2 घंटे पहले

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भारतीय नौसेना ने बांग्लादेशी जहाज की यह तस्वीर शेयर की। हालांकि, इसमें घेरे में मौजूद लोग कौन हैं, इसकी जानकारी नहीं दी गई है। - Dainik Bhaskar

भारतीय नौसेना ने बांग्लादेशी जहाज की यह तस्वीर शेयर की। हालांकि, इसमें घेरे में मौजूद लोग कौन हैं, इसकी जानकारी नहीं दी गई है।

भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर में एक बांग्लादेशी जहाज को सोमालिया के समुद्री लुटेरों से रेस्क्यू कर लिया है। दरअसल, 12 मार्च को मोजाम्बिक से संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जा रहे बांग्लादेशी मर्चेंट वेसल अब्हुल्लाह पर 15-20 हथियारबंद लुटेरों ने जहाज पर हमला कर दिया था।

जहाज सोमालिया की राजधानी मोगादिशु से करीब 1100 किमी दूर था। इस पर बांग्लादेश के 23 क्रू मेंबर्स सवार थे। हाइजैक की सूचना मिलते ही भारतीय नेवी ने क्रू सदस्यों से संपर्क करने की कोशिश की। इसके बाद कोई जवाब न मिलने पर नौसेना ने अपने पैट्रोलिंग एयरक्राफ्ट को जहाज की निगरानी के लिए भेजा।

मर्चेंट वेसल अब्दुल्लाह को पहले गोल्डन हॉक जहाज के नाम से जाना जाता था। (फाइल)

मर्चेंट वेसल अब्दुल्लाह को पहले गोल्डन हॉक जहाज के नाम से जाना जाता था। (फाइल)

जहाज पर मौजूद था 55 हजार टन कोयला
14 मार्च की सुबह भारतीय युद्धपोत ने MV अब्दुल्लाह को रेस्क्यू कर लिया। इंडियन नेवी के मुताबिक, जहाज में मैजूद सभी क्रू मेंबर्स सुरक्षित हैं। यह जहाज बांग्लादेश की कबीर स्टील री-रोलिंग मिल्स नाम की कंपनी का है। इस पर करीब 55 हजार टन कोयला मौजूद था।

हाइजैक होने के बाद 13 मार्च को बांग्लादेशी मीडिया ढाका ट्रिब्यून ने जहाज पर मौजूद एक क्रू सदस्य के हवाले से बताया था कि उन पर करीब 50 लुटेरों ने हमला किया। अफ्रीका के मैरीटाइम सिक्योरिटी सेंटर के मुताबिक, पिछले साल नवंबर से लेकर अब तक अदन की खाड़ी में 20 बार जहाज हाईजैक करने की कोशिश की जा चुकी है।

पिछले साल इजराइल-हमास जंग की शुरुआत के बाद से अरब और लाल सागर में मर्चेंट वेसल पर हमले की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। अलजजीरा के मुताबिक, आखिरी बार सोमालिया के लुटेरों ने 2008 से 2018 तक जहाज पर हमले किए थे। हालांकि, 2018 के बाद ऐसी घटनाएं होना बेहद कम हो गई थीं।

मैप में सोमालिया की लोकेशन देखी जा सकती है। हाईजैक हुआ जहाज राजधानी मोगादिशु से 1100 किमी दूर था…

लुटेरों ने भारतीय क्रू वाले 5 जहाजों पर हमला किया
लुटेरे अब तक 5 बार भारतीय क्रू मेंबर वाले जहाजों पर भी हमला कर चुके हैं। इससे पहले 4 जनवरी को भारतीय नौसेना ने समुद्री लुटेरों से एक जहाज को छुड़ाया था। लाइबेरिया के फ्लैग वाले इस जहाज का नाम लीला नोर्फोर्क था। भारतीय नौसेना ने बताया था कि जहाज ने ब्रिटेन के मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशन्स (UKMTO) पोर्टल पर एक संदेश भेजा था। इसमें कहा गया था कि 5-6 सुमद्री लुटेरे हथियारों के साथ जहाज पर उतरे।

