6 मिनट पहलेलेखक: मरजिया जाफर

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पपीता एक ऐसा फल है जो हर तरह से फायदेमंद है। सिर्फ पपीता ही नहीं, बल्कि पपीते के पत्ते भी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। सेहतमंद रहने के लिए पपीते के पत्तों का रस बनाकर पी सकते हैं। ‘जान जहान’ में डॉ. सुबास राय से जानते हैं पपीता के पत्ते के जूस के फायदे के बारे में।

पपीता के पत्ते के जूस डेंगू बुखार में फायदेमंद

बदलते मौसम में डेंगू परेशान करता हैं। डेंगू बुखार की वजह से हर साल देशभर में कई लोग जान गंवा देते हैं। इसमें तेज बुखार, दाने और सिरदर्द, जोड़ों और मसल्स में दर्द, कंपकंपी और आंख में दर्द होता है। डेंगू बुखार में शरीर में प्लेटलेट तेजी से कम होती है जिससे कई बार मरीज की जान चली जाती है। प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने के लिए पपीते के पत्ते का 25 एमएल रस दिन में दो बार लें। इससे आराम मिलेगा। दरअसल, पीपते के पत्ते के अर्क में जरूरी बायोएक्टिव यौगिक होते हैं, जैसे पपैन, कायम पोपीन और कैरिकेन, जो डेंगू बुखार के असर को कम करने में मददगार हैं।

पपीता का पत्ता एंटी मलेरिया

पपीते के पत्ते, फल, बीज और जड़ में एंटी मलेरियल गुण होते हैं। ब्लड में मौजूद पैरासाइट्स को खत्म करने का काम करते हैं। जिससे मलेरिया की रोकथाम में मदद मिल सकती है। रोजाना पपीते के पत्ते के रस का इस्तेमाल कर सकते हैं।

पेट की सेहत का रखे ख्याल

पपीते की पत्तों में कारपैन के रासायनिक यौगिक होते हैं, जो डाइजेशन सिस्टम को सही रखने में मदद करते हैं। इससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर जैसे इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से राहत मिलती है। इसके उपयोग से अल्कोहल की वजह से होने वाले गैस्ट्रिक की परेशानी या अल्सर भी ठीक हो सकता है।

लिवर के लिए रामबाण

लिवर खराब होने की वजह से कई बार हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया यानी उच्च कोलेस्ट्रोल हो सकता है। इससे बचने के लिए पपीते के पत्ते का रस पीएं। पपीते के पत्ते का जूस कोलेस्ट्रोल लेवल को कम करके ब्लड को साफ करता है और लिवर की परेशानियां जैसे पीलिया, सिरोसिस से बचाने में मदद करता है।

इम्यूनिटी को बढ़ाए

पपीते के पत्ते का जूस इम्यूनिटी बूस्ट करके बीमारियों से बचाने में मदद करता है। इसमें इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण होते हैं, जिसकी मदद से प्रतिरक्षा प्रणाली, शरीर की जरूरत के हिसाब से काम करती है।

एंटी-कैंसर

पपीते के पत्ते के जूस में मौजूद इम्यूनोमॉड्यूलेटरी असर की वजह से यह कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से भी लड़ने में मददगार है। इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव शरीर में बढ़ रहे कैंसर सेल्स और ट्यूमर सेल्स को बढ़ने से रोकता है।

एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी नोसाइसेप्टिव

पपीते के पत्ते में भरपूर मात्रा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। यह गुण शरीर में किसी भी तरह के सूजन को कम करते हैं। इसमें एंटीनोसाइसेप्टिव प्रभाव भी होते हैं। एंटी नोसाइसेप्टिव एजेंट न्यूरॉन्स और नर्वस सिस्टम में दर्द पैदा करने वाले और हानिकारक तत्व का पता लगाकर उन्हें रोकने मदद करते हैं।

स्किन की परेशानी दूर करे

पपीते के पत्ते का चबाने से स्किन की हेल्थ अच्छी हो सकती है। इसमें मौजूद विटामिन-सी और ई स्किन को अल्ट्रा वॉयलट किरणों से बचाने के साथ-साथ रिंकल्स को भी दूर करने में मदद करते हैं। विटामिन-सी कोलेजन को बनाने में मदद करता है और त्वचा में कसाव लाता है।

डैंड्रफ से छुटकारा

डैंड्रफ बालों की सेहत पर बुरा असर डालते हैं। पपीते के पत्ते के घरेलू नुस्खे को अपनाकर डैंड्रफ से छुटकारा पा सकते हैं। पपीते के पत्ते से निकले रस से स्कैल्प की मसाज कर सकते हैं। पपीते के पत्तों को पीसकर उसका पेस्ट को स्कैल्प पर लगाकर इसका असर देख सकते हैं। पपीते के फल का इस्तेमाल सीधे तौर पर स्कैल्प को साफ करके रूसी की परेशानी को दूर करने के लिए किया जा सकता है। पपीते की पत्तियां भी रूसी की परेशानी में असरदार हो सकती है।

पपीते के पत्तों का रस बनाने का तरीका

पपीते के पत्तों का जूस बनाने के लिए 8 से 10 पपीते के पत्तों को धोकर साफ कर लें। अब इन पत्तों को मिक्सी में डालकर कुछ सेकंड के लिए चलाएं। अब कॉटन के कपड़े या छलनी की सहायता से इन पत्तियों को निचोड़ कर रस निकालें। पपीते के पत्तों का जूस तैयार है।

पपीता के पत्ते के जूस का इस्तेमाल

पपीते के पत्ते के जूस का उपयोग एक ही है इसे बनाकर सीधे पी लें, लेकिन इसका टेस्ट इतना कड़वा होता है कि काफी देर तक मुंह का स्वाद बिगड़ता है। इसलिए कुछ यूं बनाकर पीएं पपीते का रस।

  • पपीते के पत्ते का जूस बनाते वक्त उसमें कुछ मीठे फल भी मिला सकते हैं।
  • कच्चे पत्ते के रस की कड़वाहट को कम करने के लिए इसमें थोड़ी मिश्री, चीनी या शहद मिला सकते हैं।

पपीता के पत्ते के जूस के नुकसान

पपीते के पत्ते के जूस के फायदे तो बहुत हैं, लेकिन इसके नुकसान भी हैं। पपीते के पत्ते के जूस के नुकसान कुछ इस प्रकार हैं।

  • यह गर्भपात का कारण बन सकता है।
  • बांझपन की वजह भी बन सकता है।
  • कुछ लोगों को इससे एलर्जी हो सकती है।

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