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  • Shiva, The Guru Of The World: Bholenath’s Matted Hair Teaches Us To Deal With The Issues Of The World, Gangadhara Is A Image Of Good Ideas

23 घंटे पहले

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शिव जी सभी इंसानों के गुरु हैं। वो अपने रूप से सभी को शव से शिव बनाने की शिक्षा देते हैं। शिवजी ने गले में विष को धारण किया है और संसार को संदेश दिया कि जहर मुख में रहेगा तो वो तुरंत असर दिखा देगा, लेकिन उसे पेट में रखेंगे तो समय आने पर जवाब देगा। इसका मतलब ये है यदि कोई आपको गाली दे रहा है तो बदले में आप गाली देंगे या कुछ समय बाद उसको गाली देंगे।

गले में सांप धारण कर वो ये संदेश देते हैं कि काल हमेशा आपके सिर पर मंडरा रहा है। चंद्रमा को ​सिर पर धारण कर समझाते हैं कि दिमाग हमेशा शांत रखना है। हाथ का त्रिशूल बताता है कि तामसिक, राजसिक और सात्त्विक गुणों को समय पर उपयोग करना चाहिए।

भोलेनाथ के सिर की जटा सिखाती है कि हमेशा सांसारिक उलझन को बांधकर रखना चाहिए। सिर पर गंगधारा रखकर शिव जी संदेश देते हैं कि दिमाग में अच्छे विचार हमेशा लाते रहें ताकि संसार समृद्ध हो और आपके विचारों से लोगों में गंगा के जैसी पवित्रता आने लगे।

शरीर पर भस्म लगाकर शिव संदेश देते हैं कि हमें भी एक दिन भस्म होना है । उसके पहले इस तरह काम कर जाएं कि संसार हमें याद करता रहे। गले में मुंड माला पहनकर​ शिव का संदेश है कि लोग कई तरह से आपकी बातें करेंगे। उनकी बातों पर ध्यान न देकर आप अपने लक्ष्य पर लगे रहें। डमरू बजाकर​ शिव ब्रह्मनाद पैदा करते हैं। तब हमें संदेश देते हैं कि जिस कुल,परिवार, देश में जन्म हुआ है, उसी का पालन करें। तांडव से संदेश मिलता हैं कि जब भी गुस्सा आने लगे तो किसी से कुछ कहने की बजाय खुद नृत्य कर परमात्मा को याद करें। शारीरिक और मानसिक अवस्था को आनंदमय करें।

पार्वती जी से हारकर शिव संदेश देते हैं कि विश्व विजेता बनना है तो जीवनसाथी से हार कर अपने घर की व्यवस्था को सही रखें। क्योंकि घर में आनंद है तो सभी समस्याएं आसानी से फेस कर सकते हैं। पंचमुखी रुद्राक्ष पहनकर शिव संदेश देते हैं कि पंचतत्त्व से बने शरीर को निरोगी रखने के​ लिए पंचमुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। अपनी पांचो ज्ञानेंद्रियों और कर्मेंद्रियों को भी सत्कर्म में लगाए रखें।

क्या समझाता है शिव परिवार
शिव परिवार जीवन में लगातार कैसे सफल रहना है उसकी समझ देता है। गणेश यानी आपका गुण सबसे पहले पुकारा जाएगा। पार्वती, क्रिया की कारक है, इसलिए उस गुण को आप प्रकट करते हो तो आपकी कीर्ति चारों ओर कार्तिकेय के समान फैलने लगती है।

आपको प्रसिद्ध होने पर भी नंदी के चारो पैर के प्रतीक सत्य,धर्म,दया और दान का पालन करते रहना है। इन चारों बातों का पालन करते हुए जीवन जीते हो तो शिव आपकी सवारी करते हैं। शिव के समान आप सभी के लिए कल्याणकारी हो जाते हो, शिव आप सबको कल्याणकारी बनाना चाहते हैं, इसलिए वही सब के गुरु हैं।

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