नई दिल्ली10 मिनट पहले

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अभी भारत में NRI वेडिंग के लिए स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत रजिस्ट्रेशन जरूरी है। - Dainik Bhaskar

अभी भारत में NRI वेडिंग के लिए स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत रजिस्ट्रेशन जरूरी है।

लॉ कमीशन ने अप्रवासी भारतीय (NRI) और भारतीय नागरिकों के बीच होने वाली शादियों में धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है। आयोग ने इस परेशानी से निपटने के लिए सख्त कानून बनाने और ऐसी शादियों का भारत में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने की सिफारिश की है।

22वें लॉ कमीशन के अध्यक्ष रिटायर जस्टिस रितु राज अवस्थी ने गुरुवार को गैर-निवासी भारतीयों और भारत के विदेशी नागरिकों से जुड़े वैवाहिक मुद्दों से जुड़ी 287वीं रिपोर्ट कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को सौंपी। जिसमें उन्होंने कई और सुझाव भी दिए हैं।

पासपोर्ट में लिखा जाए मैरिज रजिस्ट्रेशन नंबर
जस्टिस अवस्थी ने सरकार से पासपोर्ट अधिनियम 1967 में जरूरी बदलाव करने की सिफारिश की है। इसके तहत कहा गया है कि पति या पत्नी के पासपोर्ट को एक-दूसरे के साथ लिंक करना और दोनों के पासपोर्ट पर मैरिज रजिस्ट्रेशन नंबर लिखा जाए, ताकि पासपोर्ट में ही मैरिटल स्टेटस के बारे में जानकारी मौजूद हो।

रिपोर्ट में दावा- ऐसी शादियों में महिलाओं का नुकसान ज्यादा
जस्टिस अवस्थी ने कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को लिखे लेटर में कहा कि कई रिपोर्ट्स में इस बात का खुलासा हुआ है कि ऐसी शादियां भ्रामक साबित होती हैं। जिनसे भारतीयों, विशेषकर महिलाओं को ज्यादा नुकसान हाेता है। पैनल ने यह भी सिफारिश की है कि ऐसा कानून न केवल NRI पर बल्कि उन लोगों पर भी लागू किया जाना चाहिए, जो नागरिकता अधिनियम 1955 में निर्धारित भारतीय प्रवासी नागरिकों (OCI) के अंतर्गत आते हैं।

पैनल के मुताबिक इस कानून में तलाक, जीवनसाथी के भरण-पोषण, बच्चों की अभिरक्षा और भरण-पोषण, NRI और OCI पर समन, वारंट या न्यायिक दस्तावेजों की तामील के प्रावधान भी शामिल होने चाहिए।

लेटर में यह भी सिफारिश की गई इस प्रकार की शादियों से जुड़े विवादों को सुलझाने का अधिकार घरेलू अदालतों को दिया जाए।

16वीं लोकसभा के दौरान भी उठा था मुद्दा
आयोग ने लेटर में यह भी बताया कि इस स्थिति से निपटने के लिए 11 फरवरी 2019 को अनिवासी भारतीयों का मैरिज रजिस्ट्रेशन विधेयक 2019 राज्यसभा में पेश किया गया था। शुरुआत में 16वीं (पिछली) लोकसभा ने विधेयक को विदेश मामलों की समिति को भेजा था। इसके बाद 17वीं (वर्तमान) लोकसभा के गठन के बाद आगे की जांच के लिए उसी विधेयक को फिर से विदेश मामलों की समिति को भेजा गया।

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पब्लिक प्रॉपर्टी के नुकसान पर लॉ पैनल का सुझाव

रिटायर्ड जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाले भारत के 22वें विधि आयोग ने शुक्रवार 2 फरवरी को मोदी सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी। रविवार को सामने आई इस रिपोर्ट में दंगाइयों के लिए कड़े जमानत प्रावधानों की सिफारिश की गई है। पैनल ने सुझाव दिया है कि सड़कें जाम करने और तोड़-फोड़ करने वालों पर सार्वजनिक-निजी संपत्तियों को हुए नुकसान के बाजार मूल्य के बराबर जुर्माना लगाया जाए। दंगाइयों को जुर्माने की वसूली के बाद ही जमानत दी जाए। पढ़ें पूरी खबर…

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