बरेली सीट (उत्तर प्रदेश)

सबसे पहले बात यूपी की बरेली लोकसभा सीट की. ये सीट यूपी की राजधानी लखनऊ और देश की राजधानी दिल्ली के बीच में है. बरेली पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक बड़ा शहर है. कई मायने में ये शहर और बरेली लोकसभा सीट महत्वपूर्ण है. मुख्य लड़ाई यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच रहती है. बीजेपी के संतोष गंगवार इस सीट से मौजूदा सांसद हैं. बरेली में जातीय समीकरण की बात करें, तो यहां की करीब 74 फीसदी आबादी हिंदू है. करीब 23 फीसदी मुस्लिम आबादी है. 

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संतोष कुमार गंगवार ने 2019 में समाजवादी पार्टी के भगवत सरन गंगवार को हराया था. 2019 के इलेक्शन में 10,68,342 वोट पड़े थे. इनमें से संतोष गंगवार को 5,65,270 वोट मिले, जबकि भगवत सरन गंगवार के खाते में 3,97,988 वोट आए. संतोष गंगवार बरेली से 8 बार सांसद रह चुके हैं. सिर्फ 2009 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. 

बीजेपी किसे देगी टिकट?

हमारी ग्राउंड रिपोर्ट के आधार पर बीजेपी इस बार भी बरेली से संतोष गंगवार को टिकट दे रही है. उनका ट्रैक रिकॉर्ड बेहतरीन रहा है. वो 1989, 1991, 1996, 1998, 1999, 2004 में लगातार जीते. 2009 में कांग्रेस के प्रवीन सिंह एरॉन से चुनाव में हार मिली थी. वैसे संतोष गंगवार 75 साल से ऊपर के हो चुके हैं. ऐसे में हो सकता है उनकी जगह किसी दूसरे चेहरे को भी अब मौका मिल सकता है. इस स्थिति में कई नाम सामने आ रहे हैं. इसमें पहला नाम उमेश गौतम का है, वो 2 बार बरेली के मेयर रह चुके हैं. फिलहाल उनका टिकट वेटिंग लिस्ट में है. इस सीट पर बीजेपी से स्वतंत्र देव सिंह का नाम भी चर्चा में चल रहा है. फिलहाल वो केंद्रीय जल शक्ति मंत्री हैं. बीजेपी से हरिशंकर गंगवार का नाम भी सामने आ रहा है. वो कुर्मी बहुल क्षेत्र से आते हैं.

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सपा-कांग्रेस गठबंधन किसे देगी मौका?

बात विपक्ष की करें, तो यहां से सपा-कांग्रेस गठबंधन की ओर से प्रवीण सिंह एरॉन का नाम कंफर्म हो गया है. वो सपा से आते हैं और पहले कांग्रेस में थे. एरॉन बरेली से दो बार विधायक रह चुके हैं. 2009 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने बरेली से लगातार 6 बार जीत चुके संतोष गंगवार को हराया था. बाद में ये सपा में शामिल हो गए थे. अब गठबंधन की ओर से दोबारा चुनावी मैदान में हैं

गोंडा (उत्तर प्रदेश)

बरेली के बाद अब बात पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोंडा और बहराइच जिले की करते हैं. इनमें से कैसरगंज सीट बेहद हाई प्रोफाइल है. कैसरगंज वैसे तो बहराइच जिले में है, लेकिन इस लोकसभा सीट में गोंडा की भी तीन विधानसभा सीटें आती हैं. फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. बृजभूषण शरण सिंह कैसरगंज के मौजूदा सांसद हैं.

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बृजभूषण शरण सिंह ने 2019 के चुनाव में बीएसपी के चंद्रदेव राम यादव को हराया था. पिछले लोकसभा चुनाव में कैसरगंज में 9,82,323 वोट पड़े थे. बृजभूषण को 5,81,358 वोट मिले और उनके निकटतम प्रतिद्वंदी को 3,19,757 वोट मिले थे.

बीजेपी किस पर लगाएगी दांव?

बीजेपी के मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह इस सीट से 3 बार जीते हैं. लेकिन रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के पूर्व चीफ बृजभूषण पर महिला रेसलर्स ने यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं. जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ सकता है. हमारी ग्राउंड रिपोर्ट के आधार पर इस बार बृजभूषण शरण सिंह का टिकट खतरे में है और ये बीजेपी की वेटिंग लिस्ट में हैं. हालांकि, ये भी खबरें भी आ रही हैं कि बृजभूषण अपनी जगह पर बेटे करन भूषण सिंह को टिकट दिलवाना चाहते हैं. करन फिलहाल भारतीय कुश्ती संघ के प्रदेश अध्यक्ष हैं.

