नई दिल्ली20 मिनट पहलेलेखक: ऐश्वर्या शर्मा

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पॉर्न फिल्म जिसे एडल्ट मूवी, ब्लू फिल्म या एरोटिक फिल्म भी कहा जाता है, इसका दौर 1896 में शुरू हुआ। सबसे पहले 7 मिनट की ‘Le Coucher de la Mariée’ नाम की एडल्ट फिल्म फ्रांस में बनी जिसे थिएटर में रिलीज किया गया। उस दौर में साइलेंट मोड पर बनी ब्लैक एंड व्हाइट पॉर्न फिल्मों की पॉपुलैरिटी तेजी से बढ़ गई।

1950 से विदेशों में और भारत में 1980 के दौरान पॉर्न फिल्मों की कैसेट घरों में वीसीआर चोरी छुपे देखी जाने लगी। ये कैसेट्स ट्रिपल एक्स कहलाती थीं।

उस दौर में परिवार से छुपकर कई कपल्स अपने बेडरूम में इन फिल्मों को शौक से देखते। जमाना हाइटेक हुआ तो अब पॉर्न फिल्में मोबाइल के जरिए हथेली पर आ बैठीं। अब कोई भी व्यक्ति कहीं भी, किसी भी समय पॉर्न मूवी देख सकता है। पॉर्न फिल्मों का बढ़ता कारोबार और बढ़ते दर्शकों की वजह से क्राइम के ग्राफ को भी बढ़ावा मिला है। रेप, चाइल्ड अब्यूज, सेक्सुअल हैरेसमेंट जैसे कई घटनाओं के पीछे पॉर्न फिल्में से बिगड़ी मनोस्थिति जिम्मेदार है। यही नहीं, पॉर्न फिल्में काफी हद तक दांपत्य संबंधों को बिगाड़ने और टूटने की कगार तक पहुंचाने की भी जिम्मेदार रही हैं।

पॉर्न फिल्मों की एक नेगेटिव इमेज है। इन फिल्मों को देखने वाले लोगों को सोसाइटी अच्छी नजरों से नहीं देखती।

रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ. गीतांजलि शर्मा के मुताबिक माना जाता है कि लड़के पॉर्न अधिक देखते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। लड़कियां भी पॉर्न मूवीज देखना पसंद करती हैं। ऐसी फिल्में व्यक्ति को खुशी और संतुष्टि देती हैं। लेकिन असल जिंदगी में जरूरत से ज्यादा इस पसंद को बढ़ावा देना रिश्तों में मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

डॉ. गीतांजलि शर्मा कहती हैं कि कई कपल सोचते हैं कि उनकी सेक्सुअल लाइफ में उनका पार्टनर पॉर्नस्टार की तरह बर्ताव करे। लेकिन ऐसा नहीं होता तो वह पार्टनर को अहमियत देना बंद कर देते हैं जिससे उनके रिश्ते में दरार पड़ने लगती है।

जनरल सोशल सर्वे के अनुसार जो लोग पॉर्न देखते हैं, उनके पार्टनर से अलगाव की आशंका बढ़ जाती है। सर्वे में कहा गया कि पॉर्न देखने वाले पुरुषों की 10% और महिलाओं की 18% डिवोर्स की आशंका बढ़ जाती है। ऐसा 2 साल की शादी के अंदर ही देखने को मिला। हालांकि स्टडी में यह भी कहा गया कि केवल पॉर्न ही नहीं, अन्य कारण भी डिवोर्स की वजह बने।

पॉर्न में प्यार और इंटीमेसी नहीं होती

रिलेशनशिप काउंसलर डॉ. के. आर. धर के अनुसार पॉर्न मूवीज सेक्सुअल फीलिंग्स को बढ़ाती है। ऐसा लड़कियों के मुकाबले लड़कों में ज्यादा देखने को मिलता है। पॉर्न में लड़कियों को एक वस्तु की तरह दिखाया जाता है। इसमें प्यार, लगाव या इंटीमेसी नहीं होती।

जबकि रियल लाइफ में कपल के बीच प्यार और इंटीमेसी दोनों जरूरी है। अक्सर लड़कियां इस फीलिंग के बिना पार्टनर के करीब नहीं आतीं। जो लोग पॉर्न देखते हैं, वह कल्पनाओं की दुनिया में जीते हैं। लड़के पॉर्न देखने के कारण असल दुनिया में महिलाओं की बॉडी की तरफ कम आकर्षित होते हैं। पॉर्न फिल्म केवल सेल्फ सैटिस्फैक्शन ही दे सकती हैं।

पुरुष फीमेल पार्टनर पर बनाते दबाव

डॉ. धर के अनुसार पॉर्न देखने से रिश्ते बिगड़ते ही हैं। बहुत कम ऐसे मामले होते हैं जहां रिलेशनशिप काउंसलर कपल को खुद पॉर्न मूवी देखने की सलाह दें।

डॉ. धर का कहना है कि उन्होंने कई ऐसे मामले देखें हैं जिनमें मेल पार्टनर पॉर्न फिल्मों के लती थे। शादी के बाद उनकी अपने साथी से उम्मीदें कुछ कुछ पॉर्न फिल्मों के सीन जैसी रहीं जिससे दांपत्य रिश्तों में खटास आ गई और रिश्ता बिखर गया।

पॉर्न मूवी जैसी नहीं है हकीकत

पॉर्न फिल्में कई-कई दिनों में शूट होती हैं। एक पॉर्न मूवी बनाने में 1 हफ्ते का समय लगता है। इसमें स्क्रिप्ट, लोकेशन, एक्टर्स, डायरेक्शन, इफेक्ट्स, एडिटिंग हर सीन बॉलीवुड या हॉलीवुड फिल्म जैसे ही प्लान होती है। इसके बाद वीडियो को एडिट करके कुछ मिनटों का बनाया जाता है। इसमें कई सीन जोड़े जाते है जो दिखने में भले नेचुरल लगे लेकिन असल जिंदगी में ऐसा मुमकिन नहीं होता।

