मुंबई5 मिनट पहले

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बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि सोने का अधिकार (Proper To Sleep) एक बुनियादी मानवीय जरूरत है, जिसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में आधी रात के बाद वरिष्ठ नागरिक से ED की पूछताछ पर यह टिप्पणी की है।

जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की बेंच ने 15 अप्रैल को कहा, ”अर्थली अवर्स (सांसारिक घंटे) के दौरान बयान दर्ज किए जाने चाहिए, न कि रात में जब किसी व्यक्ति का मानसिक कौशल कमजोर हो सकता है।

गिरफ्तारी को कोर्ट में चुनौती दी गई, कोर्ट ने याचिका खारिज की
दरअसल, कोर्ट की यह टिप्पणी मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ मामले में आई, जिसमें याचिकाकर्ता ने एजेंसी के जरिए खुद की गिरफ्तारी को कोर्ट में चुनौती दी है। मनी लॉन्ड्रिंग के जुड़े मामले में 7 अगस्त 2023 में ED ने 64 साल के राम इसरानी को हिरासत में लिया था।

रातभर कस्टडी में रखकर उससे पूछताछ की गई थी। इसके बाद 8 अगस्त को राम की गिरफ्तारी की गई थी। बेंच के सामने राम ने दावा किया ति उसकी गिरफ्तारी गलत है।

मैंने जांच में एजेंसी का सहयोग किया। मुझे जब भी समन जारी किया मैं एजेंसी के सामने पेश हुआ, लेकिन मुझसे रातभर पूछताछ की गई और फिर गिरफ्तार कर लिया गया।

कोर्ट ने राम की याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन आधी रात में उसके साथ की गई पूछताछ को गलत बताया।

कोर्ट में ED और बेंच के बीच की बातचीत

ED: राम इस्सरानी ने रात में अपना बयान दर्ज करने के लिए सहमति दी थी।

बेंच: सहमति हो या अन्य तरीके से पूछताछ की गई हो। हम देर रात में याचिकाकर्ता का बयान दर्ज किए जाने की निंदा करते हैं। आधी रात से सुबह 3.30 बजे तक बयान किए गए। सोने का अधिकार-पलक झपकाने का अधिकार एक बुनियादी मानवीय आवश्यकता है, क्योंकि इसे प्रदान न करना किसी व्यक्ति के मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है।

नींद की कमी व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है और उसकी मानसिक क्षमताओं, कौशल को खराब कर सकती है। उक्त व्यक्ति जिसे इस प्रकार बुलाया गया है उसको मूल मानव अधिकार यानी सोने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। बयान आवश्यक रूप से सांसारिक घंटों के दौरान दर्ज किए जाने चाहिए न कि रात में।

याचिकाकर्ता पहले भी एजेंसी के सामने पेश हुआ था। उससे रात की जगह अगले दिन बयान लिया जा सकता था। रात में बयान लिए जाने की प्रथा को हम अस्वीकार करते हैं।

कोर्ट ने ED को नोटिस जारी किया है। इसमें बयान दर्ज किए जाने को लेकर दिशा-निर्देश जारी करने का कहा है। मामले में अगली सुनवाई 9 सितंबर तय की है। हालांकि बेंच ने राम इस्सरानी की याचिका को खारिज कर दिया था।

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पतंजलि भ्रामक विज्ञापन केस में मंगलवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच के सामने बाबा रामदेव और बालकृष्ण तीसरी बार पेश हुए। बाबा रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा- हम कोर्ट से एक बार फिर माफी मांगते हैं। हमें पछतावा है। हम जनता के बीच माफी मांगने को तैयार हैं। कोर्ट ने कहा- हम बाबा रामदेव को सुनना चाहते हैं। पूरी खबर पढ़ें

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