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  • Somvati Amavasya April 2024 Date And Tithi Time | All You Want To Know About Chaitra Amavasya Significance And Significance

5 घंटे पहले

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8 अप्रैल को साल की पहली सोमवती अमावस्या है। यानी सोमवार को अमावस्या का संयोग बन रहा है, इसलिए इसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। ऐसा संयोग साल में 2 या कभी-कभी 3 बार बन जाता है।

ऐसी अमावस्या को पुराणों में महापर्व कहा गया है, क्योंकि इस अमावस्या पर किए गए स्नान-दान से महापुण्य मिलता है।

सोमवती अमावस्या पर पूजा-पाठ, व्रत, स्नान और दान करने से कई यज्ञों का फल मिलता है। तीर्थ स्नान करने से कभी खत्म नहीं होने वाला पुण्य मिलता है। महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा।

नारद पुराण: सोमवार और अमावस्या के योग में किया दान महापुण्यदायी
सनातन ऋषि ने नारद जी को हर महीने आने वाली अमावस्या का महत्व बताया है। ऋषि के मुताबिक सोमवार को अमावस्या पड़ने पर सोमवती अमावस्या का संयोग बनता है। इस योग में किया गया दान महापुण्यदायी होता है। यानी इस तिथि में किए दान से हर तरह का शुभ फल मिलता है। सोमवती अमावस्या पर किए गए श्राद्ध से पितरों का तृप्ति मिलती है।

अब दो बार और बनेगा सोमवती अमावस्या का संयोग
8 अप्रैल के बाद सोमवती अमावस्या का अगला संयोग 2 सितंबर को बनेगा। ये भाद्रपद महीने की अमावस्या होगी। मन्वादि तिथि होने के कारण इस दिन स्नान-दान का महत्व और ज्यादा बढ़ जाएगा। उसके बाद साल का आखिरी संयोग 30 दिसंबर को बनेगा। ये पौष महीने की अमावस्या रहेगी।

पितरों की तृप्ति लिए पीपल पेड़ की पूजा
पीपल के पेड़ में पितर और सभी देवताओं का वास होता है, इसलिए सोमवती अमावस्या के दिन जो दूध में पानी और काले तिल मिलाकर सुबह पीपल को चढ़ाते हैं। उन्हें पितृदोष से मुक्ति मिल जाती है। इसके बाद पीपल की पूजा और परिक्रमा करने से सभी देवता प्रसन्न होते हैं।

ऐसा करने से हर तरह के पाप भी खत्म हो जाते हैं। ग्रंथों में बताया गया है कि पीपल की परिक्रमा करने से महिलाओं का सौभाग्य भी बढ़ता है, इसलिए शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत भी कहा गया है।

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