हाईजैक की सूचना मिलते ही एक मैरीटाइम पैट्रोलिंग एयरक्राफ्ट P8I को जहाज की तरफ रवाना किया गया। मर्चेंट वेसल की सुरक्षा के लिए INS चेन्नई को भी भेजा गया। नौसेना का ऑपरेशन 5 जनवरी को पूरा हुआ था। इस दौरान 15 भारतीयों समेत सभी 21 क्रू मेंबर्स को सुरक्षित निकाल लिया गया था।

भारतीय नौसेना ने माल्टा के जहाज को रेस्क्यू किया था
इससे पहले 14 दिसंबर को भी समुद्री लुटेरों ने माल्टा के एक जहाज को हाईजैक कर लिया था। इसके बाद नौसेना ने अपने एक युद्धपोत को अदन की खाड़ी में हाइजैक हुए जहाज MV रुएन की मदद के लिए भेजा था। जहाज को 6 लोगों ने अगवा किया था।

भारतीय नौसेना ने माल्टा के जहाज से एक नाविक को रेस्क्यू किया था। यह नाविक गंभीर रूप से जख्मी था। इसका इलाज शिप पर मुमकिन नहीं था, लिहाजा उसे ओमान भेजा गया था। द मैरीटाइम एग्जीक्यूटिव की रिपोर्ट के मुताबिक हाइजैक हुआ जहाज कोरिया से तुर्किये की तरफ जा रहा था।

फुटेज 5 जनवरी को भारतीय नौसेना के रेस्क्यू ऑपरेशन की है। शिप पर नौसेना के मार्कोस कमांडो नजर आ रहे हैं। उन्होंने सबसे पहले क्रू मेंबर्स को सुरक्षित निकाला। इसके बाद पूरे जहाज की सर्चिंग की।

फुटेज 5 जनवरी को भारतीय नौसेना के रेस्क्यू ऑपरेशन की है। शिप पर नौसेना के मार्कोस कमांडो नजर आ रहे हैं। उन्होंने सबसे पहले क्रू मेंबर्स को सुरक्षित निकाला। इसके बाद पूरे जहाज की सर्चिंग की।

1990 के बाद सोमालिया में बढ़े समुद्री लुटेरे
सोमालिया वो मुल्क है, जिसके समुद्र में बड़ी तादाद में मछलियां मौजूद हैं। 1990 तक इसकी अर्थव्यवस्था मछलियों से ही चलती थी। तब यहां समुद्री लुटेरों का कोई डर नहीं था। अधिकतर लोग मछली का व्यापार करते थे। फिर यहां सिविल वॉर शुरू हो गया। सरकार और नौसेना नहीं रही। इसका फायदा विदेशी कंपनियों ने उठाया।

सोमालिया के लोग छोटी नावों में मछली पकड़ते थे। उनके सामने विदेशी कंपनियों के बड़े-बड़े ट्रॉलर आकर खड़े हो गए। लोगों का रोजगार छिनने लगा। इससे परेशान होकर 1990 के बाद इस देश के लोगों ने हथियार उठा लिए और समुद्री लुटेरे बन गए। समुद्री मालवाहक जहाजों का एक बड़ा बेड़ा सोमालिया कोस्ट के पास से होकर गुजरता था।

मछुआरे से लुटेरे बने लोगों ने इन जहाजों को निशाना बनाना शुरू किया। जहाज छोड़ने के बदले वे फिरौती लेने लगे। साल 2005 तक यह धंधा इतना बड़ा हो गया कि एक पाइरेट स्टॉक एक्सचेंज बना दिया गया। यानी लुटेरों के अभियान को फंड करने के लिए लोग इन्वेस्ट कर सकते थे। बदले में लोगों को लूटी हुई रकम का एक बड़ा हिस्सा मिलता।

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