कम रह सकती है।

फिच के मुताबिक, FY25 में 7% से बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच (Fitch) ने वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) के लिए भारत का इकोनॉमिक ग्रोथ अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 7% कर दिया है। फिच ने कहा कि भारत की आर्थिक ग्रोथ को मजबूत घरेलू मांग और निवेश में बढ़ोतरी से सपोर्ट मिलेगा।

रेटिंग एजेंसी ने 2024 के अंत तक रिटेल महंगाई गिरकर 4% तक आने का भी अनुमान लगाया है। फिच को उम्मीद है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) जुलाई से दिसंबर के बीच रेपो रेट में 0.5% की कटौती कर सकता है।

फिच के फोरकास्ट में यह बदलाव लगभग दो हफ्ते बाद आया है जब नेशनल स्टैटिकल ऑफिस (NSO) के ऑफिशियल आंकड़ों से पता चला है कि अक्टूबर-दिसंबर की अवधि में देश की GDP में 8.4% की वृद्धि हुई है। जो मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर के बेहतर परफॉर्मेंस से बढ़ी है।

GDP क्या है?
GDP इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे कॉमन इंडिकेटर्स में से एक है। GDP देश के भीतर एक स्पेसिफिक टाइम पीरियड में प्रोड्यूस सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को रिप्रजेंट करती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं उन्हें भी शामिल किया जाता है।

दो तरह की होती है GDP
GDP दो तरह की होती है। रियल GDP और नॉमिनल GDP। रियल GDP में गुड्स और सर्विस की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है। फिलहाल GDP को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है। वहीं नॉमिनल GDP का कैलकुलेशन करंट प्राइस पर किया जाता है।

कैसे कैलकुलेट की जाती है GDP?
GDP को कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है। GDP=C+G+I+NX, यहां C का मतलब है प्राइवेट कंजम्प्शन, G का मतलब गवर्नमेंट स्पेंडिंग, I का मतलब इन्वेस्टमेंट और NX का मतलब नेट एक्सपोर्ट है।

GDP की घट-बढ़ के लिए जिम्मेदार कौन है?
GDP को घटाने या बढ़ाने के लिए चार इम्पॉर्टेंट इंजन होते हैं। पहला है, आप और हम। आप जितना खर्च करते हैं, वो हमारी इकोनॉमी में योगदान देता है। दूसरा है, प्राइवेट सेक्टर की बिजनेस ग्रोथ। ये GDP में 32% योगदान देती है। तीसरा है, सरकारी खर्च।

इसका मतलब है गुड्स और सर्विसेस प्रोड्यूस करने में सरकार कितना खर्च कर रही है। इसका GDP में 11% योगदान है। और चौथा है, नेट डिमांड। इसके लिए भारत के कुल एक्सपोर्ट को कुल इम्पोर्ट से घटाया जाता है, क्योंकि भारत में एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा है, इसलिए इसका इम्पैक्ट GPD पर निगेटिव ही पड़ता है।

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