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कैसरगंज सीट पर बीजेपी से अजय सिंह का नाम भी चर्चा में है. वो मौजूदा समय में करनैलगंज से विधायक हैं. उन्होंने सपा के पूर्व मंत्री योगेश प्रताप सिंह को हराया था. इस सीट पर प्रेम नारायण पांडेय की दावेदारी से भी इनकार नहीं किया जा सकता. पांडेय तरबगंज विधानसभा से लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं. यहां ब्राह्मण वोटों की संख्या काफी ज्यादा है. इसलिए इनका नाम भी आगे चल रहा है.

सपा-कांग्रेस गठबंधन किसपर जताएगी भरोसा?

कैसरगंज सीट से सपा के नरेंद्र सिंह का नाम सबसे ऊपर चल रहा है. ये दो बार ब्लॉक प्रमुख का चुनाव जीत चुके हैं. सपा से राजा चतुर्वेदी का नाम भी चर्चा में है. ये अखिलेश यादव के करीबी माने जाते हैं और उनकी कोर टीम में भी शामिल हैं. चतुर्वेदी लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के पदाधिकारी रहे हैं. सपा से एक और नाम विनोद शुक्ला का है, जो बड़े व्यापारी हैं. कोलकाता में इनका कारोबार है. पहले ये बीएसपी के टिकट से कटरा बाज़ार विधानसभा से चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे. हाल ही में समाजवादी पार्टी में शामिल हुए हैं. 

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फरीदाबाद (हरियाणा)

यूपी के बाद अब रुख करते हैं हरियाणा के फरीदाबाद सीट की. हरियाणा में 10 लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र हैं. इनमें से फरीदाबाद एक अहम सीट है. फरीदाबाद NCR यानी नेशनल कैपिटल रीजन में आता है. इसके चलते ये शहर और यहां की लोकसभा सीट काफी चर्चा में रहती है.

फरीदाबाद लोकसभा सीट दो जिलों की 9 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करती है. इसमें पलवल जिले की भी 3 विधानसभा सीटें पलवल, होटल और हाथिन शामिल हैं. फरीदाबाद जिले की 6 विधानसभा सीटें इसमें आती है- फरीदाबाद, फरीदाबाद NIT, तिगांव, बल्लभगढ़, बड़खल और पृथला. यहां जाट-गुर्जर समीकरण भी बहुत मायने रखता है.फरीदाबाद सीट पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है. कृष्ण पाल गुर्जर मौजूदा सांसद हैं.

कृष्ण पाल गुर्जर ने कांग्रेस के अवतार सिंह भडाना दी थी शिकस्त

2019 में इलेक्शन में बीजेपी के कृष्ण पाल गुर्जर ने कांग्रेस के अवतार सिंह भडाना को हराया था. 2019 में 13,28,127 वोट पड़े थे. इनमें कृष्ण पाल गुर्जर को 9,13,222 वोट मिले. भडाना के खाते में 2,68,327 वोट आए. कृष्ण पाल गुर्जर 2019 से पहले 2014 में भी जीते थे. उससे पहले 2009 और 2004 में लगातार दो बार कांग्रेस के अवतार सिंह भडाना ने चुनाव जीता. इस सीट पर बीजेपी बनाम कांग्रेस ही मुख्य मुकाबला होगा. 

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बीजेपी किस पर लगाएगी दांव?

फरीदाबाद सीट पर बीजेपी से मौजूदा सांसद कृष्ण पाल सिंह को एक बार फिर टिकट मिल सकता है. इस सीट पर सीमा त्रिखा का नाम भी सामने आ रहा है. वो बड़खल से दो बार की विधायक हैं. लिस्ट में राजेश नागर का नाम भी है, जो तिगांव से विधायक हैं. विपुल गोयल का नाम भी सामने आ रहा है, वो हरियाणा में बीजेपी के उपाध्यक्ष हैं. पूर्व कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. विपुल गोयल 2014 में फरीदाबाद से विधायक बने थे. वो मनोहर लाल खट्टर सरकार में उद्योग मंत्री रह चुके हैं.

कांग्रेस किसे देगी मौका?

फरीदाबाद सीट पर कांग्रेस से सबसे ऊपर महेंद्र प्रताप का नाम चल रहा है. वो गुर्जर बिरादरी से आते हैं. कांग्रेस के एक और नेता करण सिंह दलाल का नाम भी चर्चा में है. ये जाट बिरादरी से आते हैं.

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