13 घंटे पहले
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फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों ने यूक्रेन जंग पर अपने रुख में बदलाव किया है।
इटली ने चेतावनी दी है कि अगर नाटो ने अपने सैनिक यूक्रेन भेजे तो तीसरा विश्व युद्ध छिड़ जाएगा। इटली के विदेश मंत्री एंटोनियो तजानी ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, ‘ मुझे नहीं लगता है कि नाटो को अपने यूक्रेन भेजने चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो ये बड़ी गलती होगी। हमें यूक्रेन की इतनी मदद करनी चाहिए जिससे वो अपनी रक्षा कर सके।
यूक्रेन में घुसकर रूस के खिलाफ लड़ने का मतलब तीसरे विश्व युद्ध को न्यौता देना होगा। इटली के विदेश मंत्री का कमेंट उस समय आया है जब फ्रांस के राष्ट्रपति ने यूक्रेन में सैनिक उतारने की बात कही थी। तजानी ने ये भी कहा कि हमारी सेना जो कर रही हैं वो बेहतर है। वो लाल सागर में हमारे जहाज बचा रही हैं। उन्होंने यूक्रेन में फौज भेजने से साफ इनकार कर दिया।
रूस के कब्जे वाले यूक्रेनी इलाके में भी पुतिन राष्ट्रपति चुनाव करवा रहे हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि लोगों से गन पॉइंट पर वोटिंग कराई जा रही है।
‘फ्रांस में जंग में उतरने की ताकत है’
पिछले महीने फ्रांस के राष्ट्रपति ने यूक्रेन में सेना उतारने की संभावनाओं को खारिज करने से इनकार कर दिया था। शुक्रवार को उन्होंने फिर से ये बात दोहराई। उन्होंने एक फ्रांसीसी अखबार ला पेरिसियन को कहा ” मैं भी नहीं चाहता की ऐसा हो। मैं इसकी पहल भी नहीं करूंगा पर हमें रूसी सेना को खदेड़ने के लिए यूक्रेन में ग्राउंड ऑपरेशन चलाने की जरूरत है चाहे वो जैसे भी हों।
उन्होंने कहा था कि फ्रांस में इतनी (जंग में उतरने) की ताकत है, वो ऐसा कर सकता है। शुक्रवार को मैक्रों ने जर्मनी और पोलैंड के नेताओं से मुलाकात भी की थी। इसके बाद उन्होंने कहा था कि हमारी तिकड़ी रूस को कभी जीतने नहीं देगी। हम अंत तक यूक्रेन के लोगों के साथ खड़े हैं।
जंग पर कैसे बदला मैक्रों का रुख
जंग के शुरुआती दौर में मैक्रों रूस के खिलाफ कठोर कदम उठाकर युद्ध का दायरा बढ़ाने के खिलाफ थे। वो हर मंच पर जाकर ये अपील करते थे कि नाटो देश रूस को अलग-थलग न करें। हालांकि, हाल ही के दिनों में उनका बिल्कुल पलट गया है। मैक्रों अब कहते हैं कि यूक्रेन को मदद देना कम करने का मतलब रूस के सामने घुटने टेक देना है।
मैक्रों ने पहले कहा था कि पुतिन से बातचीत के माध्यम बंद नहीं किए जाने चाहिए। उन्होंने अब एक इंटरव्यू में कहा कि रूस के जंग जीतने से पूरा यूरोप खतरे में पड़ेगा। उन्होंने यूक्रेन में सैनिक उतारने के बयान का बचाव करते हुए कहा ‘2 साल पहले हमने कहा था कि टैंक नहीं भेजेंग पर हमने भेजे। हमने कहा था कि मिसाइलें नहीं भेजेंगे पर हमने भेजी।’
मैक्रों ने खुलकर ये बात स्वीकार की है कि जंग पर उनकी सोच बदली है। उन्होंने इसकी वजह नवलनी की मौत और रूस की तरफ सायबर अटैक बताए हैं। उन्होंने कहा ‘रूस ऐसी ताकत बन गया है जो यहीं नहीं रुकेगा। अगर हमने यूक्रेन को अकेला छोड़ा तो रूस मोलदोव, रोमानिया और पोलैंड को धमकाएगा।
यूक्रेन और रूस के युद्ध का भविष्य क्या है? पुतिन और जेलेंस्की क्या चाहते हैं?
इस बारे में रूस मामलों के एक्सपर्ट और JNU प्रोफेसर राजन कहते हैं, ‘युद्ध की शुरुआत में पुतिन चाहते थे कि वह कीव पर कब्जा करके जेलेंस्की को सत्ता से बाहर कर दें और यूक्रेन के लिए अपनी मर्जी का कोई शासक नियुक्त कर दें, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अब वह उन इलाकों को रूस में मिला रहे हैं जहां रूस समर्थक आबादी ज्यादा है।’
राजन कुमार के मुताबिक ऐसी भी कोई संभावना नहीं है कि पुतिन, यूक्रेन के साथ कोई समझौता करके अपने कब्जे के यूक्रेनी इलाकों को छोड़ दें। यूक्रेन का भी पीछे हटने का कोई इरादा नहीं है। जेलेंस्की का कहना है कि वो फिर से जवाबी कार्रवाई शुरू करेंगे, ताकि उन्हें पश्चिमी देशों से मदद मिलती रहे। ऐसे में ये युद्ध अभी लंबा खिंचने की आशंका है।