12 घंटे पहले

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शनिवार, 24 फरवरी को माघ मास की अंतिम तिथि यानी पूर्णिमा है। इसे माघी पूर्णिमा कहा जाता है। इस तिथि के स्वामी चंद्र देव हैं। माघी पूर्णिमा पर दिन की शुरुआत सूर्य पूजा से करें और शाम को चंद्रोदय के समय चंद्र देव को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, माघ पूर्णिमा से जुड़ी कई परंपरा हैं, जिनका पालन करने पर धर्म लाभ मिलता है और मन भी शांत होता है। जानिए इस पर्व पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…

  • पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। अगर नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो अपने घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
  • स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। इसके लिए तांबे के लोटे में जल, कुमकुम, चावल डालें और सूर्य को जल चढ़ाएं। इस दौरान सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करना चाहिए।
  • इस दिन कपड़े, भोजन, घी, कपास और जूते-चप्पल का दान करना चाहिए।
  • पूर्णिमा पर सत्यनारायण भगवान की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। माघ मास की पूर्णिमा पर कथा सुनने का महत्व और अधिक है। भगवान सत्यनारायण का पूजन करें, धूप, दीप और प्रसाद अर्पित करें। सुगंधित फूलों की माला चढ़ाएं और भगवान की कथा सुनें।
  • माघी पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा करनी चाहिए। पूजा रात में करेंगे तो ज्यादा शुभ रहेगा। भगवान विष्णु-लक्ष्मी का अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करें। भगवान को नए वस्त्र पहनाएं। चंदन से तिलक लगाएं। हार-फूल से श्रृंगार करें। धूप-दीप जलाएं और ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
  • पूर्णिमा की शाम चंद्र उदय के बाद घर के बाहर दीपक जलाना चाहिए। तुलसी के पास भी दीपक जलाएं।
  • देवी-देवताओं की पूजा के साथ ही इस दिन घर के पितर देवता के लिए भी शुभ कर्म करें। पितरों को तर्पण, श्राद्ध कर्म करें। पितरों के निमित्त जलदान, अन्नदान, भूमिदान, वस्त्र और भोजन पदार्थों का दान करना चाहिए।
  • इस दिन हनुमान जी के किसी पौराणिक मंदिर में सिंदूर और चमेली के तेल से चोला चढ़ाएं। दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का सुंदरकांड का पाठ करें। इस दिन किसी मंदिर पूजन सामग्री जैसे कुमकुम, घी, हार-फूल, तेल, भगवान के वस्त्रों का दान करें।

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