बेंगलुरु33 मिनट पहले

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कर्नाटक की कांग्रेस सरकार का कहना है कि राज्य में 40 से 50 हजार पुजारी हैं, जिनकी सरकार मदद करना चाहती है। - Dainik Bhaskar

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार का कहना है कि राज्य में 40 से 50 हजार पुजारी हैं, जिनकी सरकार मदद करना चाहती है।

कर्नाटक सरकार ने विधेयक पास करवा कर मंदिरों पर टैक्स लगा दिया है। कांग्रेस सरकार की तरफ से विधानसभा में पेश किया गया कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती बिल 2024 पास हो गया है। अब कर्नाटक सरकार मंदिरों से टैक्स वसूल करेगी।

बिल के अनुसार यदि किसी मंदिर की आय 1 करोड़ रुपए है, तो उसे 10% और यदि मंदिर की आय 1 करोड़ से कम और 10 लाख से अधिक है तो उसे 5% टैक्स सरकार को देना होगा।

इस बिल के विरोध में भाजपा समेत कई संत भी उतर आए हैं। हालांकि कांग्रेस ने बिल का बचाव करते हुए कहा है कि राज्य में 40 से 50 हजार पुजारी हैं जिनकी सरकार मदद करना चाहती है।

भाजपा के आरोपों का खंडन करते हुए सरकार ने कहा कि यह प्रावधान नया नहीं है, बल्कि 2003 से अस्तित्व में है। मौजूदा सरकार ने केवल स्लैब में एडजस्टमेंट किया है।

क्या हैं बिल के प्रावधान, जिन पर विवाद हुआ
कर्नाटक में 3 हजार सी-ग्रेड मंदिर हैं, जिनकी आय पांच लाख से कम है। यहां से धर्मिका परिषद को कोई पैसा नहीं मिलता है। धर्मिका परिषद तीर्थयात्रियों के लाभ के लिए मंदिर प्रबंधन में सुधार करने वाली एक समिति है।

5 लाख से 25 लाख के बीच आय वाले बी-ग्रेड मंदिर हैं, जहां से आय का 5% साल 2003 से धर्मिका परिषद को जा रहा है। धर्मिका परिषद को 2003 से उन मंदिरों से 10% राजस्व मिल रहा था जिनकी सकल आय 25 लाख से ज्यादा थी।

राज्य धर्मिका परिषद के काम

  • किसी अन्य धार्मिक संस्था को सहायता देना जो गरीब है या जिसको सहायता की जरूरत है।
  • हिंदू धर्म से जुड़े किसी भी धार्मिक उद्देश्य के लिए सहायता देना।
  • पुजारियों को ट्रेनिंग देना और वेद पाठशालाओं की स्थापना और रखरखाव करना।
  • किसी यूनिवर्सिटी और कॉलेज की स्थापना और रखरखाव करना, जिसका मकसद हिंदू धर्म, दर्शन या शास्त्रों का अध्ययन करना है।
  • मंदिर कला और वास्तुकला को बढ़ावा देना और हिंदू बच्चों के लिए अनाथालयों की स्थापना करना।6. तीर्थयात्रियों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए अस्पतालों की स्थापना करना।

कर्नाटक में 50 हजार पुजारी, टैक्स का पैसा इनके लिए इस्तेमाल होगा- रेड्‌डी
कर्नाटक के मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने बताया कि यह प्रावधान नया नहीं है बल्कि 2003 से अस्तित्व में है। राज्य में 50 हजार पुजारी हैं जिनकी सरकार मदद करना चाहती है। अगर पैसा धर्मिका परिषद तक पहुंच जाता है तो हम उन्हें बीमा कवर दे सकते हैं। अगर उनके साथ कुछ होता है तो उनके परिवारों को कम से कम 5 लाख रुपए मिलें। प्रीमियम का भुगतान करने के लिए हमें 7 से 8 करोड़ रुपए की जरूरत है।

मंत्री ने कहा कि सरकार मंदिर के पुजारियों के बच्चों को स्कॉलरशिप देना चाहती है, जिसके लिए सालाना 5 से 6 करोड़ रुपए की जरूरत हेगी।

काशी के संत नाराज, बोले- ये टैक्स मुगलकालीन जजिया कर जैसा

काशी के संतों ने इस विधेयक की निंदा करते हुए कांग्रेस सरकार पर कटाक्ष किया है। संत समाज ने इस विधेयक को मुगल कालीन फरमान बताया है। साथ ही विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करने और कर्नाटक के राज्यपाल से अखिल भारतीय समिति ने इसे मंजूर न करने की मांग की है।

अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने इसकी मुगल काल के जजिया कर से तुलना की है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत में धर्म के आधार पर यह पहला मामला है। पढ़ें पूरी खबर…

BJP का आरोप- सरकार मंदिरों के पैसे से खाली खजाना भरना चाहती है
भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार मंदिरों के पैसे से अपना खाली खजाना भरना चाहती है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने सरकार से पूछा कि राजस्व के लिए केवल अन्य धर्मों को छोड़कर हिंदू मंदिरों को ही क्यों निशाना बनाया जाता है।

उन्होंने आरोप लगाया, “यह विधेयक न केवल सरकार की दयनीय स्थिति को दर्शाता है, बल्कि हिंदू धर्म के लिए उनकी नफरत को भी दर्शाता है।

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