3 घंटे पहलेलेखक: मरजिया जाफर

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पिछले दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिका द्वारा की गई टिप्पणी के बाद भारत में अमेरिका की एक्टिंग डिप्टी एंबेसडर ग्लोरिया बर्बेना से भारतीय विदेश मंत्रालय ने जवाब मांगा। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि एक राष्ट्र को दूसरे राष्ट्र की संप्रभुता का सम्मान करने की उम्मीद की जाती है। किसी भी देश की कानूनी प्रक्रिया पर किसी दूसरे राष्ट्र द्वारा टिप्पणी किया जाना अनुचित है।

दैनिक भास्कर की वुमन टीम ने अमेरिका की एक्टिंग डिप्टी एंबेसडर ग्लोरिया बर्बेना से दोनों देशों के आपसी रिश्तों और महिलाओं की हिस्सेदारी पर बातचीत की।

सवालः दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर बयान के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय का रुख अमेरिका के प्रति बदला है?

ग्लोरिया बर्बेनाः भारत के साथ हमारा रिश्ता सौहार्दपूर्ण है। हम भारत के साथ कई अहम मुद्दों पर काम कर रहे हैं और इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। रही दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिका के बयान के एक दिन बाद भारतीय विदेश मंत्रालय के साथ मेरी बैठक की बात तो मैं निजी तौर पर राजनयिक बातचीत पर चर्चा करने के लिए मैं स्वतंत्र नहीं हूं।

सवालः आप भारतीय और अमेरिकी युवा को शिक्षा, करियर, रिश्तों और सोशल मीडिया के साथ उनके संबंधों को किस तरह देखती हैं?

ग्लोरिया बर्बेनाः दोनों देशों के लोगों के बीच अच्छे रिश्ते उनके अपने-अपने देश की स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप की ताकत का जरिया है। अमेरिका में 4 मिलियन से ज्यादा भारतीय प्रवासी समुदाय रहता है और यह समुदाय दोनों देशों में सहयोग, इनोवेशन और रोजगार से जुड़ी अहम हिस्सेदारी निभाता है।

अमेरिका शिक्षा के मामले में भारत के साथ मजबूत संबंध बनाए रखता है। भारत के साथ एजुकेशनल रिलेशनशिप को मजबूत करना अमेरिकी सरकार की प्राथमिकता है। हम भाग्यशाली हैं कि हमारी यूनिवर्सिटी में करीब 2,70,000 इंडियन स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं। अमेरिकी समाज और एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में इतने सारे इंडियन स्टूडेंट्स और विद्वानों का योगदान है। एजुकेशनल एक्सचेंज और पार्टनरशिप को प्रमोट करने के साथ ही साथ इस क्षेत्र में दोनों देशों को नए अवसरों को पहचानने का मौका मिला है।

सवालः अमेरिकी और भारतीय महिलाओं के बारे में तीन पॉजिटिव बातें बताएं जिन पर आपकी नजर गई?

ग्लोरिया बर्बेनाः चाहे महिलाएं अमेरिका की हों या भारत की, एक बात साफ है कि वो होम मेकर, मां, चाची-मौसी या बुआ, उद्यमी, जर्नलिस्ट, सीईओ, चेंज मेकर्स किसी भी रूप में दिखे, हर क्षेत्र में बुलंदी पर ही हैं और अपना योगदान दे रही हैं। बाइडेन-हैरिस प्रशासन के तहत व्हाइट हाउस जेंडर के मसलों पर विशेष रूप से ध्यान दे रहा है।

अमेरिका में अक्टूबर 2021 में व्हाइट हाउस ने जेंडर इक्वालिटी पर राष्ट्रीय पहल की जिससे महिलाओं की बेहतर नौकरियों और कार्यस्थल पर सुरक्षा के क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है। भारत में हम महिलाओं के साथ SEWA India और WEConnect जैसे काम एक साथ मिलकर कर रहे हैं। अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए 900 मिलियन डॉलर से ज्यादा, यूएसएआईडी के लिए 300 मिलियन डॉलर और इक्वालिटी एक्शन फंड तैयार किया।

सवालः भारत-अमेरिका संबंधों से दोनों देश की महिलाओं को क्या फायदा हुआ?

