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  • Methodology Of Worship Of Goddess Kushmanda Who Removes Illnesses And Troubles: The Universe Was Created From This Eight armed Kind Of The Goddess, Therefore The Title Kushmanda

10 घंटे पहले

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आज नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्मांडा की पूजा की जाएगी। माना जाता है कि सृष्टि की उत्पत्ति से पूर्व जब चारों ओर अंधकार था तो मां दुर्गा ने इस अंड यानी ब्रह्मांड की रचना की थी। आठ भुजाओं वाली कूष्मांडा देवी अष्टभुजा देवी के नाम से भी जानी जाती हैं।

याज्ञवल्क्य स्मृति के मुताबिक देवी गौर वर्ण की है यानी इनका रंग चांदी की तरह चमकीला है। ये देवी पार्वती यानी गौरी का ही एक रूप हैं। मां कूष्मांडा का वाहन सिंह है। इनके हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल पुष्प, अमृत-पूर्ण कलश, चक्र तथा गदा रहते हैं।

देवी कूष्मांडा की पूजन विधि
1. देवी कूष्मांडा का ध्यान कर के कलश पर जल चढ़ाएं।
2. देवी को प्रणाम करें और मौली चढ़ाएं।
3. चंदन, अक्षत, कुमकुम, हल्दी, मेहंदी, सिंदूर, दूर्वा, बिल्वपत्र और फूल चढ़ाएं।
4. नैवेद्य के लिए मिठाई और फल चढ़ाएं। दक्षिणा अर्पित करें।
5. धूप-दीप जलाएं और आरती करें।

पूजा का महत्व
मां कूष्मांडा के पूजन से हमारे शरीर का अनाहत चक्र जाग्रत होता है। इनकी उपासना से हमारे समस्त रोग और शोक दूर हो जाते हैं। साथ ही भक्तों को आयु, यश, बल और आरोग्य के साथ-साथ सभी भौतिक और आध्यात्मिक सुख भी मिलते हैं।

देवी कूष्मांडा डर दूर करती हैं। हर तरह के डर से मुक्ति के लिए देवी कूष्मांडा की पूजा होती है। इनकी पूजा से हर तरह के रोग, शोक और दोष दूर हो जाते हैं। किसी तरह का क्लेश भी नहीं होता।

देवी कूष्मांडा को कूष्मांड यानी कुम्हड़े की बली दी जाती है। इसकी बली से हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती है। कूष्मांडा देवी की पूजा से समृद्धि और तेज प्राप्त होता है। इनकी पूजा से जीवन में भी अंधकार नहीं रहता है।

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