6 मिनट पहले

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‘अगर आज भी अगर लेट किया तो आई एम लिटरली गॉना किल यू।’

सोनाली ने बड़बड़ाते हुए फिर एक बार मोबाइल पर एक नंबर डायल किया लेकिन इस बार भी नंबर अनरीचेबल ही था।

‘एक्सक्यूज मी, क्या आप यहां अकेली हैं?’

ये आवाज जैसे ही सोनाली के कानों तक पहुंची। पलटकर देखने से पहले ही उसके मुंह से निकला- ‘हू द हेल आर यू और अकेली हैं से क्या मतलब है… आपका?’

‘आपका’ शब्द सोनाली ने बाद में जोड़ा था और सामने वाले को नज़र भर देखने के बाद कहा था।

अमन वेल ग्रूम्ड, वेल ड्रेस अप था। भले ही उसने गॉगल पहना हो, लेकिन सोनाली देख पा रही थी कि उसकी आंखों में अजनबी से बात करने की झिझक या उससे डांट खाने का डर नहीं था।

अमन ने स्माइल के साथ जवाब दिया- ‘हाय। आई एम अमन। एक्चुअली आप एंट्रीवे पर खड़ी हैं। कोई और इतनी शराफत से आपको ये बात नहीं बताएगा। सोचा मैं ही बता दूं। मैंने देखा कि आप कुछ परेशान सी हैं तो कॉफी के लिए पूछना चाहता था।’

सोनाली ने फट से पूछा- लाइन मार रहे हो?

अमन ने कहा- मैं भी किसी का वेट कर रहा हूं एंड इफ यू डोंट माइंड हम दोनों इस इंतजार को बोरिंग होने से बचा सकते हैं।

सोनाली को लगा कि आज फिर रितेश ने उसे फंसा दिया लेकिन उसे लगा कि कॉफी पीने में कोई बुराई नहीं है।

दोनों एक कॉर्नर की टेबल पर पहुंचे। सोनाली ने अपने लिए ‘कैरेमल मैक्यातो’ और अमन ने अपने लिए ‘काफे अमेरिकानो’ ऑर्डर की।

अमन ने सिप लेते हुए सोनाली की ओर सवाल उछाला- आर यू सैजिटेरियस?

सोनाली चौंकी और उसके कप से कॉफी छलकते-छलकते बची। वह अपने आप को संभालकर बोली- तुम्हें कैसे पता? हाथ-वाथ भी देखते हो क्या?

अमन हंसते हुए बोला- तुम में पेशेंस नहीं है। गुस्सा जल्दी आता है। लेकिन ज्यादा देर रुकता नहीं। कन्विंस जल्दी हो जाती हो। ऐसे ट्रेट्स सैजिटेरियस के ही होते हैं।

अब चौंकाने की बारी सोनाली की थी- उसने पूछा तुम लियो हो क्या?

अमन बोला- हूं तो सही। लेकिन तुमको कैसे पता?

सोनाली बोली- इतना भी मुश्किल नहीं है। ऑप्टिमिस्टिक हो, बोल्ड और ओपन हो, काम एंड कूल रहते हो और हेल्पफुल नेचर भी है।

अमन ने जवाब दिया- हम्मम। तारीफ ही करनी है या थैंक यू बोलना है तो सीधे-सीधे बोल दो। जोडिएक साइन का सहारा लेने की जरूरत नहीं है।

सोनाली ने हंसते हुए जवाब दिया- तुम लड़के भी ना… बिना रोस्ट किए बात नहीं कर सकते क्या?

अमन बोला- वैसे एक और खासियत होती है लियोज की। इनके साथ कॉफी नहीं पीनी चाहिए।

सोनाली ने भंवें उठाकर क्यों का इशारा किया तो अमन हंसते हुए बोला- फिर इनके बिना कॉफी अच्छी नहीं लगती।

कॉफी खत्म होने से पहले ही रितेश चेहरे पर मासूमियत और गिल्ट लिए कैफे में एंटर कर चुका था। आज उम्मीद के खिलाफ सोनाली उससे हंसकर मिली और अमन से कहा- थैंक यू फॉर कॉफी। आपने वाकई मुझे बोरियत से बचा लिया मिस्टर अमन। मीट माय फियॉन्से रितेश।

अमन ने रितेश से हाथ मिलाया और सोनाली की तरफ आंखों से इशारा कर बोला वैसे मुझे इनसे मिले पंद्रह मिनट ही हुए हैं लेकिन इतनी देर में पता चल गया कि ‘हैंडल विद केयर’ वाला मामला है…

इस बात पर तीनों खिलखिला कर हंसे। सोनाली और रितेश जाने लगे तो अमन ने पीछे से आवाज लगाकर पूछा- आप अपना नाम तो बताती जाइए मिस सैजेटेरियस।

