नई दिल्ली3 घंटे पहले
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मैं किशोरी जाजोदिया,
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के पड़रौना की रहने वाली हूं। मारवाड़ी ब्राह्मण परिवार से हूं। मेरे पूर्वज राजस्थान के जाजोद के रहने वाले थे, इसलिए सरनेम में जाजोदिया जुड़ गया।
पड़रौना में पली-बढ़ी लेकिन शादी के बाद पटना आ गई। पटना में स्वीमिंग कोच हूं। साथ ही मूक बधिरों के लिए इंटरप्रेटर भी हूं। मूक बधिरों को साइन लैंग्वेज सिखाती हूं।
शादी के 15 साल बाद मैट्रिक पास किया
जब मेरी 10वीं की परीक्षाएं चल रही थीं, तब मां की तबीयत काफी खराब रहती। पिता थे नहीं इसलिए मां की देखभाल करने में मेरी पढ़ाई डिस्टर्ब हुई।
इस वजह से मैं 10वीं की परीक्षा में फेल हो गई। जब मैं 10वीं कर रही थी तब दीदी की शादी हो चुकी थी। पापा के गुजरने के बाद भाई ने भी पढ़ाई छोड़ दी और काम पर लग गया ताकि परिवार का भरण-पोषण हो सके।
लेकिन ससुराल आने के बाद मैंने फिर पढ़ाई शुरू की। मतलब 15 साल बाद मैंने 2010 में मैट्रिक पास किया।
छपरा से 12वीं और ग्रेजुएशन पूरा किया। इस दौरान बच्चों की पढ़ाई और पूरे परिवार का ध्यान रखा।
मेरे पास साइन लैंग्वेज का कोई सर्टिफिकेट नहीं था जिसकी वजह से जॉब लेने में दिक्कत होती। अब मैं सीआरसी पटना में साइन लैंग्वेज का डिप्लोमा कोर्स कर रही हूं।
सम्मान ग्रहण करती किशोरी जाजोदिया।
मूक बधिर लड़के से हुई शादी
हम तीन बहन और एक भाई हैं। जब मैं छोटी ही थी तभी पिता चल बसे। 10वीं फेल होने के बाद मेरी शादी की बात होने लगी।
जिस लड़के से मेरी शादी की बात हुई उसके बहन की शादी पड़रौना में हुई थी। उनके परिवार वालों के साथ मेरे पिता के अच्छे संबंध थे।
तब उन्होंने मेरी मां को प्रस्ताव दिया कि अपनी बेटी की शादी मेरे बेटे से करा दीजिए।
लड़का मूक बधिर, बैंक में नौकरी थी। मां ने मुझसे पूछा कि तुम्हारी हां पर ही शादी होगी। सबकुछ सोच समझ कर बोलना, फिर ये नहीं कहना कि किस लड़के से मेरी शादी करा दी।
मैंने अपनी सहमति दे दी। शिवरात्रि के दिन 1997 में मेरी शादी हो गई।
दोस्त बोलते किससे शादी कर ली, कैसे इनके साथ जीवन गुजारोगी
मेरी इंटरकास्ट मैरिज हुई। शादी के बाद मुझे पति के इशारों को समझना था। पति को लीप रीडिंग करना आता।
मैं धीरे-धीरे उनकी बातों को समझने लगी। कहीं कुछ समझ नहीं पाती तो उसे नोट करती, कंफर्म करती कि मैं जो साइन लैंग्वेज बता रही हूं वो सही है या नहीं।
मेरे कुछ दोस्तों ने कहा कि तुमने किससे शादी कर ली जो न बोल सकते हैं न सुन सकते हैं। तब मैंने उन्हें मिलने के लिए बुलाया। जब वो मेरे पति से मिले तो उन्हें अहसास हुआ कि बिना बोले, बिना सुने भी मुझे एक अच्छा जीवनसाथी मिला है।
खिलाड़ियों के साथ किशोरी।
मूक बधिर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया
पति के साथ रहते हुए मैंने साइन लैंग्वेज सीख लिया था। पति के सर्किल की वजह से मैं भी डेफ एसोसिएशन से जुड़ी। वहां बहुत सीखने को मिला।
मूक बधिर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। उन्हें कई तरह की क्रिएटिव एक्टिविटी और स्पोर्ट्स से जोड़ा।
इन बच्चों के लिए बिहार में पहली बार स्टेट चैंपियनशिप कराया। कई बार ऐसे बच्चों को लोग कमतर नजर से देखते हैं।लोग कहते हैं कि कहां से ऐसे बच्चे आते हैं। लेकिन मैंने दिल से इन बच्चों के लिए काम करना शुरू किया। आज भी उनके लिए काम कर रही हूं।
