31 मिनट पहले

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रूस की प्राइवेट आर्मी कही जाने वाली वैगनर आर्मी 2014 में बनी थी। - Dainik Bhaskar

रूस की प्राइवेट आर्मी कही जाने वाली वैगनर आर्मी 2014 में बनी थी।

रूस भारतीयों को जबरदस्ती यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ने के लिए भेज रहा है। चार भारतीयों को रूस-यूक्रेन सीमा पर रूसी सैनिकों के साथ लड़ने के लिए मजबूर किया गया। इनमें से एक तेलंगाना और तीन कर्नाटक के हैं। यह कब का मामला है, यह स्पष्ट नहीं है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी कंपनियों ने इन भारतीयों को हेल्पर के तौर पर काम करने के लिए हायर किया था। इसके बाद इन्हें रूस की प्राइवेट आर्मी कहे जाने वाले वैगनर ग्रुप में भर्ती करवा दिया गया और जंग के मैदान में छोड़ दिया गया।

इन लोगों के परिजन ने बताया कि कुछ एजेंट्स ने दिसंबर 2023 में नौकरी के नाम पर धोखे से भारतीयों को रूस भेज दिया था। अब ये भारतीय मदद की गुहार लगा रहे हैं।

यह तस्वीर रूस-यूक्रेन जंग की है। सेना में भर्ती किए गए 4 भारतीयों की तस्वीरें रिपोर्ट में ब्लर करके दी गई हैं। यानी इनकी पहचान उजागर नहीं की गई है, इसलिए हम भी उन्हें यहां नहीं दिखा रहे हैं।

यह तस्वीर रूस-यूक्रेन जंग की है। सेना में भर्ती किए गए 4 भारतीयों की तस्वीरें रिपोर्ट में ब्लर करके दी गई हैं। यानी इनकी पहचान उजागर नहीं की गई है, इसलिए हम भी उन्हें यहां नहीं दिखा रहे हैं।

मैसेज से मामला सामने आया
रिपोर्ट में चारों भारतीयों में से एक का नाम उजागर किया गया है। वह 22 साल का मोहम्मद सूफियान है। उसने एक रूसी सैनिक के फोन से अपने घरवालों को मैसेज भेजा।

उसके भाई ने बताया कि सूफियान ने मैसेज में लिखा था- मैं यूक्रेन बॉर्डर से 40 किलोमीटर दूर हूं। हमें मर्जी के खिलाफ जंग में भेजा जा रहा है। हमें धोखा दिया गया। हमारी मदद करो। हम किसी भी कीमत पर भारत लौटना चाहते हैं।

दुबई में हुई हायरिंग
चारों भारतीय फेक आर्मी जॉब रैकेट का शिकार हुए। ये पहली बार नवंबर 2023 में एजेंट्स से मिले थे। एजेंट्स ने हेल्पर की नौकरी के लिए लाखों की सैलरी बताई थी। इसके बाद दिसंबर 2023 में भारतीयों को विजिटर वीजा पर रूस ले जाया गया। सभी ने चेन्नई एयरपोर्ट से उड़ान भरी।

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि ये भारतीय दुबई में नौकरी करते थे। उनकी सैलरी 30-40 हजार रुपए थी। एजेंट्स ने 2 लाख की सैलरी वाली नौकरी का झांसा दिया था।

एक परिजन ने बताया कि नौकरी दिलाने के नाम पर एजेंट्स ने भारतीयों से 3 लाख रुपए भी लिए।

जून 2023 में वैगनर आर्मी ने रूस में तख्तापलट की कोशिश की थी। तस्वीर मॉस्को के एक हाईवे की है। यहां रूस ने सुरक्षाकर्मी, बख्तरबंद गाड़ियां और टैंक तैनात किए थे।

जून 2023 में वैगनर आर्मी ने रूस में तख्तापलट की कोशिश की थी। तस्वीर मॉस्को के एक हाईवे की है। यहां रूस ने सुरक्षाकर्मी, बख्तरबंद गाड़ियां और टैंक तैनात किए थे।

रिपोर्ट- 60 अन्य भारतीयों को भी झांसा दिया गया
रिपोर्ट के मुताबिक 60 अन्य भारतीयों को भी झांसा देकर वैगनर आर्मी में शामिल किया गया है। महाराष्ट्र के एक व्यक्ति ने इन लोगों से रूसी भाषा में लिखा कॉन्ट्रैक्ट साइन करवाया था। इन्हें बताया गया कि यह हेल्पर की नौकरी के लिए है।

प्लेन क्रैश में मारा गया था वैगनर चीफ
जून 2023 में वैगनर आर्मी ने रूस में तख्तापलट की कोशिश की थी। विद्रोह के ठीक 2 महीने बाद 23 अगस्त को वैगनर चीफ जिस प्लेन में सवार थे, वो क्रैश हो गया था। रूस की एविएशन मिनिस्ट्री के मुताबिक, पैसेंजर लिस्ट में प्रिगोजिन का नाम था और वो इसमें सवार थे। रूस ने भी प्रिगोजिन की मौत की पुष्टि कर दी थी। क्रैश में 10 लोग मारे गए थे।

यह एयरक्राफ्ट मॉस्को से सेंट पीटर्सबर्ग जा रहा था। प्रिगोजिन के अलावा इस प्लेन में प्राइवेट आर्मी के को-फाउंडर और पूर्व रूसी स्पेशल फोर्स कमांडर दिमित्री उत्किन भी सवार थे। वैगनर के और भी अधिकारी विमान में मौजूद थे।

यूरोपीय संघ और अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के मुताबिक, वैगनर प्राइवेट आर्मी को एक कंपनी की शक्ल में प्रिगोजिन फंड करते थे। हालांकि प्रिगोजिन कई साल तक वैगनर आर्मी के साथ किसी भी इंवॉल्वमेंट से इनकार करते रहे थे।

वैगनर आर्मी को जानिए…
वैगनर ग्रुप सैनिकों का एक निजी संगठन है। 2014 से पहले यह गुप्त संगठन था, जो ज्यादातर यूक्रेन, अफ्रीका और मध्य पूर्व में सक्रिय था। इसमें ज्यादातर रूस की एलीट रेजिमेंट और स्पेशल फोर्सेज के दिग्गज हैं। ग्रुप में 50 हजार से ज्यादा सैनिक हैं।

इसकी शुरुआत रूसी सेना के पूर्व अधिकारी दिमित्री उत्किन ने की थी। उसने चेचन्या के युद्ध में रहे उनके रेडियो कॉल साइन पर ग्रुप का नाम रखा था। वैगनर ग्रुप ने 2014 में अपने पहले अभियान में क्रीमिया पर कब्जा करने में रूस की मदद की थी।

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