ग्लोरिया बर्बेनाः अमेरिका और भारत की महिलाओं की आर्थिक उन्नति, समानता और उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए दोनों देश मिलकर काम कर रहे हैं जिसका दोनों देशों की महिलाओं को फायदा मिला। आर्थिक सशक्तिकरण के लिए अमेरिका भारत के साथ मिलकर पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए महिलाओं को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है। इसमें कॉर्पोरेट, सरकारी और सामाजिक संस्थाओं को शामिल किया गया है।

अमेरिका में हजारों इंडियन खासकर महिलाएं बिजनेस, साइंस, टेक्नोलॉजी, एनवायरमेंट और आर्ट के क्षेत्र में योगदान दे रही हैं। अमेरिका में बहुत सारी भारतीय महिलाएं उच्च शिक्षा हासिल कर रही हैं और उस नॉलेज को वो भारत वापस ला रही हैं। भारत-अमेरिका के बीच बहुत सारे रास्ते खुले हैं। यह रिश्ता दोनों देशों की महिलाओं के लिए फायदेमंद है।

सवाल: लेंडिंग ट्री का अमेरिकी सेंसस ब्यूरो के 2022 अमेरिकी कम्युनिटी सर्वे से पता चलता है कि सिंगल वुमन के पास पुरुष की तुलना में 2.7 मिलियन ज्यादा घर हैं, 10% पुरुषों की तुलना में करीब 13% महिलाओं के पास अपने घर हैं। क्या महिलाएं पुरुषों से ज्यादा पावरफुल हुई हैं या फाइनेंस के मामले में स्वतंत्र होना चाहती हैं?

ग्लोरिया बर्बेनाः ऐसी बहुत सी वजह है जिससे महिलाएं प्रॉपर्टी बनाने की तरफ आकर्षित हुई हैं। लेकिन मुझे लगता है कि यह कहना सुरक्षित है कि सोशल और इकोनॉमिक बंदिशों के बावजूद महिलाएं अपना घर बनाने और फिनान्शियल इंडिपेंडेंस हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करती हैं।

सवाल: दोनों देशों की महिलाएं एक-दूसरे की संस्कृति से क्या सीख सकती हैं?

ग्लोरिया बर्बेनाः इतिहास गवाह है कि भारत और अमेरिका समेत दुनियाभर में महिलाओं को हाशिए पर रखा गया है। उन्हें लगातार भेदभाव का सामना करना पड़ा है। महिलाओं के सामने चुनौतियां हैं, लेकिन अपने दृढ़ संकल्प के साथ, वो आगे बढ़ रही हैं।

भारत और अमेरिका दोनों देशों की संस्कृतियों की अपनी अनूठी ताकतें हैं। दोनों देशों ने जेंडर इक्वालिटी के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। सच कहूं तो यह दोनों देशों में एक सतत यात्रा है। दोनों संस्कृतियों में जो ताकत, साहस और दृढ़ता देखने को मिलती है, वो मुझे प्रेरित करती है। भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका की महिलाओं में बहुत कुछ मिलता जुलता है।

सवाल: आपको भारतीय पकवानों या व्यंजनों में सबसे ज्यादा क्या पसंद है?

ग्लोरिया बर्बेनाः मुझे लगता है कि इंडियन फूड कलर, टेस्ट और सजावट के मामले में बेजोड़ है। दरअसल, मैं ऐसी कई डिशेज के बारे में जानती हूं जिनमें अखरोट और सेब जैसे अमेरिकी प्रोडक्ट का इस्तेमाल किया जाता है। मुझे किचन में कुछ क्रिएटिव करना या देखना बेहद पसंद है।

सवाल: आपकी नजर में भारतीय संस्कृति का क्या महत्व है?

