55 मिनट पहले

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रीमा उस छोटे से क्रूज़ के डेक पर बैठी थी। क्रूज़ अच्छे-खासे हिचकोले ले रहा था। रीमा ने दोनों हाथों से कसकर कुर्सी के हत्थे पकड़ रखे थे। आदेश का हाल भी कुछ ऐसा ही था।

जैसे-जैसे वे समुद्र में आगे बढ़ रहे थे, दोनों का डर बढ़ता जा रहा था। “कहीं हमने ये पिद्दू सा क्रूज़ चूज़ करके गलती तो नहीं कर दी?” आखिर रीमा धीरे से बोल ही पड़ी।

“ बड़ी जल्दी एहसास हो गया!” आदेश के मुंह से न चाहते हुए भी ताना निकल गया। रीमा के चेहरे पर तो जैसे मनो पानी पड़ गय।“ तो तुम्हें भी डर लग रहा है?” “नहीं, मैं तो सुपर हीरो हूं। निश्चिंत बैठा हूं कि कब क्रूज़ डूबे और कब मैं तुम्हें गोद में उठाकर हवा में उड़ता हुआ वापस ले जाने के बहाने रोमांटिक लमहे जियूं।”

रीमा से और कुछ न बोला गया। उसकी आंखों में आंसू आ गए। अब आदेश को उस पर प्यार आ गया।“ देखो रीमा, मैं ये नहीं कह सकता कि मुझे डर नहीं लग रहा। लेकिन इतनी सांत्वना ज़रूर दे सकता हूं कि इस क्रूज़ पर जो रोज़ के चलने वाले लोग बैठे हैं वो देखो कितने निश्चिंत हैं। देखो रो मत! इस तरह रोने से काम थोड़े ही चलेगा।” कहते हुए आदेश ने एक हाथ कुर्सी के हत्थे से हटाकर रीमा के कंधे पर रख उसे अपनी ओर कस लिया।

माहौल थोड़ा सा रूमानी होने के साथ ही डर थोड़ा सा कम हो गया। तभी क्रूज़ जोर-जोर से हिचकोले लेने लगा और कंडक्टर रटा-रटाया सा लेक्चर दोहराने लगा- “आप लोग घबराएं नहीं। बीच समुद्र में आने पर जैसे ही हवाएं तेज़ होती हैं, हमारे छोटे क्रूज़ ऐसे ही हिचकोले खाते हैं। देखिए आपके साथ कितने लोग ऐसे बैठे हैं जो रोज़ इस दीप पर रोजी-रोटी के लिए आते हैं। किसी भी क्रूज़ में केवल पर्यटक नहीं होते। हम जैसे लोग भी तो होते हैं, जो बरसों से रोज़ आ-जा रहे हैं।

यही इस बात की गवाही है कि…लेकिन वो अपनी बात पूरी करता, इससे पहले क्रूज़ ने ज़ोर से हिचकोला लिया और उसे अपना लेक्चर बदलना पड़ा – “आप लोग अपनी कुर्सियों के नीचे रखे टायर उठा लीजिए। क्रूज़ के पलटने के केस में उस पर बैठ जाइएगा।” टायर आपको डूबने नहीं देगा।”

रीमा को लगा वो अपना होश खो रही है। पहली बार समुद्र में आने वाले पर्यटक से ये उम्मीद भी कैसे की जा सकती है कि वो पानी में डूबेगा नहीं तो भी डर से नहीं मर जाएगा। पर ऐसी नौबत नहीं आई। क्रूज़ को एक ऐसे दीप पर किनारे लगा दिया गया जो उनका डेस्टिनेशन नहीं था। अब तूफान रुकने तक उन्हें वहीं रहना था। पर ये एक निर्जन दीप था।

वहां क्रूज़ से ज़मीन तक जाने का कोई रास्ता तो बना नहीं था। रीमा का पैर फिसल गया और वो गहरे समुद्र में जा गिरी। डर से होश खोती रीमा ने महसूस किया कि कोई उसे मजबूती से पकड़े है। आदेश टायर लेकर उसके साथ कूद पड़ा था। “घबराओ नहीं, मुझ पर विश्वास रखो। उसका स्पर्श जैसे रीमा से कह रहा था।

क्रूज़ के साहयकों ने रस्सी का फंदा उनकी ओर फेंक दिया था और आदेश ने उसे पकड़ लिया था। वे उन दोनों को किनारे खींच रहे थे। किनारे पहुंचकर आदेश ने पहले रीमा को अपने कंधे पर बैठाकर ऊपर चढ़ाया।

रीमा और आदेश जियोलोजी के स्टूडेंट्स थे। दोनों एक ही कॉलेज से रिसर्च कर रहे थे और एक ही सरकारी विभाग में एडहॉक पर काम कर रहे थे। सात साल से एक-दूसरे को जानते थे।

दो साल पहले की बात है। रीमा ने एक पी.जी. किराया बढ़ा दिए जाने के कारण छोड़ा था और दूसरा मिला नहीं था। उस दिन आदेश ने उसे अपने कमरे में रहने का ऑफर दिया था, जब तक उसे दूसरा पी.जी. नहीं मिल जाता।

बारिश और तूफान को भी उन्हीं दिनों रोज़ आना था। लाइट को भी उन्हीं दिनों जाना था। दोनों के बीच का अबोला रिश्ता एक अलग ही रिश्ते में बदल गया था। पर दोनों ही ऐसा मानते थे कि वो केवल शारीरिक आकर्षण था। एक भूख थी जो एक दूसरे से तृप्त हो रही थी। रीमा को पी.जी. मिल गया और विदा का पल आया – “हमारे बीच जो कुछ भी हुआ वो केवल शारीरिक आकर्षण था” दोनों ने ही कहा और वो रिश्ता भी खत्म हो गया।

