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  • Methodology Of Worship Of Goddess Kalratri, The Goddess Of Stubbornness And Braveness: Due To The Goddess Showing In Anger, Her Shade Is Black, So She Is Worshipped In The Type Of Kalratri

4 घंटे पहले

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मां कालरात्रि दुर्गा का सातवां स्वरूप है । यह स्वरूप काल का नाश करने वाला है, इसी वजह से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। इनका रंग अंधकार की तरह एकदम काला है। बाल बिखरे हुए हैं और इनकी माला बिजली की भांति देदीप्यमान है। इन्हें तमाम आसुरि शक्तियों का विनाश करने वाला बताया गया है।

कालरात्रि का वाहन गधा और स्वरूप भयानक
मार्कंडेय पुराण के अनुसार देवी के गुस्से से प्रकट होने के कारण देवी कालरात्रि का रंग काला है। देवी कालरात्रि का वाहन गर्दभ यानी गधा है। इनके तीन नेत्र और चार हाथ हैं।

एक हाथ में खड्ग है तो दूसरे में लौहास्त्र, तीसरे हाथ में अभय-मुद्रा है और चौथे हाथ में वर-मुद्रा है। इनका रूप भयानक है। दैत्यों के विनाश के लिए देवी ने ये रूप लिया था।

देवी कालरात्रि की पूजा विधि
1.
देवी का ध्यान कर के कलश पर चावल चढ़ाएं
2. कलश पर गंगाजल छिड़कें
3. कलश पर कुमकुम, अक्षत और लाल चंदन लगाएं
4. लाल फूलों के साथ काजल और अन्य पूजा सामग्री चढ़ाएं
5. देवी को घी-गुड़ का भोग लगाएं और अनार अर्पित करें
6. धूप-दीप जलाएं, आरती करें और प्रसाद बांटे

देवी कालरात्रि की पूजा का महत्त्व
मां कालरात्रि हठ और साहस की प्रतीक हैं। किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए हमारे पास जिद और हौसला दोनों होना चाहिए, क्योंकि हर लक्ष्य को पाने के रास्ते में मुश्किलें आती हैं।

इनकी आराधना के समय भानु चक्र जाग्रत होता है। हर प्रकार का भय नष्ट होता है। जीवन की हर समस्या को पलभर में हल करने की शक्ति प्राप्त होती है।

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