ग्लोरिया बर्बेनाः जब भारतीय संस्कृति की बात आती है, तो मैं इतिहास, कला, नृत्य और संगीत से रोमांचित हो जाती हूं, और यहां के लाजवाब पहनावे और बुनाई की कला से लगाव है। ऐसी सुंदरता और शिल्प कौशल को देख दिल वाह वाह कर उठता है! अमेरिका और भारत दोनों भारतीय कला और शिल्प बाजार का विस्तार करने के लिए काम कर रहे हैं। इंटर-कल्चर एक्सचेंज व्यक्तिगत और सार्थक होते हैं। मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि मेरा काम मुझे भारत की विविधता के साथ रोजाना कनेक्ट कराता है।

सवाल: आप भारतीय महिलाओं को कोई मैसेज देना चाहेंगी?

ग्लोरिया बर्बेनाः हमारे देशों में महिलाएं सोशल-इकोनॉमिक और कल्चर डेवलपमेंट में अहम भूमिका निभाती हैं। उन्हें स्किल आर्किटेक्ट और सोसाइटी के लिए योगदान देने के लिए पहचान मिलनी चाहिए। अगर महिलाओं को सपोर्ट और पहचान नहीं मिलेगी तो उन्हें अवसर मिलने में मुश्किल होगी। अगर महिलाओं को पूर्ण भागीदारी से वंचित किया जाता है, तो न सिर्फ लैंगिक समानता के स्तर पर महिलाएं कम हो जाएंगी, बल्कि समाज वास्तव में समृद्ध और खुशहाल नहीं होगा। मैं सभी महिलाओं को ये संदेश देना चाहूंगी कि विश्वास रखें, कड़ी मेहनत करें, अपने सामान्य अधिकारों पर जोर दें और उनका इस्तेमाल करें, और जो महिलाएं संघर्ष कर रही हैं उनका सपोर्ट करें। जब हम साथ मिलकर काम करेंगे तो हम और भी बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं।

सवाल: आपको भारतीय संगीत पसंद है, अगर हां तो किसे सुनना पसंद करती हैं?

ग्लोरिया बर्बेनाः ए.आर. रहमान का म्यूजिक मुझे पसंद है। मुझे क्लासिकल इंस्ट्रूमेंट भी पसंद हैं। तबला और सितार आत्मा को छू लेने वाली सुंदर और सुपर नेचुरल साउंड रूहानियत पैदा करते हैं।

सवाल: बचपन की कुछ खूबसूरत यादें जो हमारे साथ साझा कर सकती हों?

ग्लोरिया बर्बेनाः मेरी परवरिश उत्तरी कैलिफोर्निया में हुई। बचपन नेचुरल ब्यूटी के बीच गुजरा है। कैलिफोर्निया के बिग सुर समुद्र तट, सिएरा नेवादा पहाड़ों, नापा वैली वाइनयार्ड, गोल्डन गेट ब्रिज और सैन फ्रांसिस्को बे पर रहस्यमय कोहरे की बहुत सारी अद्भुत बचपन की यादें हैं। वो दिन कमाल के थे।

सवाल: बिजी शेड्यूल से जब फुरसत मिलती है, तो क्या करने में सबसे ज्यादा मजा आता है। आपके शौक क्या हैं?

ग्लोरिया बर्बेनाः भारत में देखने के लिए बहुत कुछ है। मुझे कला और लोकल मेलों की तलाश करना वहां घूमना फिरना, ट्रेडिशनल डांस परफॉर्मेंस में हिस्सा लेना और ट्रेडिशनल लोकल आर्टिस्ट के बारे में जानना उनकी कला को सीखना अच्छा लगता है। और हां, अपने पेट इसाबेला के साथ खेलना पसंद करती हूं।

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