12 घंटे पहले

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि पहली बार सभी अरब देश इजराइल को मान्यता देने के लिए तैयार हुए हैं। - Dainik Bhaskar

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि पहली बार सभी अरब देश इजराइल को मान्यता देने के लिए तैयार हुए हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का कहना है कि पहली बार सऊदी अरब, मिस्र, जॉर्डन, कतर समेत सभी अरब देश इजराइल को मान्यता देने के लिए तैयार हैं।

अमेरिकी मीडिया CNN के मुताबिक, बाइडेन ने जंग के बाद गाजा की स्थिति और टू-स्टेट सोल्यूशन का जिक्र किया। यहां टू-स्टेट सॉल्यूशन का मतलब इजराइल और फिलिस्तीन को स्वतंत्र राज्य के तौर पर मान्यता देने से है।

बाइडेन ने एक फंडरेजर प्रोग्राम के दौरान अरब देशों के इजराइल को मान्यता देने की बात कही। उनके साथ पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा (बाएं) और बिल क्लिंटन (दाएं) भी मौजूद थे।

बाइडेन ने एक फंडरेजर प्रोग्राम के दौरान अरब देशों के इजराइल को मान्यता देने की बात कही। उनके साथ पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा (बाएं) और बिल क्लिंटन (दाएं) भी मौजूद थे।

बाइडेन ने कहा- गाजा को लेकर प्लान जरूरी
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक बाइडेन की यह टिप्पणी बताती है कि वो चाहते हैं कि इजराइल, गाजा में फिलिस्तीनी नागरिकों को सुरक्षित रखे।

बाइडेन ने कहा, “मैं अभी विस्तार से जानकारी नहीं दूंगा। लेकिन देखिए, मैं सउदी, मिस्र, जॉर्डन और कतर समेत अन्य अरब देशों के साथ काम कर रहा हूं। वे पहली बार इजराइल को पूरी तरह से मान्यता देने के लिए तैयार हैं। लेकिन इसके लिए गाजा को लेकर कोई प्लान होना चाहिए। एक टू-स्टेट सॉल्यूशन होने चाहिए। यह आज हो ये जरूरी नहीं, लेकिन इसमें कुछ प्रोग्रेस होनी चाहिए। मुझे लगता है कि हम ऐसा कर सकते हैं।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन 5 फरवरी को सऊदी की राजधानी रियाद पहुंचे थे। उन्होंने इजराइल-हमास जंग पर क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से बात की थी।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन 5 फरवरी को सऊदी की राजधानी रियाद पहुंचे थे। उन्होंने इजराइल-हमास जंग पर क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से बात की थी।

अरब देशों ने 2002 में इजराइल को मान्यता देने की पेशकश की थी
अरब देशों ने 2002 में इजराइल को मान्यता देने की पेशकश की थी। शर्त रखी थी कि इजराइली कब्जे वाले वेस्ट बैंक और गाजा को फिलिस्तीनी राज्य माना जाए और पूर्वी यरुशलम को फिलिस्तीन की राजधानी बनाया जाए। लेकिन तब इजराइल ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।

सऊदी अरब समेत कई अरब देशों ने अब तक इजराइल को एक देश के तौर पर मान्यता नहीं दी है। इसलिए इजराइल के इन देशों के साथस डिप्लोमैटिक रिलेशन्स नहीं है।

सऊदी का कहना है कि वो इजराइल के साथ संबंध सामान्य कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए उसे 2002 के अरब शांति प्रस्ताव की शर्तें माननी होंगी।

2002 में तय हुआ था कि इजराइल को उन सभी क्षेत्रों से अपना कब्जा हटाना होगा जो उसने 1967 की जंग के दौरान किया। फिलिस्तीन को एक आजाद मुल्क मानना होगा। पूर्वी यरुशलम को उसकी राजधानी माननी होगी। इन शर्तों में सभी अरब देशों की सहमति थी।

सितंबर 2020 में अमेरिका ने अब्राहम अकॉर्ड कराया था। उस वक्त डोनाल्ड ट्रम्प प्रेसिडेंट थे। UAE और बहरीन समेत चार अरब देशों ने इजराइल को मान्यता दी थी। (फाइल)

सितंबर 2020 में अमेरिका ने अब्राहम अकॉर्ड कराया था। उस वक्त डोनाल्ड ट्रम्प प्रेसिडेंट थे। UAE और बहरीन समेत चार अरब देशों ने इजराइल को मान्यता दी थी। (फाइल)

इजराइल को मान्यता दिलाने में अमेरिकी रोल
इजराइल सरकार ने हाल ही में माना था कि सऊदी से बैकडोर डिप्लोमैसी के तहत बातचीत जारी है और अमेरिका मीडिएटर का रोल प्ले कर रहा है।

अमेरिकी फॉरेन सेक्रेटरी ने भरोसा दिलाया था कि इस प्रोसेस में फिलिस्तीन के मुद्दों और हितों को ध्यान में रखा जाएगा। तब इजराइल-सऊदी मामलों के एक्सपर्ट सलाम सेजवानी ने कहा था- सितंबर 2020 में अमेरिका ने अब्राहम अकॉर्ड कराया था। ये बहुत बड़ी कामयाबी थी।

अब्राहम अकॉर्ड के वक्त डोनाल्ड ट्रम्प प्रेसिडेंट थे। उस वक्त UAE, बहरीन, मोरक्को और सूडान ने इजराइल को मान्यता दी। आज इजराइल और UAE के बीच डिफेंस और ट्रेड रिलेशन बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं।

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‘गाजा अब दो हिस्सों में बंट चुका है। उत्तरी गाजा और दक्षिणी गाजा। उत्तरी गाजा में हम हमास का सफाया कर रहे हैं और दक्षिण में घायलों की मदद। अगर हमें लगता है कि वहां भी कोई हमास लड़ाका है तो उसे भी मार गिराया जा रहा है।’ 4 नवंबर को इजराइली सेना के प्रवक्ता डेनियल हागरी ने ये बात कही। पढ़ें पूरी खबर…

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