बेटी को स्विमिंग सिखाई, खुद भी सीखा और स्वीमिंग कोच बनी
स्कूल के दिनों में मैं कबड्डी खेलती थी और जब मेरी बेटी बड़ी हुई तो उसे स्वीमिंग सिखाने ले गई। उसे स्वीमिंग करता देख मैंने भी क्लब में स्वीमिंग सीखना शुरू किया। फिर इसमें इतना पारंगत हो गई कि आज न्यू पटना क्लब में ही स्वीमिंग कोच के रूप में काम कर रही हूं।
बिहार राज्य की तरफ से स्टेट स्वीमिंग चैंपियनिशप में 3 गोल्ड मेडल भी जीते। मैराथन में भी भाग लेती हूं। पिछले साल गोवा में ट्रैकथलॉन में भी भाग लिया।
गर्ल्स हॉस्टल चलाया, आत्मनिर्भर बनी
पति बैंक में हैं। पैसों को लेकर कभी परेशानी नहीं हुई। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई बेहतर ढंग से हुई। बड़ी बेटी कनाडा में नौकरी कर रही है।
आर्थिक रूप से मजबूत होने के बावजूद मैंने खुद काम किया। गर्ल्स हॉस्टल खोला। ब्वॉयज हॉस्टल भी चलाया और आत्मनिर्भर बनी।
बेटी के साथ गलत हरकत करने वाले को जेल भिजवाया
हम जहां रहते हैं उसके सामने ही एक फैमिली के साथ अच्छी जान पहचान थी। उस घर की महिलाएं हमारे यहां आती-जाती, मैं भी उनके यहां जाती। उनके दुख-सुख में साथ रहती।
मेरी बेटी 15-16 साल की रही होगी। एक बार वो घर से बाहर कोई सामान खरीदने गई तो पड़ोस के घर के एक व्यक्ति ने उसे बहाने से बुलाया। बेटी उसे अंकल कहती थी। बेटी बिना किसी डर के घर में चली गई। घर में कोई नहीं था।
तब उस व्यक्ति ने इधर-उधर की बातें की, चॉकलेट देने की बात कही। फिर अचानक उसने अपने मोबाइल पर पोर्न वीडियो चलाकर बेटी को दिया और कहा कि इसे देखो।
बेटी हतप्रभ रह गई, उसने कहा कि अंकल ये आप क्या कर रहे हैं, वह बिना देरी किए तुरंत वहां से भागी। घर पर जाकर बताया कि उसके साथ क्या हुआ है।
हमलोगों के पांव तले जमीन निकल गई। जिस परिवार पर वो इतना भरोसा कर रहे थे, वो किन ख्यालात के थे।
मैंने जब उस व्यक्ति की फैमिली को बताया तो उलटे वो ही मुझ पर टूट पड़े। गाली-गलौज करने लगे। वह व्यक्ति जिसने गंदी हरकत की थी, वो मेडिकल रिप्रजेंटेटिव था। उसकी भी एक बेटी है।
गलती मानने के बजाय वह धमकाने लगा। कहा कि जो करना है कर लो, मेरा कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता।
मैंने पुलिस में शिकायत की। एफआईआर दर्ज हुई और आरोपित को जेल भिजवाया।
तब आरोपित के परिवार के लोगों ने काफी हंगामा किया। दो महीने जेल में रहने के बाद आरोपित छूट कर बाहर आया। इसके बाद भी वह धमकी देता रहा।
इस घटना के बाद उसकी नौकरी चली गई। आज भी वह केस चल रहा है।
नाते-रिश्तेदारों ने सपोर्ट नहीं किया, कहते इससे तुम्हारी इज्जत जाएगी
तब मेरे नाते-रिश्तेदारों ने मेरा सपोर्ट नहीं किया। जब उन्हें पता लगा कि मैंने ऐसा केस किया है तो वो ही पीछे हटने को कहते। बेटी को ही कहा कि क्या जरूरत थी तुम्हें वहां जाने की।
केस करने से अपनी ही बदनामी होगी, इज्जत चली जाएगी।
लेकिन मैं टस से मस नहीं हुई। अपने फैसलों पर अडिग रही। पति और मेरे पूरे परिवार ने मेरा सपोर्ट किया। इस दौरान ही मेरे पति को पैरालिसिस का अटैक आया।
ये मेरे लिए मुश्किल वक्त था। इन सबके बावजूद मेरे पति मेरे फैसले में हमेशा साथ रहे, तभी मैं आज इस जगह पर पहुंची हूं।
मैं दूसरे परिवारों और बेटियों से यही कहना चाहती हूं कि डरो नहीं। ऐसा कुछ हो तो चुप नहीं बैठो। जिसने गलती की है वो मुंह छिपाए, इज्जत उनकी जाएगी, समाज में ऐसे लोग बहिष्कृत हों।