13 मिनट पहले
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शुक्रवार, 8 मार्च को शिव पूजा का महापर्व महाशिवरात्रि है। इस दिन शिव पूजा में महामृत्युंजय मंत्र का जप कम से कम 108 बार जरूर करें। इस मंत्र के जप से अनजाना भय दूर होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है। नियमित रूप से जप करने से मन शांत होने लगता है और विचारों में सकारात्मकता बढ़ती है।
महामृत्युंजय मंत्र- ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंपुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।
शिव जी की ऐसे करें सरल पूजा
- महाशिवरात्रि पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद किसी शिव मंदिर जाएं। मंदिर में शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
- जल चढ़ाते समय ऊँ नम: शिवाय, ऊँ महेश्वराय नम:, ऊँ रुद्राय नम: या महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
- शिवलिंग पर चंदन, फूल, प्रसाद चढ़ाएं। धूप और दीप जलाएं। शिव जी को बिल्वपत्र, धतूरा, चावल अर्पित करें।
- भगवान को प्रसाद के रूप में फल और दूध से बनी मिठाई अर्पित करें। पूजन के बाद धूप, दीप, कर्पूर से आरती करें।
- शिव जी का ध्यान करते हुए आधी परिक्रमा करें।
- भक्तों को प्रसाद बांटें और खुद भी लें।
अब जानिए महामृत्युंजय मंत्र से जुड़ी खास बातें
पं. शर्मा के मुताबिक, इस मंत्र के जप से नकारात्मक विचार दूर होते हैं। बार-बार एक ही लय में मंत्र जप करने से एकाग्रता बढ़ती है।
शिवपुराण में महामृत्युंजय मंत्र का जिक्र है। माना जाता है कि इस मंत्र के जप से अनजाना भय दूर हो जाता है, शिव जी की विशेष कृपा मिलती है। मुश्किल से मुश्किल काम भी पूरे हो सकते हैं। इस मंत्र का जप करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
ऐसे कर सकते हैं मंत्र का जप
- इस मंत्र का जप शिवलिंग के सामने बैठकर करना चाहिए।
- जप करने वाले भक्त को साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- शिवलिंग के सामने दीपक जलाएं और पूरी एकाग्रता के साथ मंत्र का जप करें।
- मंत्र जप कम से कम 108 बार करना चाहिए। जप की संख्या ध्यान रखने के लिए रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल करें।
- मंत्र का उच्चारण बिल्कुल सही होना चाहिए। जो लोग मंत्र का सही उच्चारण नहीं कर पा रहे हैं, वे किसी ब्राह्मण से मंत्र जप करवा सकते हैं।
- जप करते समय भक्त का मुंह पूर्व दिशा की ओर रहना चाहिए।