वॉशिंगटन12 घंटे पहले
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पाकिस्तान ने 1986-87 में अपने मिसाइल प्रोग्राम हत्फ की शुरुआत की थी। (फाइल)
अमेरिका ने पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्राग्राम के लिए तकनीक सप्लाई करने पर चीन की 3 कंपनियों पर बैन लगा दिया है। इस लिस्ट में बेलारूस की भी एक कंपनी शामिल है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी।
मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, “कार्रवाई के तहत कंपनियों से जुड़ी सभी संपत्ति को सीज कर दिया गया है। वहीं इनके अफसरों की देश में एंट्री पर रोक लगा दी गई है। अमेरिका के ट्रेजरी विभाग को इसकी सूचना भी दे दी गई है।” जिन कंपनियों पर बैन लगाया गया है उनमें चीन की शियान लॉन्गदे टेक्नोलॉजी, तियांजिन क्रिएटिव सोर्स, ग्रैनपेक्ट कंपनी और बेलारूस का मिन्स्क व्हील ट्रैक्टर प्लांट शामिल हैं।
अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने चीन और बेलारूस की कंपनियों पर बैन की जानकारी दी। (फाइल)
मिसाइल लॉन्च करने से जुड़े इक्विपमेंट सप्लाई करती थी बेलारूस की कंपनी
बेलारूस की कंपनी मिंस्क व्हील पाकिस्तान की लंबी दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए चैसिस व्हीकल सप्लाई करती थीं। इन्हें मिसाइल लॉन्च करने के लिए सपोर्ट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। वहीं चीन की शियान लॉन्गदे कमपनी मिसाइल से जुड़े उपकरण जैसे फिलामेंट वाइंडिंग मशीन देती है। इसका इस्तेमाल रॉकेट मोटर के केस बनाने में होता है।
तियांजिन कंपनी पाकिस्तान को जो सामान सप्लाई करती है, उसका इस्तेमाल स्पेस लॉन्च व्हीकल के टैंकों की वेल्डिंग में किया जाता है। वहीं ग्रैनपेक्ट कंपनी के उपकरण पाकिस्तान के रॉकेट मोटर की टेस्टिंग में काम आते हैं।
तस्वीर पाकिस्तान की पहली मिसाइल हत्फ-1 की है। यह 80 किमी की दूरी तक मार करने में सक्षम थी।
80 के दशक में शुरू हुआ पाकिस्तान का मिसाइल प्रोग्राम
पाकिस्तान ने 1986-87 में अपने मिसाइल प्रोग्राम हत्फ की शुरुआत की थी। भारत के मिसाइल प्रोग्राम का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के नेतृत्व में इसकी शुरुआत हुई थी।
हत्म प्रोग्राम में पाक रक्षा मंत्रालय को फौज से सीधा समर्थन हासिल था। इसके तहत पाकिस्तान ने सबसे पहले हत्फ-1 और फिर हत्फ-1 मिसाइलों का सफल परीक्षण किया था। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, हत्फ-1 80 किमी और वहीं हत्फ-2 300 किमी तक मार करने में सक्षम थी।
यह दोनों मिसाइलें 90 के दशक में सेना का हिस्सा बनी थी। इसके बाद हत्फ-1 को विकसित कर उसकी मारक क्षमता को 100 किलोमीटर बढ़ाया गया। 1996 में पाकिस्तान ने चीन की मदद से बैलिस्टिक मिसाइल की तकनीक हासिल की।
फिर 1997 में हत्फ-3 का सफल परीक्षण हुआ, जिसकी मार 800 किलोमीटर तक थी। साल 2002 से 2006 तक भारत के साथ तनाव के बीच पाकिस्तान ने सबसे ज्यादा मिसाइलों की टेस्टिंग की थी।