बेल्जियम7 मिनट पहले

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FMCG कंपनी नेस्ले डेवलपिंग देशों में बिकने वाले बच्चों के दूध और सेरेलेक जैसे फूट प्रोडक्ट्स में शक्कर और शहद मिलाती है। ज्यूरिख स्थित पब्लिक आई एंड इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में बिकने वाले छह महीने तक के बच्चों के लिए गेहूं से बने लगभग सभी बेबी फूड्स में प्रति कटोरी (1 सर्विंग) में एवरेज 4 ग्राम शुगर की मात्रा पाई गई। पब्लिक आई ने इन देशों में कंपनी के 150 प्रोडक्ट्स की जांच बेल्जियम स्थित लैब में की।

यह WHO के गाइडलाइन के खिलाफ
पब्लिक आई का यह दावा अगर सही पाया जाता है, तो यह वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के निर्देशों का उल्लंघन है। WHO के गाइडलाइन के मुताबिक 3 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए भोजन में कोई शर्करा या मीठे पदार्थ का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

सबसे ज्यादा शुगर फिलीपींस के प्रोडक्ट्स में मिली
इसमें सबसे ज्यादा फिलीपींस में 1 सर्विंग में 7.3 ग्राम शुगर मिली। वहीं, नाइजीरिया में 6.8 ग्राम और सेनेगल में 5.9 ग्राम शुगर शिशुओं के फूड्स में देखने को मिला। इसके अलावा, 15 में से सात देशों ने प्रोडक्ट के लेवल पर शुगर होने की जानकारी ही नहीं दी।

भारत में करीब 3 ग्राम एवरेज शुगर मिक्स
नेस्ले भारत में करीब सभी बेबी सेरेलेक प्रोडेक्ट्स के हर एक सर्विंग में औसतन 3 ग्राम शक्कर मिलाती है, जबकि 100 ग्राम सेरेलेक में 24 ग्राम शुगर मिक्स होता है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि नेस्ले अपने प्रोडेक्ट्स में मौजूद विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्वों को प्रमुखता से उजागर करती है, लेकिन शुगर मिक्स के मामले में कंपनी पारदर्शी नहीं है।

​​​​​​यूरोपीय देशों के बेबी प्रोडक्ट्स में नहीं था शुगर
इसी तरह न्यूबॉर्न बेबी के लिए बेचे जाने वाले पाउडर मिल्क नीडो में प्रति बोतल औसतन 2 ग्राम शुगर मिला। दूसरी ओर, नेस्ले के अपने देश स्विट्जरलैंड या जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे यूरोपीय देशों में बिकने वाले इन्हीं उत्पादों में शुगर नहीं थी।

नेस्ले की सफाई-लोकल रूल्स का पालन करते हैं
नेस्ले के प्रवक्ता ने कहा, बेबी फूड हाइली कंट्रोल्ड कैटेगरी में आते हैं। हम जहां भी काम करते हैं, वहां के स्थानीय कानून और अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करते हैं। इसमें लेबलिंग और शक्कर समेत कार्बोहाइड्रेट की लिमिटेशन भी शामिल है। पिछले पांच सालों में हमने शिशु अनाज रेंज (दूध और अनाज बेस्ड सप्लीमेंट्री फूड्स) में शुगर को 30% तक कम कर चुके हैं।

ज्यादा मीठी चीज खाने-पीने का नुकसान क्या है

  • हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
  • शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। डायबिटीज हो सकती है।
  • अल्जाइमर का खतरा हो सकता है।
  • दांत में कैविटीज की समस्या हो सकती है।
  • चीनी का असर मेंटल हेल्थ पर पड़ता है। इससे याददाश्त पर बुरा असर पड़ता है।
  • चीनी खाने से वाइट ब्लड सेल्स 50 फीसदी तक कमजोर होते हैं। इससे इम्यूनिटी वीक हो जाती है।
  • नॉन अल्कोहल फैटी लिवर की समस्या हो सकती है। इससे लिवर में फैट स्टोर होता है।

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