डॉ. धर कहते हैं कि कई दंपती इन पॉर्न फिल्मों को हकीकत समझने की भूल कर बैठते हैं। पॉर्न में दिखाई जाने वाली स्थितियां स्वाभाविक नहीं होतीं।

कई बार पार्टनर ऐसी हरकतों को सहन करने में असमर्थ होता है और यह रिश्ते को खत्म कर देता है।

खुद से हीन भावना होने लगती है

रिलेशनशिप काउंसलर डॉ. गीतांजलि शर्मा के अनुसार पॉर्न मूवी देखकर लोग फैंटेसी वर्ल्ड में जीने लगते हैं और हकीकत से परे उम्मीदें बांध लेते हैं। दंपती यह भूल जाते हैं कि पॉर्न फिल्म आखिर एक फिल्म है जिसमें मॉडल्स की परफेक्ट फिगर होती है। शरीर के अंगों को भद्दे तरीके से दिखाया जाता है लेकिन यह सब देखकर व्यक्ति खुद हीन भावना का शिकार हो जाता है क्योंकि वह हर समय खुद की और अपने पार्टनर की तुलना फिल्म के किरदारों से करने की भूल कर बैठता है। और यह बात रिश्ते के आकर्षण को खत्म करती है और उसे कमजोर बनाती है।

परफेक्शन की चाहत

डॉ. धर के अनुसार जिस तरह कोई रिश्ता परफेक्ट नहीं होता है, उसी तरह परफेक्ट सेक्स भी नहीं होता। दांपत्य संबंध एक-दूसरे को केवल शरीर से ही नहीं, मन से भी जोड़ते हैं और यही रिश्ते को खूबसूरत बनाते हैं।

जर्नल ऑफ सोशल एंड क्लिनिकल साइकोलॉजी में छपे शोध के अनुसार पॉर्न देखने वाले लोग पार्टनर को अहमियत कम देते हैं। संबंध बनाने के दौरान वह पॉर्नस्टार की कल्पना में डूबे रहते हैं जो संबंधों के लिए नुकसानदेह है।

पॉर्न इंसान को बनाती हैं सेल्फिश

डॉ. धर कहते हैं कि शरीर के लिए जिस तरह खाना जरूरी है, ठीक ऐसे ही संबंध बनाने के बाद दोनों की संतुष्टि जरूरी है। लेकिन पॉर्न फिल्में व्यक्ति को खुदगर्ज बनाती हैं। वह सिर्फ अपने सुख के बारे में सोचता है जो रिश्ते के लिए खतरनाक है। आर्काइव्स ऑफ सेक्सुअल बिहेवियर में छपी रिपोर्ट के अनुसार पॉर्न फिल्में देखने वाले लोग अधिकतर धोखेबाज होते हैं और यही रिश्ते में असंतुष्टि का कारण बनता है।

पार्टनर की पॉर्न देखने की आदत ठीक नहीं

अमेरिका की उटाह स्टेट यूनिवर्सिटी की पोनोग्राफी पर हुई स्टडी में पाया गया कि हर हफ्ते 46% पुरुष और 16% महिलाएं पॉर्न मूवी देखती हैं। पॉर्न का मेंटल हेल्थ के साथ-साथ रिश्तों पर नेगेटिव असर पड़ता है।

ज्यादा पॉर्न देखने से व्यक्ति में एंग्जाइटी, स्ट्रेस और अकेलापन बढ़ता है। इससे सेक्सुअल संतुष्टि घटती है।

कैनेडियन जर्नल ऑफ ह्यूमन सेक्सुएलिटी की स्टडी के अनुसार पॉर्न मूवी देखने वाली लड़कियां भी पार्टनर की तुलना पॉर्नस्टार से करने लगती हैं।

हकीकत में जीना जरूरी

डॉ. गीतांजलि कहती हैं अगर किसी का पार्टनर पॉर्न देखता है तो उनकी इस आदत को छुड़वाने से पहले यह जानना जरूरी है कि इसके पीछे का कारण क्या है। क्या वह स्ट्रेस में है, संबंधों को लेकर संतुष्ट नहीं है या हीन भावना से ग्रस्त है?

ऐसे पार्टनर पर ध्यान दें। उनकी नेगेटिव सोच को बात करके पॉजिटिव बनाएं। अगर पार्टनर पॉर्न फिल्मों को स्ट्रेसबस्टर की तरह देखता है तो उससे उसकी मन की बात करें। उसे अच्छा महसूस करवाएं और हो सके तो रिलेशनशिप काउंसलर से दंपती मिले और ध्यान रहे कि रिलेशनशिप काउंसलर के पास जाना बुरी बात नहीं। वहां पॉजिटिव और फायदेमंद सलाह ही मिलेगी।

पॉर्न देखना कोई जुर्म नहीं है। पिछले दिनों केरल हाईकोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान कहा कि पॉर्न देखना किसी भी व्यक्ति की पर्सनल चॉइस है और अगर वह अपने प्राइवेट स्पेस में यह देख रहा है तो कोई जुर्म नहीं है।

रिलेशनशिप एक्सपर्ट के अनुसार पॉर्न फिल्में कुछ हद तक कपल्स का रिश्ता अच्छा बना सकती हैं, लेकिन इन वीडियोज को हकीकत समझ लेना, भूल जरूर है।

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