सोनाली ने पीछे मुड़कर हंसते हुए अपना नाम बताया और रितेश के साथ वहां से निकल गई।

ये इत्तफाक ही था या कोई उसका पीछा कर रहा था कि तीन दिन बाद जब सोनाली उसी कैफे में पहुंची तो उसे बाहर बैठा शख्स कुछ जाना पहचाना सा लगा।

उस आदमी की साइड प्रोफाइल दिख रही थी और वह एक पप से खेल रहा था। दिमाग पर जोर डालने पर सोनाली को याद आया कि ये तो उस दिन कॉफी पिलाने वाला अमन है। सोनाली को डॉग्स बहुत पसंद थे। वह खुद को रोक नहीं सकी और उनके पास चली गई और अमन को ‘हाय अमन’ कहा।

सोनाली को बुरा लगा कि अमन ने उसे पहचाना तक नहीं। लेकिन अमन ने गॉगल उतारते हुए कहा- आइए मिस सोनाली। देखकर अच्छा लगा कि आज आप गुस्से में नहीं हैं।

इस बात पर दोनों हंस पड़े।

अब अमन का ध्यान पप से हटकर पूरी तरह सोनाली पर था। और बेचारा पप अब भी अपनी आंखों में अमन से लाड पाने की चाहत लिए उसे देख रहा था।

सोनाली ने उसे इशारे से अपने पास बुलाया और दुलारने लगी।

अगला सवाल सोनाली की तरफ से ही था- आज आप किसका इंतजार आसान बनाने आए हैं?

अमन हंसकर बोला- शायद अपना। आज मौसम में हल्की उमस है। लगता है, बारिश होगी। इसलिए कैफे के अंदर बैठने के बजाए सोचा कि बारिश का इंतजार बाहर आकर ही किया जा सकता है।

सोनाली ने पूछा- मिस्टर अमन आप डॉग लवर हैं?

अमन ने अपनी भारी आवाज में कहा- मुझे बिल्लियां ज्यादा पसंद हैं। डॉग्स से तो मुझे प्यार करना सिखाया गया था।

सोनाली बोली बिल्लियां ज्यादा क्यों?

अमन बोला- मुझे ऐसा लगता था कि बिल्लियां खुद को ज्यादा साफ रखती हैं। आपके साथ आसानी से कहीं भी बैठ या सो सकती हैं। शायद इसलिए।

‘आप इंट्रेस्टिंग इंसान हैं मिस्टर अमन। ये बताइए फिर आपको डॉग्स से प्यार करना किसने सिखाया?’ सोनाली को अमन के बारे में और जानने की इच्छा हुई।

अमन शायद उस सवाल का जवाब नहीं देना चाहता था। वह मानो अतीत के कुएं में उतरकर बोलने लगा। उसकी आवाज और गहरी हो गई-

उसे डॉग से बहुत प्यार था। पप्स पर तो जान छिड़कती थी। मजाल थी जो वो किसी इंजर्ड डॉग को अकेला छोड़ दे। उन्हें अस्पताल पहुंचाने से लेकर, उनकी केयर करने, उन्हें घर लाने और शेल्टर में छोड़ने तक। उसका आधा टाइम इसी में जाता।

मैं भी उसके साथ इसी में खुश रहता। उसने मुझे समझाया कि डॉग कितने प्यारे और लॉयल होते हैं। वो आप पर तुरंत भरोसा कर लेते हैं। उनको जितना प्यार दो वो उससे दोगुना लौटाते हैं।

‘कैट्स या डॉग्स?’ अब आप किससे ज्यादा प्यार करते हैं।

अमन ने गहरी सांस छोड़ते हुए कहा- अब मुझे प्यार का मतलब समझ आता है। अब मैं सभी से बराबर प्यार करता हूं। इंसानों से भी।

सोनाली को लगा कि पहली नजर में किसी के बारे में राय बना लेना कितना गलत होता है। जो अमन उसे पहले दिन उसे लगा था कि उसे लाइन मार रहा है आज उसी के सामने बैठकर उसे लग रहा था कि बस उसे सुनते ही जाऊं।

तभी रितेश आ गया था और सोनाली को न चाहते हुए भी वहां से जाना पड़ा। हल्की-हल्की बूंदाबांदी शुरू हो गई थी। रितेश का अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने का प्लान था और उसने सोनाली को भी आने को बोला था। सोनाली का मन उस पार्टी के बजाए कुत्ते और बिल्ली की कहानी में रम रहा था। न जाने क्यों अमन की लाइफ में उसका इंटरेस्ट बढ़ता जा रहा था।

अगली शाम वह फिर से वहां पहुंची तो उसे अमन फिर से वहीं किताब पढ़ता नजर आया। वह बिना कुछ बोले उसके बगल में जाकर बैठ गई और चुपचाप उसे देखती रही।

अमन पढ़ते-पढ़ते कभी मुस्कुरा देता तो कुछ लाइनें बुदबुदाते हुए पढ़ता। कई बार वह पैराग्राफ पढ़ने के बाद आसमान की तरफ देखकर उसे दोहराता। मानो जो कहानी पढ़ रहा हो उसी को जी रहा हो।