सच तो ये था कि ज़िंदगी के संघर्षों ने उन्हें कभी किसी कमिटमेंट की इजाज़त नहीं दी थी पर इतना दोनों ही जानते थे कि उनकी ज़िंदगी में उसके बाद कोई दूसरा नहीं आया था। दोनों ही महसूस करते थे कि जो कुछ भी उनके बीच हुआ वो केवल शारीरिक भूख नहीं थी। दोनों ही एक-दूसरे के प्रति एक गहरा जुड़ाव महसूस करते थे। दोनों ही एक-दूसरे के दुखों के खामोश साथी और संघर्षों के खामोश हमसफर थे। तो दोस्ती वैसे ही कायम ही थी पर जुबान पर ज़िंदगी के यथार्थों के ताले थे।

यहां इस दीप पर वे घूमने नहीं आए थे। इस दीप की मिट्टी के नमूने कलेक्ट करने के लिए भेजे गए थे। इस दीप तक या तो छोटे क्रूज़ आते थे, जिनका किराया उन्हें ऑफिस की ओर से मिला था, या रॉयल क्रूज़ जो उनके लिए अफोर्डेबिल नहीं था। आदेश तो क्रूज़ की हालत देखकर चकरा गया था। पर रीमा ने हिम्मत बढ़ाई – “लोकल इतना जाते रहते हैं इससे तो डरने की क्या बात होगी।”

“अटेंशन प्लीज़” कंडक्टर की बात से दोनों का ध्यान उधर गया। अभी थोड़ी देर में बड़ी मोटर बोट आएंगी। उसमें टिकट नंबर के हिसाब से लोग बैठेंगे। एक बोट में बीस लोगों की जगह होगी। यहां ज्वार आने तक सब सुरक्षित हैं। आज पूनम की रात है। समुद्र का पानी ऊंचे चढ़ेगा। समुद्र का पानी उस लेवल तक पहुंचने तक..” उसने एक तरफ उंगली दिखाई – “अगर आपकी बारी न आए तो आप सब पेड़ पर चढ़ जाएं।”

“पेड़ पर चढ़ जाएं ऐसे कह रहा है जैसे हम इस काम में बचपन से एक्सपर्ट हों” अबकी रीमा ने ऐसे कहा कि दोनों को हंसी आ गई। दोनों एक अच्छी सी जगह देखकर बैठ गए। ठंडी हवा में रीमा की जुल्फें लहरा रही थीं। ये समां कुछ ऐसा था कि दोनों एक-दूसरे की आंखों में खो से गए। लगा जैसे बरसों से वहां बैठे हों। वे भूल से गए थे कि वे कहां हैं और किस परिस्थिति में बैठे हैं।

आदेश ने बड़ी अदा से रीमा की जुल्फें उसके कानों के पीछे खोस दीं – “तुम्हें नहीं लगता कि आकाश का चांद कुछ अधिक ही बड़ा हो गया है?” रीमा ने अचकचाकर उसकी ओर देखा – “तुम्हें ऐसी हालत में..” पर उसकी बात अधूरी रह गई। कंडक्टर के नंबर बोलने की आवाज़ आने लगी। “बीस नंबर कहां है भई! किसे अपनी जान बिल्कुल प्यारी नहीं, जिसने अभी तक अपने टिकट का नंबर भी नहीं पढ़ा है।” “एक्स्क्यूज़ मी, बीस नंबर मेरा है, और ये मेरे साथ हैं। या तो आप हम दोनों को भेज दीजिए या किसी और को।”

“सोच लीजिए, यहां हर पल खतरा बढ़ रहा है।” कंडक्टर कह ही रहा था कि बाइस नंबर कूदकर आया और मोटरबोट में बैठ भी गया।

“तुम गई क्यों नहीं, जानती नहीं यहां कितना खतरा है?” “तुम पानी में क्यों कूदे, जानते नहीं थे कि वहां कितना खतरा था?” “पहले प्रश्न मैंने पूछा” “पहले मेरे लिए जान तुमने खतरे में डाली” वो तो ऐसे ही शारीरिक आकर्षण के कारण! तुम्हें कितने सालों बाद छू रहा था। तुम्हारे स्पर्श में जादू है। थकान धुल जाती है और अवसाद पिघलने लगता है” आदेश भावुक हो गया। “फिर झूठ! अब बस भी करो।”

“तो तुम सच बोल दो।” “मैं तो यहां वो सच कहने रुकी हूं जो दो साल पहले न कह सकी।” “क्यों?” “ज़िंदगी ने इजाज़त नहीं दी। आज जब मौत को सामने देखा तो दिल ने बगावत कर दी। मैं बिना प्यार के खुशनुमा एहसास को जिए नहीं मरना चाहती।” रीमा की आंखें भर आईं।

आदेश ने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया। “मैं तुमसे साथ जीने-मरने वाला प्यार करता हूं। हां आज इकरार करता हूं।” वो चुंबनों की बारिश करता हुआ बोला। “सोचता था कि कुछ बन जाऊं तो कहूं, पर अब नहीं, चाहता हूं मरने से पहले तुम्हें बता दूं कि तुम्हारे बिना जीना नहीं चाहता।” उस अनजान दीप पर आलिंगनबद्ध युगल का प्यार शरीर की सीमा को पार करता हुआ आत्मा में उतरता जा रहा था।

-भावना प्रकाश

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