सोनाली भी तो यही कर रही थी। आज लगातार तीसरा दिन था जो अमन उसके दिमाग में अटक सा गया था। वह भी उसी लाइफ को जीने की कोशिश कर रही थी जो अमन ने उसे बताई थी।

अमन को अपने पास बैठी सोनाली की भनक नहीं लगी या शायद इतने मन से पढ़ रहा था कि वह खुद को इसकी भनक नहीं लगने देना चाहता था। करीब आधे घंटे बाद पन्ने समेटकर वह उठा तो सोनाली को देखकर मुस्कुराया और कहा- अरे वाह, तुम। तुमसे इतनी जल्दी मिलने की उम्मीद नहीं थी।

सोनाली बोली- मैंने पहली बार किसी को इतनी लगन से कुछ पढ़ते हुए देखा। क्या पढ़ रहे हो।

अमन ने कहा- द फॉक्स। डी. एच. लॉरेंस की नॉवेल है। काफी पुराना प्लॉट है। फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के टाइम का। लव ट्राएंगल है।

सोनाली किसी ख्याल में डूबती हुई सी बोली- यार फिक्शन की बात छोड़ो, ये बताओ क्या असल जिंदगी में भी ये लव ट्राएंगल जैसी चीज पॉसिबल है? सामने से आती दिखती मुसीबत को कौन गले लगाता है? बेहतर नहीं होगा कि ऊबड़-खाबड़ और बिना किसी मुकाम तक जाती राह को देख इंसान अपना रास्ता ही बदल ले? अपनी कहानी का दी एंड लिखना तो अपने ही हाथ में है ना?

अमन ठहरकर बोला- जिंदगी इतनी आसान कहां होती है। जो हासिल न हो सके उसकी चाहत की इंटेंसिटी बिल्कुल अलग होती है और एक लेवल के बाद किसी को न चाहना अपने बस में रहता ही कहां है। इसमें दर्द भी है और इसी में मजा भी है। पर तुम ये बताओ कि तुम्हारी लाइफ में सब ठीक चल रहा है न? आज रितेश नहीं दिख रहा?

सोनाली मन ही मन कुढ़ गई। उसे इस टॉपिक पर अमन से बात करते हुए कितना सुकून और नई रोशनी सी आती दिख रही थी और कहां इसे ठीक इस समय रितेश की बात छेड़ दी। लेकिन वह अभी अमन से खुलकर अपने मन की बात शेयर नहीं कर सकती थी और न ही रितेश के सवाल से पैदा हुई अपनी फ्रस्टेशन उसे दिखा सकती थी। इसलिए खोखली हंसी हंसते हुए बोली कि मेरा सब ठीक चल रहा है। रितेश आज नहीं आएगा। आज मैं खुद से मिलने आई हूं। तुम उस दिन की बात पूरी सुनाओ कि डॉग और कैट वाली स्टोरी में आगे क्या हुआ था?

अमन अपनी ट्रेडमार्क सैड स्माइल के साथ बोला- हम दोनों के फेथ और रिलीजन अलग थे।

सोनाली का दिल धक्क से रह गया। उसने न जाने किस पल में ये ख्वाहिश पाल ली कि काश ये लड़का सिंगल हो और अगले ही पल उस नामुराद ख्वाहिश को खुद से डिटैच भी कर लिया। जैसे खुद से ही झूठ बोल रही हो कि नहीं तो इसका सिंगल होना कब मैंने चाहा था। खैर, सिर झटक कर उसने जैसे ही इन अटपटे ख्यालों की धींगामुश्ती को अपने सिर से बाहर निकाला तो एक खूबसूरत और छरहरे बदन की लड़की काजल लगाए कॉफी लिए उनकी टेबल की ओर आती दिखी।

कॉफी टेबल पर रखकर उसने सोनाली को स्माइल दी और आंखों ही आंखों में अमन को कॉफी लेने का इशारा किया और सोनाली से पूछा- आप क्या लेंगी?

सोनाली उसे एकटक देखकर सोचने लगी कि ये कैफे की वेट्रेस तो नहीं लगती और बोली- शायद आप गलत टेबल पर आ गई हैं। हमने अभी ऑर्डर नहीं किया है।

जवाब अमन ने मुस्कुराते हुए दिया- इनसे मिलिए सोनाली। ये सना हैं। मुझे प्यार के मायने सिखाने वाली। आज हम साथ मिलकर इस कैफे को चलाते हैं।

सोनाली ने पता नहीं क्या सोचकर सना को गले लगा लिया और अमन की ओर हाथ बढ़ाते हुए बोली- क्या तुमको लाइफटाइम फ्रेंडशिप एट सेकेंड साइट पर यकीन है? एक्चुअली थर्ड, क्योंकि आज हम तीसरी बार मिल रहे हैं।

अमन हंसते हुए बोला- यकीन करके देख लेंगे। इसमें क्या हर्ज है?

-गीतांजलि

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